नीरज सिसौदिया, नई दिल्ली
यातायात के साधनों में रेलवे हमारे जीवन का अहम हिस्सा है। जिसने अपनी गौरवशाली यात्रा के 165 साल पूरे कर लिए हैं। भाप के इंजन से शुरू हुआ छुक-छुक का यह सफर अब बुलेट ट्रेन तक जा पहुंचा है। देश के कोने-कोने से जुड़ा रेलवे का विशाल नेटवर्क न सिर्फ हमारी आर्थिक सामाजिक और व्यवसायिक जरूरतों को पूरा करता है बल्कि पूरे देश को आपस में जोड़कर एकता के सूत्र में भी बांधता है।
रेल भारत की जीवन रेखा है यह ना हो तो विकास का पहिया थम जाए. सवारियों के हिसाब से दुनिया की सबसे बड़ी रेल सेवा और दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क भारतीय रेलवे ही है। रोजाना लगभग 13000 से भी ज्यादा पैसेंजर गाड़ियां भारतीय रेल के अंतर्गत चलाई जा रही हैं। यह आंकड़े भले ही भारी भरकम नजर आए लेकिन यह भी सत्य है कि इनमें लगभग 20% और वृद्धि करने की जरूरत है।
कैसे शुरू हुआ रेल का सफर
भारत में रेल की शुरुआत की कहानी अमेरिका के कपास की खेती की विफलता से जुड़ी है। अमेरिका में 1946 में कपास की खेती को काफी नुकसान पहुंचा इससे ब्रिटिश कारोबारी जो सूती वस्त्र उद्योग से जुड़े थे नहीं वहां की सरकार पर वैकल्पिक स्थान खोजने का दबाव बनाया। सरकार की नजर भारत पर पड़ी जहां वस्त्र उद्योग की काफी संभावनाएं थी। हालांकि सेना को इधर से उधर ले जाने और प्रशासनिक नजरिए से भी अंग्रेजों को रेलवे का विकास करना तर्कसंगत जान पड़ा। इन्हीं बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए वायसराय लॉर्ड डलहौजी ने कोलकाता मुंबई और मद्रास को रेलवे लाइन से जोड़ने का प्रस्ताव तैयार किया। 1832 में सबसे पहले यह प्रस्ताव मद्रास के लिए तैयार किया गया था हालांकि इस पर अमल नहीं हो पाया। 1849 में ग्रेट इंडियन पेनिनसुला कानून पारित हुआ और रेलवे का विकास करना तय हुआ। 16 अप्रैल 1853 के दिन सरकारी छुट्टी थी इसलिए लोगों का हुजूम ज्यादा था। मुंबई के बोरी बंदी स्टेशन पर 14 बोगियों वाली ट्रेन के डिब्बे में 420 स्ट्रोक 3:30 बजे के पहले ही सवार हो चुके थे। ठीक 3:30 बजे इंजन ने पहली सिटी मारी और फिर कुछ ही सेकंड बाद दूसरी सिटी और इसके साथ ही भारत में पहली बार लोगों ने रेलगाड़ी की आवाज सुनी। छुक छुक का पहला सफर बोरी बंदी से ठाणे के बीच 34 किलोमीटर की दूरी का था। ट्रेन में फ़ॉकलैंड नाम का भाप का इंजन लगा था स्टेशन परिसर पर गवर्नर के निजी बैंड का संगीत बज रहा था। स्क्रीन को 21 बंदूकों की सलामी भी दी गई. हालांकि इससे पहले प्रायोगिक तौर पर रुड़की में 22 दिसंबर 1851 को नहर निर्माण संबंधित धुलाई के लिए ट्रेन चलाई जा चुकी थी।
स्टेशन का सबसे लंबा और सबसे छोटा नाम
सबसे छोटे स्टेशन का नाम अंग्रेजी वर्तनी के अनुसार इब है. यह केवल दो अक्षर का है. यह स्टेशन उड़ीसा के झारसुगड़ा के पास है इसी तरह सबसे लंबे स्टेशन का नाम व्यंकटनरसिम्हाराजूवारिपेटा है.
भारतीय रेल संग्रहालय
दिल्ली स्थित 40000 वर्ग मीटर में फैले इस संग्रहालय की स्थापना 1 फरवरी 1977 को हुई थी। यहां रेलवे के विकास से जुड़ी धरोहर सुरक्षित हैं। यहां पहली रेल का मॉडल और इंजन भी मौजूद है साथ ही संग्रहालय में विभिन्न प्रकार के इंजन और कुछ देखे जा सकते हैं. इसका निर्माण ब्रिटिश वास्तुकार MG सेटो ने किया था, संग्रहालय में एक छोटी रेलगाड़ी भी चलती है जो संग्रहालय का पूरा चक्कर लगाती है. इसमें विश्व की प्राचीनतम चालू हालत की रेलगाड़ी भी मौजूद हैं. इसके इंजन का निर्माण 1855 में किया गया था. यहां रेस्टोरेंट बुक शॉप भी है जहां तिब्बती हस्तशिल्प का प्रदर्शन भी किया गया है. संग्रहालय रेलवे के इतिहास की पल-पल की झांकी की तरह है.
वर्ल्ड हेरिटेज साइट, द दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे
इसका लोकप्रिय नाम टॉय ट्रेन है. देश के गिने चुने बचे हुए नैरोगेज पटरियों पर दौड़ने वाली यह ऐतिहासिक ट्रेन 1881 से लगातार अपनी सेवाएं दे रही है. यह ट्रेन पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले से प्रारंभ होकर दार्जिलिंग तक का सफर तय करती है. कुल 86 किलोमीटर लंबे इस सफर में सैकड़ों छोटे-छोटे पुल झरने और सुरंग मिलते हैं. सफर का अंतिम पड़ाव घूम रेलवे स्टेशन है जो देश का सबसे अधिक ऊंचाई पर बसा रेलवे स्टेशन है. 1977 में इसे बनाना शुरू किया गया और 4 वर्षों में यह बनकर तैयार हो गया. 1999 में इसे यूनेस्को ने वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित किया।
सबसे लेटलतीफ ट्रेन
ज्यादातर देशों की तुलना में भारतीय रेल की टाइमिंग खराब है लेकिन गुवाहाटी त्रिवेंद्रम की बात ही अलग है। इस ट्रेन को अपने प्रारंभिक स्टेशन से अंतिम स्टेशन तक पहुंचने में 65 घंटे 5 मिनट का समय लगना चाहिए लेकिन जब से यह ट्रेन शुरू हुई है तब से यह औसतन 10 से 12 घंटे लेट रहती है।
भारतीय रेल की कुछ खास बातें
1- 1988 में पहली शताब्दी एक्सप्रेस नई दिल्ली से झांसी के लिए चली थी बाद में इसे भोपाल तक बढ़ा दिया गया.
2- 1956 में पहली फुल एयर कंडीशन ट्रेन दिल्ली से हावड़ा रूट पर चली थी.
3- भारतीय रेलवे की सबसे फास्ट ट्रेन गतिमान एक्सप्रेस 2016 में चली लेकिन बुलेट ट्रेन आने के बाद बुलेट ट्रेन ही सबसे फास्ट ट्रेन हो जाएगी.
4- 8 मई 1845 को भारतीय रेलवे की स्थापना हुई थी.
5- 1998 में कूपन वैलीडेटिंग मशीन सबसे पहले मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनस में लगाई गई थी.
6- फरवरी 2000 को भारतीय रेलवे की वेबसाइट ऑनलाइन हुई और 3 अगस्त 2002 को ऑनलाइन रिजर्वेशन शुरू हुए.
7- 1986 में सबसे पहले कंप्यूटराइज्ड एक्टिंग व रिजर्वेशन दिल्ली में शुरू हुआ।
8- मुंबई के बांद्रा टर्मिनल और अंधेरी के बीच 10 किलोमीटर की दूरी तक 7 समानांतर ट्रक है जोश रिकॉर्ड है.
9- पहली इलेक्ट्रिक रेल 1925 में मुंबई के विक्टोरिया टर्मिनस से कुर्ला के बीच चलाई गई थी.
10- देश की पहली डबल डेकर ट्रेन सिंगर एक्सप्रेस है जो पुणे से मुंबई के बीच चलती है.
11- पहली राजधानी एक्सप्रेस हावड़ा से दिल्ली के बीच चली यह देश की पहली सुपरफास्ट और एयर कंडीशन ट्रेन है.
12- महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में बेलापुर श्रीरामपुर दो अलग-अलग स्टेशन हैं जिनके बीच की दूरी 6 किलोमीटर है.
13- ट्रेनों में सबसे पहले टॉयलेट 1891 में लगाए गए थे तब केवल प्रथम श्रेणी के डिब्बों में इसे लगाया गया था. 16 साल बाद 1907 में इसे दूसरी श्रेणी के डिब्बों में भी लगाया गया.
चीन निकल गया आगे
भारत में पहली रेल 1853 में चलाई गई थी जबकि चीन में 1876 में यानी 23 साल बाद. आजादी के समय हमारे देश में रेल नेटवर्क की कुल लंबाई 53596 किलोमीटर थी जबकि चीन में लगभग इसका आधा 27000 किलोमीटर. वही हम इसमें बहुत ज्यादा इजाफा नहीं कर पाए जबकि चीन आज लगभग 80000 किलोमीटर रेल नेटवर्क के साथ भारत से काफी आगे निकल गया है. उसने तिब्बत के पठार तक रेल नेटवर्क पहुंचा दिया है जबकि हमारे कई क्षेत्र अभी रेलवे से नहीं जुड़े हैं. अंग्रेजों ने कालका-शिमला ट्रैक को सिर्फ 10 साल में तैयार कर दिया था. आज भारतीय रेल का नेटवर्क अमेरिका रूस और चीन के बाद चौथे नंबर पर है.