नई दिल्ली। इंदु मल्होत्रा वकील से सीधे सुप्रीम कोर्ट की जज बनने वाली पहली भारतीय महिला बन गई हैं। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने सभी जजों की मौजूदगी में उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। सुप्रीम कोर्ट की जज बनने वाली इंदु मल्होत्रा सातवीं महिला हैं। सबसे पहले 1988 में एम फातिमा बीवी सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज बनी थीं। उन के बाद जस्टिस सुजाता वी मनोहर, रूमा पाल, ज्ञान सुधा मिश्रा, रंजना प्रकाश देसाई और आर भानुमति सुप्रीम कोर्ट की जज रहीं।
14 मार्च 1956 को बेंगलुरु में जन्मी इंदु घर में सबसे छोटी थीं। उनकी पढ़ाई लिखाई दिल्ली में हुई। दिल्ली के कार्मेल कान्वेंट से स्कूलिंग करने के बाद उन्होंने लेडी श्रीराम कॉलेज से राजनीति विज्ञान में बीए ऑनर्स किया। इसके बाद वह दिल्ली यूनिवर्सिटी के मिरांडा हाउस और विवेकानंद कॉलेज में राजनीति विज्ञान की लेक्चरर भी रहीं। 1979 से लेकर 1982 तक उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की व 1983 में उन्होंने वकालत शुरू की। दिल्ली के बार काउंसिल में पंजीकरण के बाद 1988 में सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड के रूप में पहला स्थान पाकर क्वालीफाई किया। इंदु के पिता ओम प्रकाश मल्होत्रा भी सुप्रीम कोर्ट में सीनियर एडवोकेट थे। उनके पिता वकील होने के साथ ही एक लेखक भी थे और उन्होंने औद्योगिक विवादों के कानून वाला एंड प्रैक्टिस ऑफ आर्बिट्रेशन पर किताबें भी लिखी हैं। लगभग तीन दशक से भी अधिक समय से वकालत कर रही इंदु मल्होत्रा मध्यस्थता कानून विशेषज्ञ हैं। 2016 में भारत सरकार ने भारत में मध्यस्थता तंत्र किसान स्थानीकरण की समीक्षा के लिए उन्हें कानून व न्याय मंत्रालय में उच्च स्तरीय समिति का सदस्य भी बनाया था। वर्ष 2007 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा वरिष्ठ वकील नामित की जाने वाली इंदु मल्होत्रा दूसरी महिला थीं।
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