नीरज सिसौदिया
वर्ष 2019 का सियासी दंगल काफी दिलचस्प होने वाला है| खासकर बिहार के सियासी समीकरण कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं| वर्तमान सियासत की बात करें राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव केे बेटे तेजस्वी यादव और चिराग पासवान के रूप में दो ऐसे ही युवा चेहरे उभर रहे हैं जो बिहार के युवाओं की पहली पसंद बन गए हैं| इस बार का चुनाव इन्हीं दो युवा चेहरों के इर्द गिर्द घूमता नजर आ रहा है|
सबसे पहले बात लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव की| तेजस्वी यादव क्रिकेट अच्छे क्रिकेटर भी हैं| राज्य स्तर पर खेलने के साथ ही उन्होंने दिल्ली डेयरडेविल्स के लिए भी मैच खेले हैं| यही वजह है कि युवाओं के बीच में पहले से ही काफी लोकप्रिय थे| वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव से तेजस्वी ने राजनीति में कदम रखा और आते ही राजनीति की पिच पर भी सिक्सर जड़ दिया| तेजस्वी पहली बार राघोपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़े, पहली बार विधायक बने और पहली बार में ही उप मुख्यमंत्री बन गए| वर्ष 2015 से 2017 तक तेजस्वी यादव बिहार के उपमुख्यमंत्री रहे| इसी दौरान पासा पलटा और सुशासन बाबू ने फिर से भगवा ब्रिगेड का दामन थाम लिया| तेजस्वी यादव की पार्टी राजद सत्ता से बाहर हो गई और विपक्ष में आ गई| विपक्ष में रहते हुए भी तेजस्वी ने मोर्चा संभाला और विभिन्न मुद्दों पर नीतीश कुमार सरकार को जमकर घेरा| उनकी ऊर्जा और मिलनसार प्रवृत्ति ने उनके कद को और बढ़ा दिया| समस्तीपुर, खगड़िया, सारठ, आरा, छपरा, दरभंगा, गया समेत विभिन्न जिलों में तेजस्वी की लोकप्रियता बढ़ती ही जा रही है| तेजस्वी की एक खास बात यह है कि वह हर व्यक्ति को तरजीह देते हैं और किसी से भी मिलने में कोई संकोच नहीं करते| यही वजह है कि लालू प्रसाद यादव को सजा होने के बावजूद तेजस्वी के जनाधार में कोई कमी नहीं आई है| तेजस्वी जानते हैं कि युवा सियासत की रीढ़ है| यही वजह है कि वह पार्टी को मजबूत करने में जुटे हुए हैं और ज्यादा से ज्यादा युवाओं को जोड़ने में सफल भी हुए हैं| बात अगर विरोधियों की करें तो वह भी अब तेजस्वी से घबराने लगे हैं| बिहार में आगामी लोकसभा चुनाव में देश का जादू चलेगा या नहीं यह कहना फिलहाल उचित नहीं होगा अगर तेजस्वी इसी रफ्तार से आगे बढ़ते रहे तो निश्चित तौर पर नीतीश कुमार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा| नीतीश कुमार को यह नहीं भूलना चाहिए कि गत विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल के पास जदयू से अधिक सीटें थीं| जिसमें तेजस्वी की बढ़ती लोकप्रियता इजाफा करने की कूवत रखती है. इज्जत से बात यह है कि तेजस्वी यादव केवल युवाओं पर ही फोकस नहीं कर रहे बल्कि पुराने दिग्गजों पर भी उनकी पैनी नजर है| यही वजह है कि उन्होंने जीतन राम मांझी को अपने पाले में कर लिया| अब शरद यादव ने भी अपनी अलग पार्टी बना ली है| नीतीश और शरद यादव की इस लड़ाई का फायदा उठाना तेजस्वी बखूबी जानते हैं| ऐसे में 2019 का सफर जदयू और भाजपा के लिए बिहार में आसान नहीं होगा|
इसी तरह बात अगर केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के सुपुत्र चिराग पासवान की करें तो वह भी युवाओं में एक लोकप्रिय चेहरा बन गए हैं. सूत्रों की माने तो पार्टी के हर छोटे-बड़े फैसले चिराग पासवान की सहमति के बाद ही होते हैं| कई जगह चिराग ने खुद ही मोर्चा संभाला है|
बता दें कि चिराग पासवान राजनीति में आने से पहले फिल्म एक्टर थे| वर्ष 2011 में उनकी फिल्म हम मिले ना मिले रिलीज हुई थी| हालांकि बॉक्स ऑफिस पर यह कुछ खास नहीं कर पाई लेकिन राजनीति में चिराग पासवान ने आते ही लोकसभा की कमान संभाल ली| वर्ष 2014 में चिराग पासवान पहली बार जमुई लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े और लोकसभा सांसद बन गए| कंप्यूटर साइंस में ग्रेजुएट चिराग पासवान की लोकप्रियता भी बिहार में बढ़ती जा रही है| युवाओं की एक बड़ी जमात चिराग की फैन है और चिराग भी अपनी युवा ब्रिगेड को भरपूर तरजीह दे रहे हैं| रामविलास पासवान की जगह अब सारा काम चिराग की संभाल रहे हैं| यही वजह है कि एक-एक कर पार्टी में युवाओं को बड़ी जिम्मेदारियां सौंपी जा रही हैं. सियासी गलियारों में चर्चा है कि आगामी लोकसभा चुनाव में रामविलास पासवान की पार्टी भारतीय जनता पार्टी और जदयू के साथ गठबंधन नहीं करेगी| अगर ऐसा हुआ तो चिराग और तेजस्वी की जुगलबंदी बिहार में नया गुल खिला सकती है|
बहरहाल बिहार की राजनीति को तेजस्वी यादव और चिराग पासवान एक नई दिशा देने की कवायद में जुट गए हैं| अपने इस उद्देश्य में कितना सफल हो पाएंगे यह तो आने वाला वक्त ही तय करेगा| फिलहाल इन दोनों की राजनीतिक सक्रियता ने विपक्षियों के माथे पर चिंता की लकीरें तो खींच ही दी हैं|