नई दिल्ली| भारत में स्वास्थ्य सुविधाएं और उनकी क्वालिटी चीन, भूटान और बांग्लादेश से भी बदतर हैं| यह दावा एक सर्वे में किया गया| यह सर्वे कुल 195 देशों में किया गया जिसमें भारत 145 में नंबर पर है|
द ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत 1990 से ही स्वास्थ्य क्षेत्र में बैटरी के प्रयास कर रहा है जिसमें वह सफल भी हुआ है लेकिन अभी इसमें बहुत सुधार की आवश्यकता है| सर्वे का मुख्य आधार हेल्थ केयर एक्सेस एंड क्वालिटी स्कोर था| सर्वे में कहा गया है कि भारत में टीबी और हृदय संबंधी रोगों के केसेस बहुत ही खराब तरीके से हैंडल किए जाते हैं| साथ ही स्ट्रोक, टेस्टिकुलर कैंसर, कोलन कैंसर और गंभीर किडनी रोगों के इलाज की कोई बेहतर व्यवस्था भारत में नहीं है| रिपोर्ट में बताया गया है कि अगर इस व्यवस्था में जल्द सुधार नहीं किया गया तो स्थिति और भी भयावह हो सकती है|
सर्वे के मुताबिक चीन 48 वें नंबर पर, श्रीलंका 71 वें नंबर पर बांग्लादेश 133 वें नंबर पर और भूटान 134 में नंबर पर है| वहीं, नेपाल, पाकिस्तान और अफगानिस्तान भारत से भी पीछे हैं| नेपाल 149 के नंबर पर पाकिस्तान 154 नंबर पर और अफगानिस्तान 191वें नंबर पर है|
सर्वे में टॉप फोर में जगह बनाने वाले देशों में आइसलैंड, नॉर्वे, नीदरलैंड व लक्जमबर्ग शामिल हैं| वहीं, सबसे निचले पायदान पर मध्य अफ्रीकन गणराज्य, सोमालिया, गिनी-बिसाऊ, चाड और अफगानिस्तान हैं|
शरीर में विभिन्न देशों में मौत के 32 कारणों पर अध्ययन किया गया| इनमें वह कारण शामिल हैं जिनमें बेहतर मेडिकल सुविधा मिलने पर मरीज को बचाया जा सकता था|
इस सर्वे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उन दावों की भी पोल खोल दी है जिसमें भारत को स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में अग्रणी देश बनाते हुए मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा देने की बात कही गई थी| बता दें कि केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से प्रतिवर्ष स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर अरबों रुपए खर्च किए जाते हैं| इसके बावजूद जमीनी स्तर पर यह सुविधाएं आम जनता तक नहीं पहुंच रही हैं|
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