विचार

प्रज्ञा यादव की कविताएं – 4

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दिल पे मुश्किल है दिल की कहानी लिखना,
जैसे बहते हुए पानी में पानी लिखना.
बहुत आसां है किसी के दिल पे दस्तकें देना,
जैसे अपने आईने में अक्स को पाना.
ऐ आसमां समझाओ इन चांद तारों को,
तुम रोक लो वापस इन बेलगाम हवाओं को,
ये दुनिया ये लोग एक गहरा समंदर है,
जितना ये बाहर, उतना ही अन्दर है।
बहुत मुश्किल है तूफां से किश्ती बचाना,
जैसे सीप के मोती को अपनी नज़र में छुपाना.
दिल पे मुश्किल है दिल की कहानी लिखना,
जैसे बहते हुए पानी में पानी लिखना.
दिल का कारवां भी किसी झरने की तरह है,
न कोई मंजिल जिसका न कोई सफ़र है,
छूट जाने को तो राहें भी छूट जाया करती हैं,
तमाम उम्र चले फिर खो जाया करती हैं,
बहुत मुश्किल है जज़्बातों की कैद से निकलना,
जैसे छिन जाये जिंदगी और जिंदा रहने को कहना.
दिल पे मुश्किल है दिल की कहानी लिखना,
जैसे बहते हुए पानी में पानी लिखना।
कि मुश्किलों में मुश्किल बड़ी है अपनी बात को कहना,
जैसे शीशे की दीवारों से ख़ुद को आवाज देना।

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