नीरज सिसौदिया, जालंधर
स्वच्छता अभियान की धज्जियां खुद नगर निगम के अधिकारी उड़ा रहे हैं| आलम यह है कि नगर निगम परिसर की सफाई सही तरीके से नहीं हो रही है तो फिर शहर कैसे साफ होगा? जालंधर नगर निगम के अधिकारी चिराग तले अंधेरा की कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं. जिस नगर निगम पर पूरे शहर को साफ सुथरा बनाने की जिम्मेदारी है वह अपने ही परिसर मेंं स्थित एक इमारत को साफ नहीं कर पा रहा | नतीजा यह कि अब यह पुरानी बिल्डिंग खंडहर में तब्दील होती जा रही है| लोग वहां मल मूत्र का परित्याग कर रहे हैं और सारा कचरा भी उसी में इकट्ठा किया जा रहा है| यहां पर कभी विजिलेंंस का दफ्तर होता था.
दरअसल, वर्षों पहले पुरानी बिल्डिंग में ही नगर निगम के विभिन्न विभाग हुआ करते थे| वक्त के साथ जरूरत बढ़ी तो नगर निगम का नया आलीशान भवन तैयार किया गया| एक-एक कर पुरानी बिल्डिंग से सारे विभाग नई बिल्डिंग में शिफ्ट होते गए और पुरानी बिल्डिंग खाली होती गई| पुरानी बिल्डिंग भी दो हिस्सों में बनी थी| इसका एक हिस्सा वह था जहां अब बिल्डिंग विभाग के इंस्पेक्टर और सेवादार बैठते हैं| साथ ही शिकायत सेल भी वहीं पर चल रही है| नगर निगम के मुख्य द्वार से जब अंदर की ओर जाते हैं तो बाईं ओर एक पुरानी बिल्डिंग शुरू हो जाती है| जहां पर यह बिल्डिंग खत्म होती है वहां से बाईं ओर मुड़ने पर अंतिम छोर पर बिल्डिंग का गेट टूट चुका है और ऊपर जाने के लिए सीढ़ियां भी बनी हुई हैं| इंडिया टाइम 24 ने जब इस बिल्डिंग का दौरा किया तो वहां की तस्वीर बेहद शर्मनाक नजर आई| वहां कूड़े का अंबार लगा हुआ था| भीषण दुर्गंध के कारण खड़ा होना भी मुश्किल हो रहा था| सीढ़ियों का भी बुरा हाल था| शराब और बीयर की खाली बोतलें यहां पड़़ी थीं. नजारा देखने से ऐसा लग रहा था कि महीनों से इस जगह की सुध नहीं ली गई है|
बताया जाता है कि इस बिल्डिंग में मल-मूत्र त्यागने वाले कोई और नहीं बल्कि नगर निगम के कर्मचारी ही हैं| शर्मनाक है कि नगर निगम की नाक के नीचे स्वच्छता अभियान दम तोड़ रहा है| ऐसे में नगर निगम के अधिकारी शहर को कितना साफ सुथरा रख पाएंगे इसका अंदाजा खुद-ब-खुद लगाया जा सकता है| शहर में जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरुक करने का दावा करने वाला नगर निगम अपने कर्मचारियों को ही स्वच्छता का पाठ नहीं पढ़ा पा रहा है| इसे जालंधर शहर का दुर्भाग्य ही कहेंगे कि यहां ना तो नगर निगम के अधिकारियों को स्वछता से कोई लेना देना है और ना ही नगर निगम के चुने हुए जनप्रतिनिधियों को| अगर इस बिल्डिंग का सही तरीके से रखरखाव किया जाता तो नगर निगम को इस कदर शर्मिंदा नहीं होना पड़ता|
पुरानी इमारत को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि नगर निगम के अधिकारी अपनी जिम्मेदारी के प्रति कितने गंभीर हैं| सफाई व्यवस्था के लिए नगर निगम को हर साल करोड़ों रुपए का फंड नगर निगम के बजट से और स्वच्छ भारत मिशन के तहत मुहैया कराया जाता है लेकिन शहर की गंदगी तो दूर निगम अधिकारी नगर निगम परिसर को भी साफ सुथरा नहीं बना पा रहे हैं|