पंजाब

पं. नेहरू की राह पर चले कांग्रेस पार्षद निम्मा, कर रहे हैं ये काम…

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नीरज सिसौदिया, जालंधर
सियासत और कलम का रिश्ता बहुत गहरा है या यूं कहें कि एक दूसरे के बिना दोनों अधूरे हैं| यही वजह है कि भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु हो या फिर अटल बिहारी वाजपेई, दोनों ने हाथों में कलम थामी और देश के हालातों और आम जनता के जज्बातों को शब्दों में पिरोया| डिस्कवरी ऑफ इंडिया, ग्लिंप्सेस ऑफ़ वर्ल्ड हिस्ट्री और लेटर्स फ्रॉम ए फादर टू हिज डॉटर जैसी उम्दा कृतियों ने पंडित नेहरू को एक लेखक के तौर पर स्थापित किया था| पंडित नेहरू की डिस्कवरी ऑफ इंडिया में बदलते भारत की तस्वीर थी| अब इसी तर्ज पर कांग्रेस पार्षद निर्मल सिंह निम्मा नगर निगम की समस्याओं और उनके समाधानों को एक किताब में समेट कर ला रहे हैं|


‘इंडिया टाइम 24’ से खास बातचीत में निम्मा ने बताया कि पिछले लगभग एक दशक से वह और उनकी पत्नी निगम पार्षद बनते आ रहे हैं| इस दौरान उन्हें उनके पास लोग तरह-तरह की समस्याएं लेकर आते हैं जो नगर निगम से जुड़ी होती हैं| वह कहते हैं कि 10 साल पहले जो समस्याएं थीं वह आज भी बरकरार हैं| वक्त के साथ आबादी बढ़ी और समस्याएं भी प्रगाढ़ होती चली गईं| सुनियोजित विकास और समस्याओं के समाधान के लिए फंड तो बहुत आया लेकिन कारगर नीतियां नहीं बनीं| नतीजा आज सबके सामने है| उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि आम जनता से जुड़ी पानी, सफाई, सीवरेज, सड़क, अतिक्रमण और पाक जैसी समस्याओं का समाधान नहीं किया जा सकता| सीमित संसाधनों में भी हम काफी बेहतर कर सकते हैं लेकिन ना तो कभी सियासतदानों ने इस दिशा में ठोस रणनीति बनाकर उस पर अमल करने का प्रयास किया और ना ही अफसरशाही ने समस्याओं का निदान करना जरूरी समझा| यही वजह है कि आज समस्याएं और भी विकराल रूप धारण कर चुकी हैं| अगर अब भी इनका समाधान नहीं किया गया तो आने वाली पीढ़ियों को हम समस्याओं की विरासत ही सौंप कर जाएंगे|


निम्मा कहते हैं कि हम पार्षद तो बन गए, निगम हाउस की बैठक में हमें बोलने का भी मौका मिलता है लेकिन निगम हाउस की बैठकों में 5-10 मिनट के भाषण में इन समस्याओं के समाधान को विस्तृत रूप से नहीं समझाया जा सकता| इसीलिए मैंने किताब लिखने का फैसला किया और लगभग एक चौथाई किताब पूरी भी हो चुकी है| उन्होंने बताया कि “इस किताब में मैंने नगर निगम की उन सभी समस्याओं के समाधान के बारे में विस्तृत रुप से वर्णन किया है जिनका समाधान नगर निगम कर सकता है लेकिन उसकी सोच समाधान तक पहुंच नहीं पा रही| किताब में यह बताया गया है कि कैसे सीमित संसाधनों में और वर्तमान में जितना पैसा सफाई व्यवस्था पर खर्च किया जा रहा है उससे भी आधे पैसे को खर्च कर शहर की पूरी सफाई व्यवस्था का स्वरूप बदला जा सकता है|”
उनका दावा है कि यह किताब नगर निगम की हर समस्या का समाधान लेकर आएगी और इन समाधानों को कोई भी चुनौती नहीं दे सकता| किताब कब तक बाजार में आ जाएगी इस बारे में निंबार्क स्पष्ट रुप से कुछ नहीं बताते हैं| वह बस इतना ही कहते हैं कि एक चौथाई हिस्सा पूरा कर लिया है आगे की किताब लिखी जा रही है जल्द ही यह जनता के बीच उपलब्ध हो जाएगी|
बहरहाल, निर्मल सिंह के अनुभवों के आधार पर निकाले गए नगर निगम की समस्याओं के समाधान जाने का इंतजार शहर वासियों को जरूर रहेगा|

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