दिल्ली देश

सीवरमैन के अंतिम संस्कार के पैसे नहीं, लाश लेकर बिलख रहा है मासूम बेटा, कहां हैं स्वच्छ भारत के ठेकेदार

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नीरज सिसौदिया, नई दिल्ली
राजधानी दिल्ली में शुक्रवार को काम के दौरान मरने वाले सीवर मैन के परिजनों के पास अंतिम संस्कार की भी पैसे नहीं है| उसका बेटा अस्पताल में पड़ी लाश के सामने बिलख रहा है और अंतिम संस्कार के पैसे जुटाने के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहा है लेकिन स्वच्छ भारत अभियान पर करोड़ों अरबों रुपए खर्च करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को उसका दर्द दिखाई नहीं दे रहा। मामला सुर्खियों में उस वक्त आया जब शिव शनि नाम के एक व्यक्ति ने अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर मामले की जानकारी दी| सनी ने अपने ट्वीट में लिखा है कि शुक्रवार को दिल्ली के स्वर में मरने वाले गरीब आदमी का बेटा उसकी लाश लेकर बिलख रहा है क्योंकि उसके पास अपने पिता के अंतिम संस्कार करने के लिए भी पैसे नहीं हैं। सनी ने अपने ट्वीट के जरिए एक अकाउंट नंबर दिया है जिसने उसके अंतिम संस्कार के लिए पैसा जमा करने की लोगों से अपील की गई है| सनी की ट्वीट के बाद इसमें राजनीति गरमा गई है| कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सनी के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए कहा कि दिल्ली के सीवर में जान गंवाने वाले अनिल की कहानी स्वच्छ भारत मिशन के दावों की पोल खोल रही है|

अस्पताल में रोता बिलखता अनिल का बेटा.

राहुल गांधी ने कहा है कि हमारे प्रधानमंत्री का स्वच्छ भारत सिर्फ जुमले तक ही सीमित रह गया है| उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अंधे हो गए हैं जिन्हें यह दिखाई नहीं दे रहा है कि हजारों लोगों को अमन भी तरीके से सीवर लाइन नो और टॉयलेट की सफाई करने के लिए जबरन मजबूर किया जा रहा है| दिल्ली की यह घटना स्वच्छ भारत मिशन के मुंह पर निश्चित तौर पर तमाचा है।

आज भी हजारों नहीं बल्कि लाखों सीवर में देश भर में ऐसे ही हालातों में सीवर की सफाई करने को मजबूर हो जाते हैं लेकिन उन्हें कोई भी सुरक्षा नहीं दी जा रही। इससे ज्यादा हृदयविदारक और क्या होगा कि अपनी जान जोखिम में डालने वाले सीवर की सफाई करने वालों की मौत पर उनके परिवार इतने लाचार हो गए हैं कि उनके पास अंतिम संस्कार के लिए भी पैसे नहीं हैं| हाल ही में इंडिया टाइम 24 के साथ एक खास बातचीत में राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग के नवनियुक्त वाइस चेयरमैन हंस राज हंस ने कहा था कि वह कुछ ऐसे उपकरण लाने पर विचार कर रहे हैं जिनसे सीवरमैनों को राहत मिल सके लेकिन उनकी योजना भी अधर में ही लटकी हुई है अभी तक इस पर अमल नहीं हो सका है| जिस देश में सीवरमैनों के पास अंतिम संस्कार तक के पैसे न हों उस देश में स्वच्छ भारत मिशन कितना कामयाब होगा इसका अंदाजा खुद-ब-खुद लगाया जा सकता है।

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