पंजाब

किसके हाथों में खेल रहीं लुधियाना नगर निगम कमिश्नर? मंत्री सिद्धू के आदेश दरकिनार कर सिंगल टेंडर के 12 करोड़ का ठेकेदारों को कर दिया भुगतान

Share now

नीरज सिसौदिया, लुधियाना
स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू नगर निगम के अधिकारियों पर लगाम लगाने में नाकाम साबित हो रहे हैं| यही वजह है कि नगर निगम के अधिकारी उनके आदेशों की कोई परवाह नहीं करते और खुलेआम नींबू की धज्जियां उड़ा रहे हैं| ताजा मामला लुधियाना नगर निगम का है जहां नगर निगम कमिश्नर ने बड़े ही हैरान कर देने वाले तरीके से ठेकेदारों को ₹120000000 की पेमेंट कर दी| दिलचस्प बात यह है कि जिन कार्यों के लिए पेमेंट की गई है वह सिंगल टेंडर के कार्य थे जबकि स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू पहले ही सख्त हिदायत दे चुके हैं कि कोई भी सिंगल टेंडर की पेमेंट नहीं की जाएगी| सूत्र बताते हैं कि इस खेल को अंजाम देने के लिए नगर निगम कमिश्नर ने डीसीएफए तक का तबादला कर दिया। दिलचस्प बात तो यह है कि अभी जिन कार्यों की पेमेंट की गई है वह कार्य पूरे ही नहीं हुए हैं| सबसे हैरानीजनक बात तो यह है कि मंत्री ने प्रदेशभर में स्पष्ट रूप से लिखित आदेश जारी कर कहा था कि कोई भी सिंगल टेंडर कंसीडर नहीं किया जाये। इसके बावजूद लुधियाना में यह काला खेल खेला गया।

इन ठेकेदारों को किया गया भुगतान
इन ठेकेदारों को किया गया भुगतान

जानकारी के मुताबिक, पीआईडीबी के तहत कुछ कार्य मंजूर किए गए थे| यह कार्य सिंगल टेंडर के तहत ही आवंटित कर दिए गए| इनमें से 12 करोड़ से भी अधिक राशि का भुगतान लुधियाना नगर निगम कमिश्नर ने कार्य पूर्ण होने से पहले ही कर दिए| जबकि नियमानुसार सिंगल टेंडर के भुगतान पर नवजोत सिंह सिद्धू ने रोक लगा रखी है| ऐसे में यह स्पष्ट होता है कि नगर निगम की कमिश्नर खुद को मंत्री से ऊपर मानती है और कानून से भी| नवजोत सिंह सिद्धू की नाकामी का इससे बड़ा उदाहरण और कोई नहीं हो सकता| जब नगर निगम कमिश्नर ही मंत्री के आदेश मानने को तैयार नहीं है तो फिर अन्य अधिकारियों की क्या मजाल कि वह सिद्धू को तवज्जो देंगे। हैरानी की बात है कि जो नवजोत सिंह सिद्धू स्थानीय निकाय मंत्रालय नहीं संभाल पा रहे हैं पंजाब के मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं| लुधियाना नगर निगम कमिश्नर तो सिद्धू से संभाली नहीं जा रही वह पूरा प्रदेश क्या संभालेंगे? बहर हाल सवाल यह भी उठता है कि आखिर नगर निगम कमिश्नर कमलप्रीत कौर बराड़ ने सिद्धू मंत्री के आदेश को दरकिनार क्यों किया? ऐसा क्या स्वार्थ था या फिर ऐसी क्या मजबूरी थी कि उन्होंने मंत्री तक कि आदेशों की परवाह न करते हुए बारह करोड़ रुपए ठेकेदारों में बांट दिए। निश्चित तौर पर यह जांच का विषय है|

सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि जब डीसीएफए ने खुद कमिश्नर को मंत्री के आदेशों के बारे में जानकारी दी तो आदेशों का पालन करने की बजाय कमिश्नर ने डीसीएफए कपूर का ही तबादला कर दिया| दिलचस्प बात तो यह है कि कपूर का तबादला करने के बाद उनकी जगह पर उन्हीं की बराबर काबिलियत के व्यक्ति को बैठाने की बजाय कमिश्नर ने उनसे 2 अंक नीचे के अकाउंटेंट को उनका पद सौंप दिया| इसके बाद ठेकेदारों की पेमेंट करवाई.

निगम कमिश्नर बराड़ की यह कारगुजारी साफ जाहिर करती है कि उनकी मंशा सीधे तौर पर नगर निगम को चूना लगाने की थी| इस पूरे खेल में मोहरा अकाउंटेंट को बना दिया गया| अगर मामले की विजिलेंस जांच हो तो कई अहम खुलासे हो सकते हैं|

बराड़ के कार्यकाल के दौरान लुधियाना नगर निगम में गड़बड़ी का यह पहला मामला नहीं है बल्कि बिल्डिंग ब्रांच के कई अफसर भी गड़बड़ियों में शामिल रहे हैं और कमिश्नर उन्हें कथित तौर पर संरक्षण देती रही हैं। अब देखना यह है कि ऐसी निगम कमिश्नर के खिलाफ नवजोत सिंह सिद्धू कोई कार्रवाई कर पाते हैं या नहीं?
इस संबंध में जब लुधियाना नगर निगम कमिश्नर कमल प्रीत बरार से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया है| सिंगल टेंडर के भुगतान पर कोई रोक नहीं लगाई गई है| उन्होंने ठेकेदारों को जो पेमेंट की है वह नियमों के अनुसार ही की है|

Facebook Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *