उत्तराखंड

सो रहे एनआईओएस के अधिकारी, क्या ब्रिज कोर्स के परीक्षार्थियों की जान लेने के बाद जागेंगे? चुनाव में भाजपा को भुगतना पड़ेगा खामियाजा 

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नीरज सिसौदिया, टनकपुर
एनआईओएस के अधिकारियों ने ब्रिज कोर्स को परीक्षार्थियों के लिए मुसीबत बना दिया है| एनआईओएस के आला अधिकारी परीक्षार्थियों की जान जानबूझकर खतरे में डालने में लगे हुए हैं| यह अधिकारी बात तो नियमों की करते हैं लेकिन जहां इनके निजी हित सामने आते हैं वहां पर सारे नियम ताक पर रख देते हैं। कुछ ऐसा ही काला कारनामा इन अधिकारियों ने टनकपुर के उन परीक्षार्थियों के सेंटर को लेकर किया है जिनका स्टडी सेंटर चंपावत रखा गया था| अब इनका परीक्षा केंद्र भी चंपावत कर दिया गया है जबकि इनको क्लास अटेंड करने की सुविधा टनकपुर जीआईसी में विधायक कैलाश गहतोड़ी के हस्तक्षेप के बाद दी गई थी| दिलचस्प बात तो यह है कि जिन लोगों का स्टडी सेंटर टनकपुर जीआईसी में था उन लोगों का भी परीक्षा केंद्र चंपावत दे दिया गया| जब उन परीक्षार्थियों ने विरोध जताया तो उनका परीक्षा सेंटर टनकपुर कर दिया लेकिन बाकी विद्यार्थियों का परीक्षा केंद्र टनकपुर स्थानांतरित नहीं किया|

एनआईओएस के अधिकारी हीरा सिंह नेगी नियमों का हवाला देते हुए सेंटर नहीं बदलने की बात तो कहते हैं लेकिन नियम विरुद्ध कुछ परीक्षार्थियों के सेंटर कैसे बदल दिये गए यह जांच का विषय है. सूत्र बताते हैं कि कुछ लोग जो ऊंची पहुंच रखते थे उन्होंने अपना परीक्षा केंद्र चंपावत से टनकपुर करवा दिया. लेकिन अन्य का परीक्षा केंद्र टनकपुर नहीं किया गया|

चंपावत परीक्षा केंद्र होने में सबसे बड़ी मुसीबत यह है कि ऑल वेदर रोड के निर्माण कार्य के चलते पहाड़ों से रोज भूस्खलन होता रहता है जिसकी चपेट में आने से कई लोग अपनी जान भी गवां चुके हैं और लगभग सैकड़ों लोग घायल भी हो चुके हैं| इतना ही नहीं इस मार्ग पर घंटों लंबा लंबा जाम लग जाता है| साथ ही विद्यार्थियों को आर्थिक नुकसान का भी सामना करना पड़ता है| एक तरफ तो एग्जाम के चलते अपने स्कूल में अध्यापन कार्य नहीं करने की वजह से टीचर्स का वेतन स्कूल प्रबंधन द्वारा काट लिया जाता है| वहीं दूसरी ओर चंपावत आने जाने का किराया खर्च होता है| अगर रास्ते में जाम लग गया तो परीक्षा छूटना निश्चित है| इसकी जिम्मेदारी लेने को एनआईओएस तैयार नहीं.

अगर चंपावत में कमरा किराए पर लेकर रहा जाए तो यह राशि इतनी बनती है कि कई अध्यापकों का 2 माह का वेतन इसी में खर्च हो जाएगा| वहीं कुछ महिला अभ्यर्थी ऐसे हैं जिनके बच्चे छोटे हैं यानी दुधमुंहे हैं| ऐसे में इन महिला परीक्षार्थियों के लिए बिना बच्चे के बाहर रहना संभव नहीं है| सबसे बड़ा खतरा परीक्षार्थियों की जिंदगी का है| इन टीचरों को निजी स्कूलों में पढ़ाने से जो थोड़ा-बहुत वेतन मिलता है उसी से उनके पूरे परिवार का भरण पोषण होता है| अगर चंपावत जाते वक्त रास्ते में कोई हादसा हो जाता है इन अध्यापकों की जिंदगी तो खत्म होगी ही इनके साथ इनके परिवार भी खत्म हो जाएंगे लेकिन एनआईओएस के लापरवाह अधिकारियों को इस से कोई लेना देना नहीं क्योंकि कल को कोई हादसा होता भी है तो जिम्मेदार विभाग होगा और सरकार को उसकी जिम्मेदारी लेनी होगी इन अधिकारियों का कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा| इस संबंध में कुछ दिन पहले हीरा सिंह नेगी को लिखित एवं मौखिक तौर पर अवगत भी करा दिया गया था इसके बावजूद उन्होंने अभी तक समस्या का कोई समाधान नहीं निकाला है.

इन अधिकारियों की कारगुजारी से एक बात तो स्पष्ट हो चुकी है कि भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल में विद्यार्थियों और आम आदमी को रोजी रोटी के लिए अपनी जिंदगी तक दांव पर लगानी पड़ेगी। इन परीक्षार्थियों का कहना है कि कांग्रेस के शासन काल में इस तरह की कभी भी कोई परेशानी उन्हें नहीं झेलनी पड़ी लेकिन भाजपा सरकार में उनकी जान पर बनाई है| इन अध्यापकों का कहना है कि अगर इनका परीक्षा केंद्र टनकपुर स्थानांतरित नहीं किया गया तो वह लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का अपने परिवार के साथ बहिष्कार करेंगे| साथ ही आगामी विधानसभा चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार का विरोध करेंगे| बता दें कि पहले इस विधानसभा सीट से कांग्रेस के हेमेश खर्कवाल विधायक थे| हेमेश टनकपुर के ही रहने वाले हैं और कोई भी समस्या होने पर सभी पीड़ित उनके घर पहुंच जाते थे और हेमेश खर्कवाल हर समस्या का निदान प्राथमिकता के आधार पर किया करते थे लेकिन वर्तमान में यहां से कैलाश गहतोड़ी विधायक हैं जो भाजपा से ताल्लुक रखते हैं। कैलाश का घर काशीपुर में है| साथ ही उनसे बात फोन पर करना चाहे तो उनके पीए फोन उठाते हैं और बात भी नहीं करवाते हैं। यूं कहें कि कैलाश गहतोड़ी जनता से दूर हो चुके हैं। यही वजह है कि टनकपुर की जनता का मूड अब कैलाश से भंग हो चुका है। इसमें कैलाश की कोई गलती नहीं बल्कि गलती उन के सिपहसालारों की है जो आम जनता को विधायक तक पहुंचने ही नहीं देते| विधायक जी अब टनकपुर में तभी नजर आते हैं जब उनका सम्मान समारोह होता है या तो कोई उद्घाटन करना होता है| जनता की समस्या सुनने के लिए उनके पास वक्त नहीं है| अन्य विधानसभा क्षेत्रों की तरह विधायक का जनता दरबार तो टनकपुर की जनता के लिए किसी कभी ना पूरा होने वाले सपने जैसा है| विधायक दरबार से भी यह अध्यापक निराश हो चुके हैं और सांसद का तो इन्होंने आज तक चेहरा भी नहीं देखा| यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर पिछले लोकसभा चुनाव में जनता ने जो वोट स्थानीय सांसद को दिए थे अब स्थानीय भाजपा नेताओं की कारगुजारी और जनता से दूरी के चलते इस बार वोट कांग्रेस की झोली में गिरेंगे| बहर हाल देखना यह है कि एनआईओएस के अधिकारी अब भी अपनी कुंभकरणी नींद से जागेंगे या बड़े हादसे के इंतजार में हाथ पर हाथ धरकर बैठे रहेंगे|

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