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विश्व थैलेसीमिया दिवस : थैलेसीमिया के मरीजों को कोरोना का खतरा अधिक

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थैलेसीमिया एक प्रकार का आनुवांशिक रक्त विकार है। कोविड महामारी को देखते हुए निश्चित रूप से थैलेसीमिया के मरीजों का इलाज बहुत हद तक बाधित हुआ है। सबसे अहम पहलू यह है कि रक्तदान के ज़रिये बहुत से थैलेसीमिया के मरीज़ों का इलाज होता है, लेकिन कोविड महामारी के कारण बेशक ब्लड डोनेशन कैंप नहीं लगाये जा सकते क्योंकि इनसे एक जगह बहुत से लोगों के एकत्रित होने और कोविड संक्रमण के फैलने का जोखिम है, इसलिए हमें अस्पताल या अन्य संस्थानों के ज़रिये खुद जाकर रक्तदान करने की प्रक्रिया को प्रोत्साहित करना चाहिए। साथ ही क्योंकि थैलेसीमिया के मरीज़ों की इम्युनिटी कम होती है इसलिए उन्हें कोविड संक्रमण की गंभीरता का अधिक ख़तरा है इसलिए उन्हें कोविड संबंधति सभी नियमों का पालन सख्ती से करना चाहिए साथ ही यदि किसी प्रकार के कोविड के लक्षण नज़र आयें तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। इस दौर में हमें सुनिश्चित करना होगा कि थैलेसीमिया के मरीजों के चेक अप समय समय पर होते रहें, किसी प्रकार की बाधा न आये क्योंकि यह उनकी इलाज प्रक्रिया के सबसे अहम् हिस्से होते हैं। हरेक थैलेसीमिया के मरीज़ को सामान्य जीवन जीने का पूरा पूरा अधिकार है इसलिए उनके साथ सभी को सहयोग करना चाहिए। इसके अलावा भावी दम्पति विवाह से पहले अपनी अपनी जेनेटिक स्क्रीनिंग करवाएं तो यह अधिक उचित है क्योंकि इससे होने वाले शिशु में थैलेसीमिया होने की आशंका का पता लगाया जा सकता है, और निर्णय लिया जा सकता है।

-डॉ. मोहित सक्सेना, कंसल्टेंट, मेडिकल ऑन्कोलॉजी एंड हेमेटोलॉजी, नारायणा अस्पताल गुरुग्राम

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