सपा नेता नसीम अहमद वर्ष 2017 में पहली बार चुनाव लड़े थे लेकिन पहली बार में ही पूर्व मंत्री और समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता अताउर्रहमान से ज्यादा वोट हासिल कर सुर्खियां बटोरी थीं. अब वह खुद समाजवादी पार्टी से बहेड़ी सीट से टिकट की दावेदारी कर चुके हैं. इसी सीट से अताउर्रहमान भी टिकट के दावेदार हैं. नसीम अहमद में ऐसा क्या खास है कि पार्टी उन्हें टिकट दे? वर्तमान भाजपा विधायक के अब तक के कार्यकाल को वह किस नजरिये से देखते हैं? अगर पार्टी उन्हें मौका देती है तो उनके विकास का विजन क्या होगा? वे कौन से मुद्दे होंगे जिन्हें लेकर नसीम अहमद जनता के बीच जाएंगे? ऐसे कई मुद्दों पर सपा नेता और बहेड़ी विधानसभा सीट से टिकट के प्रबल दावेदार नसीम अहमद ने इंडिया टाइम 24 के संपादक नीरज सिसौदिया से खुलकर बात की. पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश…
सवाल : आप मूल रूप से कहां के रहने वाले हैं और पारिवारिक पृष्ठभूमि क्या रही?
जवाब : मैं मूल रूप से बरेली जिले के बहेड़ी कस्बे का रहने वाला हूं. मेरी कोई राजनीतिक पारिवारिक पृष्ठभूमि नहीं रही. मेरे पिता किसान थे और मेरा भाई रेलवे में अधिकारी है. वही हमारा राइस मिल का कारोबार भी देखते हैं. बहेड़ी में शुरुआती शिक्षा लेने के बाद मैंने बरेली कॉलेज से ग्रेजुएशन किया और फिर लखनऊ विश्वविद्यालय से एमएससी एमफिल की पढ़ाई पूरी की.
सवाल : करियर का सफर कब शुरू हुआ?
जवाब : पढ़ाई पूरी करने के बाद मैं इलाहाबाद चला गया. वहां सिविल सर्विसेज की तैयारी करने लगा. फिर मेरा वन विभाग में सेलेक्शन हो गया. जब मैं वन विभाग में नौकरी कर रहा था तो एस्टेट तभी से मेरा मन समाज सेवा करने का करता था. लगभग 20 साल नौकरी करने के बाद वर्ष 2016 में मैंने वीआरएस ले लिया था. मैं वन विभाग में एस्टेट ऑफिसर था.
सवाल : सक्रिय राजनीति में कब आना हुआ?
जवाब : नौकरी में रहते हुए समाजसेवा के दौरान मुझे लगा कि राजनीति में अच्छे लोगों का आना भी जरूरी है. अपने क्षेत्र में मैंने पिछड़ापन देखा था. किसानों की दुर्दशा, सड़कों की जर्जर हालत, महिलाओं के साथ उत्पीड़न की घटनाएं मुझे झकझोरती थीं. उच्च शिक्षा के लिए वहां कोई भी अच्छे स्कूल नहीं थे. इन सभी समस्याओं को दूर करने के लिए मैंने अपनी नौकरी के दौरान ही कार्य करना शुरू कर दिया था और अंतत: राजनीति में आने का निर्णय लिया और वर्ष 2016 में मैंने वीआरएस ले लिया. वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में बहेड़ी सीट से पूर्व मंत्री लड़ रहे थे और वर्तमान विधायक भी थे. वहां लोग एक बदलाव चाहते थे और बदलाव इसलिए चाहते थे क्योंकि लोगों की नाराजगी पार्टी से नहीं थी बल्कि व्यक्तिगत रूप से विधायक से लोग नाराज थे. क्योंकि क्षेत्र में 10-10 साल तक भाजपा व अन्य दलों के जो भी विधायक रहे उन्होंने कभी भी जनता के विकास की ओर ध्यान नहीं दिया सिर्फ अपने विकास की ओर ज्यादा ध्यान दिया. इन सब चीजों को एक चैलेंज के रूप में मैंने लिया और मोर्चा खोल दिया जिसमें मुझे बुद्धिजीवी वर्ग, युवाओं और किसानों का साथ मिला. मैं लगातार आंदोलन करता रहा. आंदोलन की वजह से मुझे वर्ष 2017 में बहुजन समाज पार्टी ने टिकट दिया और मैं पहली बार चुनाव लड़ा. जनता के सहयोग से मोदी लहर के बावजूद मैं विधानसभा चुनाव में दूसरे नंबर पर रहा. मुझे लगभग 66 हजार से भी अधिक वोट मिले थे. जो तीसरे नंबर पर थे उन्हें लगभग 63000 वोट मिले थे.
सवाल : आपकी पत्नी नगरपालिका की चेयरमैन हैं?
जवाब : विधानसभा चुनाव के कुछ महीने बाद नगर निकाय के चुनाव हुए. नगर निकाय की तैयारी मैं कर रहा था लेकिन महिला सीट होने की वजह से मैंने अपनी पत्नी को वहां के चुनाव लड़ाया. पिछले दो-तीन साल में मैंने क्षेत्र में जो सामाजिक कार्य किया था मेरे उस कार्य को देखते हुए हर जाति धर्म के लोगों ने मेरी पत्नी को भारी समर्थन से जिताया और भाजपा को छोड़कर अन्य सभी प्रत्याशियों की जमानत भी जब्त हो गई. यह बहेड़ी के इतिहास में पहली बार हुआ था. मेरी पत्नी पहली बार चुनाव लड़ी और पहली बार में ही नगर पालिका चेयरमैन चुन ली गईं.
सवाल : अब आपने बसपा को छोड़कर समाजवादी पार्टी जॉइन कर ली है, क्या कारण रहे बहुजन समाज पार्टी को छोड़ने के?
जवाब : बहुजन समाज पार्टी में बिना हाईकमान की परमिशन से कोई भी आंदोलन नहीं कर सकते थे. किसी भी अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद करने के लिए पहले हाईकमान की परमिशन लेनी पड़ती थी. बड़े रिस्ट्रिक्शन थे बसपा में. समाजवादी पार्टी में अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने के लिए हाईकमान की परमिशन की आवश्यकता नहीं है. बसपा में मैं घुटन महसूस कर रहा था क्योंकि मैं जानता था कि जब तक संघर्ष नहीं होगा, जब तक लोगों की लड़ाई मैदान में आकर नहीं लड़ी जाएगी तब तक सफलता मिलने में बहुत देर लगेगी. इसलिए मैंने समाजवादी पार्टी खासतौर पर अखिलेश यादव जी के साथ जुड़ने का फैसला किया. जब अखिलेश यादव जी मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने जो विकास कराया वह आज तक किसी और ने नहीं कराया. चाहे डायल हंड्रेड हो, 108 एंबुलेंस सेवा हो, महिला उत्पीड़न के लिए 1090 हेल्पलाइन हो, लखनऊ से आगरा तक का एक्सप्रेस हाईवे हो, कैंसर इंस्टीट्यूट हो, हर जिले के मुख्यालय को जोड़ने के लिए फोरलेन का निर्माण कराना हो, या अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम बनाना हो, सारे काम अखिलेश यादव जी के कार्यकाल में ही हुए. उन्होंने 175000 शिक्षामित्रों को परमानेंट किया था. आज बेरोजगारी की देखिए कितनी बुरी हालत है. बैकलॉग भर्ती के अंतर्गत लाखों लोगों को नौकरी मिली. किसानों के गन्ने का दाम हर साल बढ़ाया जाता था और उनकी सब्सिडी भी जारी रही. कन्या विद्याधन, एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक बच्चों के लिए छात्रवृत्ति भी अखिलेश जी की ही देन है. आपने देखा होगा कि आज ऑक्सीजन के अभाव में कोरोना से लोगों ने दम तोड़ दिया. अखिलेश यादव जी ने अपने कार्यकाल में 5 करोड़ पौधे लगवाए थे ताकि ऑक्सीजन का संकट दूर हो सके. आज जाने कितने लोगों ने कोरोना काल में अपनों को खोया है. गरीब आदमी ऑक्सीजन के सिलेंडर खरीद नहीं पाए. जो लोग कोरोना काल में बेरोजगार हुए, पैदल घरों तक जाने को मजबूर हुए और कई लोगों ने घर पहुंचते-पहुंचते अपनी जान तक गंवा दी. उन लोगों को जो डबल इंजन की सरकारें हैं उन्होंने न तो रोजगार दिया और न ही कोई बड़ी राहत पहुंचाई. केवल कागजी वादे किए गए और प्रैक्टिकल कहीं देखने को नहीं मिला.
सवाल : अब आप बहेड़ी विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं. बहेड़ी विधानसभा सीट से एक और दावेदार हैं अताउर रहमान, जो मंत्री भी रहे. आपको ऐसा क्यों लगता है कि पार्टी को उन्हें टिकट न देकर आपको टिकट देना चाहिए? आप में ऐसा क्या खास है?
जवाब : देखिए माननीय अखिलेश यादव जी ने कहा है कि जमीनी सर्वे के आधार पर टिकट दिया जाएगा. अगर जमीनी सर्वे के आधार पर टिकट दिया जाएगा तो जिसने काम किया है वही चुनाव जीतेगा. आज प्रधान पद का अध्यक्ष मेरा इसलिए बना है क्योंकि मेरे सबसे ज्यादा सदस्य जीते हैं. हमारे चार जिला पंचायत सदस्य जीते हैं. हमने लोगों की जमीनी तौर पर मदद की थी. जैसे- लॉकडाउन के दौरान कोई नेता बाहर नहीं निकला था. हम लोगों ने गांव गांव जाकर अपनी विधानसभा में ही नहीं बल्कि पूरी तहसील के अंदर जिनमें भोजीपुरा के भी कुछ गांव थे, दिल खोलकर लोगों की मदद की. गांव जादवपुर, मोहनपुर आदि में हमने काम किया जो भोजीपुरा विधानसभा सीट पर पड़ते थे. हमारे पास जो भी गरीब आया वह खाली हाथ नहीं गया. महिलाओं को ट्रिपल सी कोर्स के लिए फीस प्रोवाइड कराई गई. सत्ता का जो दुरुपयोग हो रहा था उसके विरुद्ध लड़ाई लड़ी. तहसील में लोगों के छोटे-छोटे काम (राशन कार्ड, वृद्धा पेंशन आदि कार्य) कराए और उसमें हमें 70 परसेंट सफलता भी मिली क्योंकि सरकार हमारी नहीं है. लेकिन अगर मेहनत करते हैं तो सफलता मिलती है. दूसरे नेताओं के बारे में मैं यही कहूंगा कि पिछले 4 साल से वे थाने तक नहीं गए हैं. आज तक कभी उन्होंने लोगों का दुख दर्द नहीं बांटा है. केवल इलेक्शन में निकलने के केवल इलेक्शन जीतने की सोचना बहुत आसान काम है. हमने पूरी रणनीति बनाकर पूरे 5 साल शहर में काम किया. देहात में मदद की. देहात के लोगों की मदद की और हमें पूरे विधानसभा के लोगों की मदद करने का मौका मिला. उसमें हमें पूरी सफलता मिली.
सवाल : वोटों का गणित क्या है आपकी विधानसभा सीट में?
जवाब : 38 से 39 परसेंट मुस्लिम वोटर हैं. उसके अलावा लगभग 5 परसेंट सिख वोटर हैं. एसटी का मोटर लगभग 10 परसेंट है. अति पिछड़ा वर्ग भी बहुत परेशान है. पर्टिकुलर एक ही जाति के काम हो रहे हैं. एक जाति का मतलब यह नहीं कि हिंदू धर्म के काम हो रहे हैं. जिस जाति के विधायक हैं वह सिर्फ उसी जाति पर ध्यान दे रहे हैं जबकि मेरी पत्नी ने चेयरमैनी जीतने के बाद हर वर्ग के काम किए हैं. इसका उदाहरण यह है कि कुल 25 मेंबर हमारे साथ में आए हैं. मौजूदा सरकार का तो यहां विरोध है ही लेकिन मौजूदा विधायक का विरोध भी बहुत ज्यादा है और उनकी बिरादरी में भी विरोध बहुत ज्यादा है कि विकास के नाम पर यहां कोई फैक्ट्री लेकर नहीं आए. कोई स्कूल नहीं बनवाया और सबसे बड़ी बात है कि बेरोजगारी और किसानों की समस्याओं का समाधान नहीं कर पाए क्योंकि बहेड़ी गन्ना उत्पादन और किसानों की बेल्ट कहलाती है. जिला बरेली के अंदर यहां हम तीन फसल तैयार करते हैं. पहली 60 दिन के अंदर धान तैयार करते हैं. दूसरा फिर धान तैयार करते हैं और सरसों वगैरह करते हैं.
सवाल : अगर पार्टी आपको मौका देती है तो आपके मुख्य चुनावी मुद्दे क्या होंगे?
जवाब : भारतीय जनता पार्टी की कथनी और करनी में फर्क है. सबका साथ सबका विकास कैसे हो सकता है जब महंगाई चरम सीमा पर है. आज ₹100 लीटर पेट्रोल बिक रहा है और ₹90 में डीजल मिल रहा है. गैस सिलेंडर के दाम ₹900 हो चुके हैं. जिला योजना के तहत सिलेंडर तो आपने दे दिए लेकिन हाथी पाल लिया तो उसका चारा भी चाहिए. जब कांग्रेस की सरकार थी तो जो स्मृति ईरानी जी हैं उन्होंने अपने कपड़े तक फाड़ दिए थे. आज इंटरनेशनल मार्केट में इतना ज्यादा रेट भी नहीं है फिर भी डीजल पेट्रोल इतना महंगा खरीदना पड़ रहा है. इसके लिए सरकार पूरी तरीके से जिम्मेदार है. दूसरा कोरोना से मौतों को सरकार छुपाने की कोशिश कर रही है. सबसे बड़ा मुद्दा है बेरोजगार, नौजवान और किसान. जब तक पढ़ने के बाद गवर्नमेंट या प्राइवेट जॉब न हो तो पढ़ाई का क्या मतलब है. नौकरी की दर निम्न स्तर पर आ चुकी है, इसलिए लोग बेरोजगार घूम रहे हैं और वह 2022 के चुनाव में इसका जवाब देंगे. किसानों को पिछले 4 साल से गन्ने का 1 रुपये भी योगी सरकार के नहीं बढ़ाया है. किसान बहुत परेशान है. उनका गुस्सा फूट रहा है. चाहे गन्ने की समस्या हो या तीन काले कानून, किसान आने वाले चुनाव में इसका जवाब देंगे. महिलाओं के उत्पीड़न के खिलाफ गंभीरता का हाल यह है कि 1090 हेल्पलाइन हमारी अखिलेश सरकार ने चलाई लेकिन उसको आगे ले जाने का काम इस सरकार में नहीं किया गया. जब कुलदीप सिंह सेंगर ने रेप किया तो उन्होंने गवाहों के मर्डर तक करवा दिए गए.
तीसरा जाति और धर्म के नाम पर जो नफरत फैलाई जा रही है, समाज में ऐसा बीज बो दिया गया है कि वह विकास दर को घटा रहा है और उसे दूर करने में वर्षों लग जाएंगे. मैं तो यही कहूंगा कि अभी भी वक्त है भारतीय जनता पार्टी को उखाड़ फेंकने का. जो आज की भाजपा है और पहले की भाजपा में चौगुना अंतर आ चुका है.
सवाल : आपके स्थानीय मुद्दे क्या होंगे?
जवाब : स्थानीय मुद्दों में सबसे इंपोर्टेंट है सड़क मार्ग. हमारे क्षेत्र के अंदर जगह-जगह गांवों से जो जोड़ने वाली सड़कें हैं उनकी हालत जर्जर है, सफाई व्यवस्था चौपट है और किसानों को 1 साल से बहेड़ी चीनी फैक्टरी द्वारा गन्ने का भुगतान नहीं मिल रहा है. हम उसे समय से करवाएंगे. किसान अगर खुश होगा तो मार्केट में पैसा आएगा. व्यापारी के पास भी आएगा. उससे व्यापारी भी खुश होगा और जो हमारा नौजवान उत्तराखंड पढ़ने जाता है दिल्ली जाता है और लौट कर आकर वह बेरोजगार हो जाता है उनके रोजगार के लिए जब समाजवादी पार्टी की सरकार आएगी तो ऐसी योजना लाएगी कि ट्रेनिंग देने के बाद बेरोजगारों को अपने पैरों पर खड़ा करने का काम समाजवादी पार्टी करेगी.
तीसरा मुद्दा हमारे क्षेत्र में भूमाफिया का है. भूमाफिया का जमीनों पर जो कब्जा है उसमें बड़े-बड़े नेता शामिल हैं, बड़े बड़े अधिकारी शामिल हैं उन माफियाओं को बहेड़ी से खदेड़ दिया जाएगा और सलाखों के पीछे भेजा जाएगा. अब तक जो भी नेता बना, विधायक बना, उसमें सिर्फ अरबों रुपए की गरीबों की जमीनों पर कब्जा करने का काम किया है. इसे हम आगे होने नहीं देंगे. थाने और तहसील जहां आज रिश्वत पहले से दोगुनी कर दी गई है उस पद पूरी तरह से अंकुश लगाएंगे नहीं तो ऐसे अधिकारियों को वहां नहीं रहने देंगे. उनके खिलाफ आंदोलन करेंगे.
सवाल : आपका कोई ऐसा ड्रीम प्रोजेक्ट जिसे आप विधायक बनने के बाद पूरा करना चाहते हैं?
जवाब : अगर आप बहेड़ी की बात करें तो मैंने पैरामेडिकल साइंस के लिए अप्लाई कर दिया है और बहुत जल्दी मेरा पैरामेडिकल साइंस कॉलेज शुरू हो जाएगा. बिल्डिंग तैयार है, हॉस्पिटल स्टार्ट हो चुका है. अगर लोगों को वहां बी फार्मा, नर्सिंग और छोटे-छोटे कोर्स करने को मिलेंगे तो उन्हें रोजगार भी मिलेगा. उसके बाद हमने सोचा है कि ऐसा कोचिंग सेंटर बनाया जाएगा जो आईएएस और आईपीएस तैयार करेगा. हम चाहते हैं कि जिस तरह से ईस्टर्न यूपी और बिहार के लोग और नवाबगंज तहसील आईएएस-आईपीएस तैयार कर रही है उसी तरह हमारे बहेड़ी के युवा भी सिविल सर्विसेज की परीक्षा में सफल हो सकें. उत्तराखंड में हमारे दो से ढाई हजार लोग सिडकुल में नौकरी करने जाते हैं उनके रोजगार की व्यवस्था तभी होगी जब उनको टेक्निकल एजुकेशन मिलेगी तो हम यह भी प्रयास करेंगे.
सवाल : बहेड़ी विधानसभा क्षेत्र के वर्तमान विधायक के कार्यकाल को आप किस नजरिए से देखते हैं?
जवाब : विधायक जी ने पिछले विधायकों के कार्यों को ही आगे बढ़ाया है. उन्होंने ट्रक यूनियन से वसूली की है, जब ट्रक वालों से वसूली होती है तो लोगों पर किराए का भार बढ़ जाता है. इसके अलावा जो आम लोगों का गल्ला बंटता है, सरकार से दो-दो बार गल्ला बांटने के लिए दिया है. कोटेदार अंगूठा भी लगवा लेते हैं लेकिन एक ही बार लोगों को राशन मिल पाता है. कोटेदारों से मौजूदा विधायक और उनके प्रतिनिधि वसूली करते हैं. अवैध जो भी कार्य चल रहे हैं, चाहे कच्ची शराब का काम हो, अवैध खनन का कार्य हो, उससे सरकार के राजस्व को हानि पहुंच रही है. यह पैसा अगर सरकार के पास पहुंचता तो हमारे विकास के कार्य में आता. पिछले तहसील दिवस में अधिकारियों को इस बारे में अवगत कराया गया था. उसके अलावा गुंडागर्दी बढ़ी है. लॉकडाउन में जो सामान आया वह सही लोगों तक नहीं पहुंच पाया. उसे बेच दिया गया. इसलिए सरकार नाकाम है. किसान और नौजवान परेशान है. इस परेशानी की वजह से व्यापारी भी परेशान है. लॉकडाउन ने कमर तोड़ रखी है तो उसके ऊपर जीएसटी है. विधायक जी ने अपने कार्यकाल में कोई एक ऐसा काम नहीं किया जो जनता के हित का हो. सबसे बड़ी जरूरत थी हमारे यहां टेक्निकल एजुकेशन के लिए एक कॉलेज बनाया जाए जिससे छात्रों को टेक्निकल एजुकेशन मिलती. जिससे लोगों को उत्तराखंड में सिडकुल में रोजगार मिल सकता था. बरेली में रोजगार मिल सकता था. उन्होंने अवैध खनन पर अंकुश नहीं लगाया और खनन से पर्यावरण और जमीन को कितना नुकसान हो रहा है. तीसरा जो इस वक्त उनके रिश्तेदार हैं, ब्लाक प्रमुख आज बन गए हैं, उन लोगों ने कोई डिपार्टमेंट ऐसा नहीं छोड़ा जहां से वसूली नहीं हो रही है. चाहे थाने हों, तहसील हो या और सरकारी विभाग हों. जब अधिकारी मजबूर हो जाते हैं तो वे जनता की बात नहीं सुनते. इसे पूरा ट्रांसपेरेंट करना है और भ्रष्टाचार को खत्म करना है. वर्तमान विधायक मैं मानता हूं कि पूरी तरह से नाकाम साबित हुए हैं और बरेली विधानसभा क्षेत्र में कोई विकास नहीं हुआ है.