इंटरव्यू

विधायक बना तो जरी व फर्नीचर उद्योग के लिए प्लेटफार्म उपलब्ध कराऊंगा, पढ़ें भाजपा के ब्रज क्षेत्र उपाध्यक्ष हर्षवर्धन आर्य का स्पेशल इंटरव्यू

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हर्षवर्धन आर्य गैर राजनीतिक पारिवारिक पृष्ठभूमि से ताल्लुक़ रखते हैं. महज 17 साल की उम्र में भारतीय जनता युवा मोर्चा से बतौर कार्यकर्ता अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत करने वाले हर्षवर्धन आज ब्रज क्षेत्र के उपाध्यक्ष हैं. अपने लगभग 25 वर्षों के राजनीतिक सफर में विभिन्न दायित्व निभाने वाले हर्षवर्धन आर्य वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में बदायूं लोकसभा सीट के प्रभारी भी रहे. सबसे कम उम्र के लोकसभा चुनाव प्रभारी होने की उपलब्धि भी हर्षवर्धन आर्य के नाम दर्ज है. अब वह भारतीय जनता पार्टी से कैंट विधानसभा सीट से टिकट के प्रबल दावेदार हैं. महंगाई और किसान आंदोलन जैसे मुद्दों के बीच विधानसभा चुनाव में भाजपा जनता का भरोसा कैसे जीतेगी? अगर पार्टी हर्षवर्धन आर्य को प्रत्याशी बनाती है तो उनके चुनावी मुद्दे क्या होंगे? कानून व्यवस्था को वह किस नजरिये से देखते हैं? गरीबों को मुफ्त रसोई गैस भरवाने की सुविधा देने की मांग पर उनकी निजी सोच क्या है? क्या वह सरकार और पार्टी के मंच पर इस मुद्दे को उठाएंगे? पुराना शहर के जरी जरदोजी और फर्नीचर कारीगरों की बेरोजगारी दूर करने के संबंध में वह क्या सोचते हैं? ऐसे कई मुद्दों पर  ब्रज क्षेत्र के उपाध्यक्ष हर्षवर्धन आर्य ने इंडिया टाइम 24 के संपादक नीरज सिसौदिया के साथ खुलकर बात की. पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश…
सवाल : आप मूल रूप से कहां के रहने वाले हैं, पारिवारिक पृष्ठभूमि क्या रही?
जवाब : मैं मूल रूप से बरेली का ही रहने वाला हूं. पुराना शहर के कटरा चांद खां स्थित पुश्तैनी मकान में मेरा जन्म हुआ था और वर्तमान में मैं राजेंद्र नगर में रहता हूं. मेरी कोई राजनीतिक पारिवारिक पृष्ठभूमि नहीं रही है मगर समाजसेवी के तौर पर मेरे पिता आर्य समाज से लंबे समय तक जुड़े रहे. मैं भी बाल्यावस्था से ही आर्य समाज और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ा रहा.
सवाल : आपने पढ़ाई-लिखाई कहां तक की?
जवाब : मेरे पिता बीमार रहने लगे थे और व्यवसाय संभालने वाला कोई नहीं था जिस कारण मुझे 12वीं के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी.
सवाल : राजनीति में कब औऱ क्यों आना हुआ?
जवाब : राजनीति में आने का उद्देश्य समाज सेवा और राष्ट्र सेवा करना था. वर्ष 1998-99 में युवा मोर्चा से एक कार्यकर्ता के तौर पर जुड़ा था. यहीं से मेरे राजनीतिक सफर की शुरुआत हुई.
सवाल : वर्ष 1998 से लेकर अब तक का राजनीतिक सफर कैसा रहा? क्या-क्या जिम्मेदारियां मिली संगठन की ओर से आपको?
जवाब : बतौर कार्यकर्ता युवा मोर्चा से जुड़ने के बाद मुझे उस वक्त टीबरीनाथ मंडल का मंत्री बनाया गया था. उसके बाद लगातार काम करता रहा. वरिष्ठ लोगों से बहुत कुछ सीखने को मिला. संगठन के विषय में जानकारी ली. युवा मोर्चा में लंबे समय तक काम किया और बहुत अच्छे लोगों के साथ काम किया. मंडल के बाद महानगर टीम में जिम्मेदारी मिली और उसके बाद मैं प्रदेश कार्यसमिति का सदस्य भी रहा. कई साल बिना दायित्व के भी मैंने संगठन में निरंतर कार्य किया. वर्ष 2010 में मुझे युवा मोर्चा के बरेली जिला अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी मिली. वर्ष 2013 तक मैं युवा मोर्चा का जिलाध्यक्ष रहा और 2013 से 2016 तक मैं पांचाल क्षेत्र (जिसमें बरेली मंडल के 5 जिले आते थे) में युवा मोर्चा का क्षेत्रीय अध्यक्ष रहा और उसके बाद जब पांचाल और ब्रज क्षेत्र एक हो गए तो वर्ष 2016 से अब तक मैं क्षेत्रीय उपाध्यक्ष का दायित्व संभाल रहा हूं. मुझे लगातार तीन बार ब्रज क्षेत्र में उपाध्यक्ष का दायित्व मिला है. इसके साथ-साथ बहुत सारे अभियान मैंने क्षेत्र में चलाए और भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश ने मुझे माननीय प्रधानमंत्री जी की करीब 7 से 8 रैली कराने का भी अवसर दिया.
सवाल : कुछ रैलियों का जिक्र करना चाहेंगे?
जवाब : वर्ष 2017 में जब परिवर्तन यात्रा निकली थी तो उसमें माननीय अमित शाह जी की रैली का पूरा काम मैंने देखा था. उससे पूर्व माननीय मोदी जी ने वर्ष 2016 में किसान बीमा योजना लॉन्च की थी, उस दौरान भी मैंने काम देखा था. पूर्ण रूप से मैंने जो रैलियों का काम देखा वह शाहजहांपुर, बहराइच, मऊ आजमगढ़ आदि जगहों पर देखा. संगठन द्वारा मुझे कई जगहों पर भेजा गया. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने मुझे बदायूं जैसी कठिन सीट का लोकसभा प्रभारी बनाया था. मैं सबसे कम उम्र का लोकसभा प्रभारी था. यह मेरा भी सौभाग्य है कि संगठन के कार्यकर्ताओं ने और हम सब ने मिलकर बदायूं सीट भी जीतकर पार्टी की झोली में डाली थी.

अपने राजनीतिक सफर के बारे में बताते हर्षवर्धन आर्य

सवाल : आपका राजनीतिक सफर काफी उपलब्धियों भरा रहा है लेकिन वर्तमान में जो राजनीतिक हालात बन रहे हैं, किसान आंदोलन चल रहा है, कई मुद्दों पर सरकार की खिलाफत हो रही है, महंगाई चरम पर है, पेट्रोल भी महंगा हुआ है, इन सब मुद्दों के बीच क्या आपको लगता है कि इस बार भाजपा फिर से सत्ता में आ पाएगी? जनता का भरोसा आप कैसे जीतेंगे?
सवाल : आप देखिए वर्ष 2014 में जब से मोदी जी की सरकार बनी है तब से भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता गांव-गांव जाकर जमीनी स्तर पर लोगों से संपर्क करते हुए सरकार की नीतियों को बताने में, लोगों की सेवा करने में जुटे हैं. जनता के बीच जब एक कार्यकर्ता जाता है तो यह महसूस होता है कि योगी जी और मोदी जी की नीतियों से जनता निश्चित तौर पर प्रभावित है. जहां तक अन्य विषयों की बात है तो उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था में निश्चित तौर पर एक बड़ा परिवर्तन हुआ है और माननीय योगी जी और मोदी जी लगातार उत्तर प्रदेश पर फोकस करके काम कर रहे हैं. प्रदेश की व्यवस्थाएं लगातार ठीक करने का प्रयास हम लोग कर रहे हैं. इसमें कार्यकर्ता भी सक्रिय हैं और सरकार तो काम कर ही रही है. लोगों का सपोर्ट मिलता है. उत्तर प्रदेश एक ऐसा प्रदेश बन गया था जहां पर क्षेत्रीय दल प्रभावी थे और इसके कारण प्रदेश की स्थिति बहुत अच्छी तरह से उभर नहीं पा रही थी. आप देखेंगे कि कुछ दिनों में उत्तर प्रदेश भारत के अग्रणी राज्यों की श्रेणी में खड़ा होने जा रहा है. बिजली की व्यवस्था बहुत अच्छी है. गांव में 17 घंटे बिजली दे रहे हैं और शहरों में लगभग 22-23-24 घंटे लगातार बिजली आ रही है. कानून व्यवस्था की अगर बात करें तो गाजियाबाद से लेकर गाजीपुर और पीलीभीत से ललितपुर तक कानून व्यवस्था में बहुत बड़ा परिवर्तन हुआ है.
सवाल : क्या पहले कानून व्यवस्था अच्छी नहीं थी?
जवाब : नहीं, बिल्कुल अच्छी नहीं थी उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था. मैं तो व्यापारी भी हूं और मुझे लगता है कि व्यापारियों की स्थिति यह थी कि सत्ताधारी दल के लोग व्यापारियों को धमकाते थे और पैसे उगाही करते थे. यह मैं बड़ा आरोप लगा रहा हूं लेकिन यह सच्चाई है. मोटरसाइकिल लूट हो गई, गाड़ियों में लूट हो गई, 5:00 बजे के बाद देहाती इलाकों में लोग जाने से डरते थे, यह सच्चाई है और पिछले 4 सालों में हम कह सकते हैं कि अब रात के 12:00 बजे, 1:00 बजे भी उत्तर प्रदेश के किसी भी मार्ग पर आप जाओगे तो किसी भी प्रकार का डर का वातावरण आपको दिखाई नहीं देगा. यह एक बड़ा परिवर्तन है और जैसा कि मीडिया को भी पता है कि पूरे उत्तर प्रदेश में जो अपराधी किस्म के लोग थे वे या तो उत्तर प्रदेश छोड़ गए या अच्छे काम करने के लिए खुद को प्रोत्साहित कर रहे हैं.
सवाल : तो इसका मतलब यह माना जाए कि इस बार आप कानून व्यवस्था के मुद्दे पर चुनाव लड़ेंगे, महंगाई मुद्दा नहीं होगा?
जवाब : देखिए कानून व्यवस्था सुदृढ़ हुई है, अच्छी हुई है, इसके साथ-साथ प्रदेश में विकास की लहर चल रही है और जहां तक महंगाई का विषय है तो ऐसी स्थिति नहीं है बहुत ज्यादा महंगाई बढ़ी है. ग्लोबल सिस्टम होने के बाद चीजों के भाव में अंतर आता है. सरकार की कोशिश यही है कि वह जनता को सस्ती से सस्ती और अच्छी से अच्छी व्यवस्था उपलब्ध करा सके.कई बार डिमांड और सप्लाई में उतार चढ़ाव होते हैं. जहां तक खाद्यान्नों का विषय है इस प्रकार के उतार-चढ़ाव होते रहते हैं. ऐसा नहीं है कि सब चीजें महंगी हैं, कुछ चीजें सस्ती भी हुई हैं. निश्चित तौर पर पेट्रोल और डीजल के रेट बढ़े हैं लेकिन समय के साथ-साथ वह कम भी होंगे.

http://यहां एक छत के नीचे पढ़ी जाती है रामायण और कुरान, यहां मजहब से ऊंचा है इंसान, सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल हैं इं. अनीस खान, जानिये क्यों? – India Time 24 https://indiatime24.com/2021/09/07/anis-ahmad-khan-respect-all-religions/#.YTblDsuwXuQ.whatsapp

सवाल : इसका उपाय क्या है? गरीब तबके को महंगाई से निजात कैसे मिलेगी?
जवाब : देखिये, मैंने महसूस किया है कि 2014 से 2021 चल रहा है, लगभग 7 वर्ष का समय मोदी जी की सरकार को हो गया है. भाजपा का एक मूल मंत्र है अंत्योदय. पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी ने काम किया था इस पर. अंत्योदय का मतलब है कि जो समाज के पीछे पायदान पर खड़ा है उसे समाज की मुख्यधारा पर लाने का काम किया जाए. भाजपा की जितनी भी नीतियां हैं, चाहे वह नीति बैंक अकाउंट खोलने के लिए हो, शौचालय बनाने के लिए हो, मकान बनाने के लिए हो, गांव में सड़क बनाने की हो, गरीबों को मुफ्त शिक्षा देने की हो, उज्ज्वला योजना हो, चाहे कौशल विकास की बात हो, सरकार की जितनी भी योजनाएं हैं उनमें फोकस सिर्फ गरीब पर ही है और भाजपा का मूल सिद्धांत अंत्योदय का ही है. जिसको लेकर लगातार मोदी जी काम कर रहे हैं. आप देखेंगे कि कई बार अपने परिवार में भी हम सबको संतुष्ट नहीं कर सकते और भारत 135 करोड़ की आबादी का देश है. आजादी के बाद 50 या 60 वर्षों में जो सरकारें हमारे देश में रहीं उनकी बहुत सी ऐसी कमियां थीं, उनके बहुत से ऐसे गड्ढे थे जिनको पाटने में हमें लगातार संघर्ष करना पड़ रहा है तो उसका भी फर्क पड़ रहा है. मैं आपके माध्यम से सबको और विशेष तौर पर गरीब तबके को यह आश्वस्त करना चाहता हूं कि जो नीतियां मोदी जी ने बनाई हैं उनका आप गहनता से अध्ययन करेंगे तो बहुत जल्द हम इन परिस्थितियों से बाहर निकल जाएंगे.

सरकार की उपलब्धियों के बारे में बताते हर्षवर्धन आर्य

सवाल : आपने अभी उज्ज्वला योजना की बात कही. इसके तहत मुफ्त सिलेंडर दिए गए. जो गरीब गैस कनेक्शन नहीं खरीद पा रहे थे वह 1000 रुपये का सिलेंडर कैसे खरीदेंगे? क्या आपको नहीं लगता कि ऐसे गरीबों को मुफ्त सिलेंडर भराने की सुविधा भी दी जानी चाहिए ताकि उसे इस योजना का लाभ मिल सके?
जवाब : आप देखिए सरकार लगातार ऐसी व्यवस्था बना रही है कि हम गरीबों को स्वावलंबी कर पाएं, उनको रोजगार देने की स्थिति बना पाएं, उनके परिवार के बच्चों को स्वावलंबी बनाना है उन्हें काम देना है. जहां तक मुफ्त सिलेंडर भरवाने की बात है तो मुझे लगता है कि सरकार सब्सिडाइज्ड सिलेंडर देने का काम भी कर रही है और कहीं न कहीं लोग उसको भरवाने का काम भी कर रहे हैं.

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सवाल : सब्सिडाइज्ड सिलेंडर की आपने जो बात कही है उसमें तो 15-20 रुपये का ही अंतर है, सब्सिडी भी इतनी ही आ रही है तो इसमें गरीब को क्या फायदा है?
जवाब : अब जो भी अंतर है, जो भी व्यवस्था है, बात आपकी ठीक है पर निश्चित तौर पर हमें कहीं से व्यवस्था बनाई है.
सवाल : हम आपकी निजी सोच जानना चाहते हैं इस मुद्दे पर क्योंकि आपने कैंट विधानसभा सीट से दावेदारी भी की भाजपा के टिकट के लिए और कैंट विधानसभा सीट पर बड़ी तादाद में गरीब लोग रहते हैं. आप क्या चाहते हैं उन लोगों के लिए? क्या यह मुद्दा आप उठाएंगे? सरकार के समक्ष रखेंगे यह प्रस्ताव कि इन लोगों को गैस सिलेंडर मुफ्त भरवाकर दिए जाने चाहिए या आधे दामों पर दिए जाने चाहिए या कितने दामों पर दिए जाने चाहिए ताकि ये गरीब भी उज्ज्वला योजना का लाभ उठा सकें?
जवाब : निश्चित तौर पर मुझे लगता है कि अगर ऐसी आवश्यकता सरकार को महसूस होगी और समाज में इस प्रकार की कोई मांग होगी तो निश्चित तौर पर हम इस संबंध में सुझाव देंगे और प्रयास करेंगे कि जो एक दुर्बल आय वर्ग के लोग हैं उनको सस्ता सिलेंडर दिलवाने की व्यवस्था बना पाएं तो अच्छा रहेगा.
सवाल : कैंट विधानसभा सीट से भाजपा के टिकट के दावेदारों में आप भी शामिल हैं, क्या प्रमुख स्थानीय मुद्दे होंगे कैंट विधानसभा सीट के जिन पर आप चुनाव लड़ना चाहेंगे?
जवाब : वर्ष 2012 के परिसीमन में कैंट विधानसभा का स्वरूप काफी हद तक बदला है और इसमें जो आने वाला क्षेत्र है उसमें बहुत से क्षेत्र हैं जिनमें घनी आबादी है. पुराना शहर है, कटरा चांद खां है, मढ़ीनाथ है, जगतपुर है, सुभाष नगर आदि ऐसे क्षेत्र हैं जहां बहुत घनी आबादी है. कहीं न कहीं अभी तक जो हमारे विधायक रहे हैं उनके द्वारा प्रयास भी किए गए हैं और मेयर साहब द्वारा भी लगातार प्रयास जारी हैं, जहां जल निकासी या सड़कों की दिक्कत है उसको लगातार सरकार के द्वारा दूर किया जा रहा है लेकिन अभी बहुत सारा काम उसमें करने के लिए बाकी है. सुभाष नगर में नाले को लेकर, सड़क को लेकर एक समस्या काफी बड़ी है, वहां जो संपर्क मार्ग है सुभाष नगर का उसकी भी एक बहुत बड़ी समस्या है जिस पर पुल बनाने का काम भी होने जा रहा है, पुराने शहर में भी इस तरह की दिक्कत है. संकरी गलियां है, नालियों की दिक्कत है तो मुझे लगता है कि और अच्छी व्यवस्था हम वहां दे सकते हैं. इस प्रकार के हम प्रयास करेंगे. जो गंदगी का प्रभाव है उसको भी कम करने का प्रयास होगा. लोगों को एक अच्छा वातावरण रहने के लिए मिल सके उसकी चिंता करेंगे. दूसरा जो पिछड़ी बस्तियां भी है वहां पर उनमें स्वच्छ पानी कम से कम ऐसा पानी जिसे लोग आसानी से इस्तेमाल कर सकें उसकी व्यवस्था कराने की कोशिश रहेगी.

जरी जरदोजी के मुद्दे पर अपनी बात रखते हर्षवर्धन आर्य।

सवाल : पुराने शहर का एक प्रमुख मुद्दा रोजगार का भी है. वहां जरी जरदोजी का कारोबार था, फर्नीचर का कारोबार था तथा बेंत का कारोबार हुआ करता था वह चौपट हो गया, तो अब जो कारीगर बेरोजगार हो गए वे या तो सब्जी बेचने को या मजदूरी करने को मजबूर हैं. तो इन लोगों के लिए क्या सोचते हैं आप?
जवाब : देखिए जरी जरदोजी का जो काम है वह मुख्यतः तो निर्यात पर निर्भर है और कोविड के कारण से इस व्यापार में निश्चित तौर पर फर्क पड़ा है. हमारे एक्सपोर्टर है जिन्हें केंद्रित करके माननीय संतोष गंगवार जी कपड़ा मंत्री रहे तो उनके माध्यम से भी यह प्रयास किए गए कि इस पर हम लोग काम कर पाएं पर मुझे लगता है कि कहीं न कहीं कोई दिक्कत रही होगी क्योंकि उनके प्रयासों में कोई कमी नहीं थी. तो यह देखना होगा कि जरी का काम कैसे पटरी पर आएगा? दूसरी आपने फर्नीचर की बात कही तो मुझे लगता है कि बरेली का फर्नीचर जो है वह पूरे भारत में मशहूर है जिसमें सिकलापुर का जो क्षेत्र है हमारा वहां बहुत अच्छा फर्नीचर लोग बनाते हैं और बहुत सस्ता फर्नीचर बरेली का है. है. मुझे लगता है कि जो बात आपने कही है कि पूरे भारत का और विश्व का ध्यान बरेली की ओर जा पाए इसके लिए सरकार से चिंता करने की बात भी निश्चित तौर पर करेंगे और उनको एक ऐसा स्थान दोनों कामों के लिए उपलब्ध कराने की बात निजी तौर पर मेरे मन में है कि एक ऐसा मार्केट उपलब्ध करा पाएं जिसकी व्यापकता पूरे विश्व में हो और उसकी कनेक्टिविटी पूरे विश्व में हो और हम यहां की चीजों को जरी और फर्नीचर को पूरे विश्व में पहुंचा पाएं. एक्सपोर्ट सेंटर की डिमांड भी निश्चित तौर पर है और मुझे मौका मिलेगा तो ऐसा कुछ करने का तो करेंगे. हमारे पास जरी का बहुत अच्छा काम है, फर्नीचर का बहुत अच्छा काम है इसलिए यहां पर एक ऐसा केंद्र बनाने की सोची जा सकती है जिसकी व्यापकता वैश्विक बाजार में हो.

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