नीरज सिसौदिया, लखनऊ
बेरोजगारी, महंगाई, महिलाओं के प्रति अपराधों और कानून व्यवस्था की बदहाली समेत विभिन्न मुद्दों को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) के सभी विधायक और विधान परिषद सदस्य सोमवार को पार्टी मुखिया अखिलेश यादव के नेतृत्व में पैदल मार्च कर विधानमंडल सत्र में हिस्सा लेने पहुंचे। सपा के राष्ट्रीय सचिव राजेन्द्र चौधरी ने बताया कि पार्टी के विधानसभा एवं विधानपरिषद सदस्य दल के प्रदेश मुख्यालय से सोमवार को शुरू हो रहे विधानमण्डल के मॉनसून सत्र में शामिल होने के लिए पैदल विधानसभा पहुंचे। इस पदयात्रा का नेतृत्व पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने। पैदल मार्च में शामिल विधायकों और विधान परिषद सदस्य के हाथों में तख्तियां थीं जिनमें बेरोजगारी, महंगाई, महिलाओं के शोषण, कानून व्यवस्था की बदहाली, शिक्षा, स्वास्थ्य के क्षेत्र में गड़बड़ी, बिजली संकट, किसानों, नौजवानों के साथ हो रहे अन्याय से जुड़े मुद्दों का उल्लेख किया गया था। यह पदयात्रा पार्टी कार्यालय से शुरू होकर राजभवन और जीपीओ स्थित गांधी प्रतिमा के सामने से गुजरी। गौरतलब है कि सपा विधायकों को पिछली 14 से 18 सितंबर तक विधान भवन स्थित चौधरी चरण सिंह की प्रतिमा के सामने धरना प्रदर्शन करना था लेकिन प्रशासन ने विभिन्न आदेशों का हवाला देते हुए उन्हें ऐसा करने से रोक दिया, जिसके बाद पार्टी ने अपना कार्यक्रम निरस्त करते हुए पर यात्रा निकालने का फैसला किया था।
सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी ने बताया कि विधानमण्डल के वर्तमान सत्र में पार्टी जनसमस्याओं को पुरजोर तरीके से उठाएगी। उन्होंने बताया कि प्रदेश में भाजपा सरकार बदले की भावना से काम कर रही है। हत्या, लूट, अपहरण और बलात्कार की घटनाओं से पूरा प्रदेश सिहर उठा है। लोकतंत्र की भावना के विपरीत भाजपा नफरत की राजनीति कर रही है और भाजपा के कारण सामाजिक सद्भाव खतरे में है।
वहीं, समाजवादी पार्टी के इस मार्च पर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी जिसे मार्च का नाम देकर विरोध प्रदर्शन कर रही है वह जनता के हितों से जुड़ा हुआ है ही नहीं। अगर उन्हें जनता से जुड़े किसी मुद्दे पर चर्चा करनी है तो सदन में करनी चाहिए, जो कार्यवाही का हिस्सा बने। सरकार चर्चा के लिए तैयार है।