नीरज सिसौदिया, नई दिल्ली
राजधानी दिल्ली के कई इलाकों में गोतस्कर खुलेआम गोकशी कर रहे हैं। पुलिस प्रशासन उन्हें रोकने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहा। जब कोई संगठन या गोसेवक इन माफियाओं के खिलाफ आवाज उठाता है तो उसके हाथ पैर तोड़कर या गोलियां बरसाकर उसका मुंह बंद कर दिया जाता है। पीड़ित अगर पुलिस के पास जाता है तो पुलिस बामुश्किल एफआईआर तो दर्ज कर लेती है लेकिन आरोपियों को गिरफ्तार नहीं कर पाती। कुछ ऐसा ही विश्व हिन्दू परिषद से जुड़े संगठन गोसेवा निधि के उत्तर भारत के प्रमुख और गोसेवक पंडित कृष्णानंद शास्त्री के साथ।
अपनी आप बीती बताते हुए कृष्णानंद शास्त्री कहते हैं कि
गोकशी के खिलाफ हम लगातार अभियान चलाते रहे हैं और अब भी चला रहे हैं। इसके कारण गोकशों ने मुझे कई बार जान से मारने की कोशिश भी की। मुझ पर हमला किया गया, गोलियां चलाई गईं। एक वाकये का जिक्र करते हुए शास्त्री कहते हैं, ‘वर्ष 2019 की बात है। दिल्ली के ही गाजीपुर इलाके में कुछ गाय काटी जा रही थीं। हमें जैसे ही इसकी सूचना मिली तो हम मौके पर पहुंचे। ये लोग भैंसों के बीच काले बछड़ों और गायों को ले जाते थे और गोकशी करते थे। हमने उन्हें ऐसा करने से मना किया तो उन्होंने हम पर गोलियां चला दीं। इसके बाद मैंने मेनका गांधी जी का सहयोग लिया। लेकिन हमलावर आज तक गिरफ्तार नहीं हो सके। इसके बाद वर्ष 2021 और 2022 में भी मुझ पर हमला हुआ। हम पर गोलियां चलाई गईं लेकिन गोमाता की कृपा से मेरी जान बच गई। इसके बाद भी हमने गोकशी के खिलाफ अभियान जारी रखा। नतीजा यह हुआ कि 26 जून 2023 को एक बार फिर मुझ पर गोकशों ने हमला कर दिया। मुझे बुरी तरह पीटा गया। मेरे हाथ पैर तोड़ दिए गए। मैं करीब दो से ढाई महीने बिस्तर पर रहा। उससे पहले भी कई बार मेरी हत्या करने की कोशिश की गई लेकिन हमने गोकशी के खिलाफ अभियान बंद नहीं किया। मुझ पर इतने हमले हुए लेकिन गोमाता की कृपा से मैं हर बार बच जाता हूं।’
आप पर इतने हमले हुए। फिर भी आप अभियान बरकरार रखे हुए हैं। क्या कभी ऐसा नहीं लगा कि अब ये सब छोड़ देना चाहिए, पूछने पर कृष्णानंद शास्त्री कहते हैं, ‘हम संघ से जुड़े हुए हैं। गो सेवा तो हमारे खून में है। हमारा मानना है कि जहां से हम जुड़े हैं हमारा जीना मरना वहीं है।
गो तस्करों और गोकशी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई न होने के लिए कृष्णानंद शास्त्री दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार दोनों को ही जिम्मेदार ठहराते हैं। कहते हैं कि आम तौर पर दिल्ली पुलिस गोकशी करने वालों के खिलाफ एफआईआर ही दर्ज नहीं करती। कुछ मामलों में जब हम लोगों के हस्तक्षेप से एफआईआर दर्ज भी करा दी जाती है तो दिल्ली सरकार के पब्लिक प्रॉसिक्यूटर अदालत में सही तरीके से मामले की पैरवी नहीं करते। नतीजतन, या तो गोकशी करने वाले बाइज्जत बरी कर दिए जाते हैं या फिर मामला सालों साल अदालत में ही लटका दिया जाता है। ये बंटा हुआ प्रशासन इसके लिए जिम्मेदार है। दिल्ली सरकार इन लोगों को बढ़ावा दे रही है। वह काम ही नहीं करना चाहती। दिल्ली में आपको कुत्ता रखने की तो परमिशन है लेकिन गाय रखने की परमिशन नहीं है।
कृष्णानंद शास्त्री यहीं नहीं रुकते हैं। वह बताते हैं कि दिल्ली के कई इलाकों में आज भी खुलेआम गोकशी हो रही है। वह कहते हैं कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के सीमापुरी, गाजीपुर, सराय काले खां, नरेला और सिंधू बॉर्डर सहित कई इलाके ऐसे हैं जहां खुलेआम बेरोकटोक गोकशी हो रही है। खासतौर से जो बॉर्डर के इलाके हैं उन सबमें गोकशी हो रही है।
दिल्ली के इन इलाकों में हो रही गोकशी के खिलाफ कृष्णानंद शास्त्री लगातार आवाज उठाते रहे हैं। यही वजह है कि वह गोकशी करने वालों की हिटलिस्ट में शामिल हो चुके हैं। उन पर हुए कातिलाना हमले इसकी गवाही चीख-चीख कर देते हैं। शास्त्री कहते हैं, ‘मैंने इन मामलों को कई बार उठाया और आज भी उठा रहा हूं लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। मैंने दर्जनों बार लिखित में शिकायत भी दी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। कई बार मैं खुद मौके पर गया तो वहां हथियारबंद माफियाओं से मेरी सामना हुआ। ये लोग गोलियां चला देते हैं। चलती हुई गाड़ी से गाय के बछड़ों को नीचे फेंक देते हैं जिससे रास्ता अवरुद्ध हो जाए। इस तरह से ये लोग बेखौफ होकर काम कर रहे हैं और पुलिस प्रशासन कुछ नहीं कर रहा। क्रमश:
नोट : कृष्णानंद शास्त्री के साक्षात्कार के अगले पार्ट में हम आपको बताएं कि वो कौन लोग हैं जो गोकशी में लिप्त हैं। अपनी जान हथेली पर रखकर गोकशों से लोहा लेने वाले कृष्णानंद शास्त्री को किस तरह से पुलिस प्रशासन परेशान कर रहा है। उन्हें न तो सुरक्षा दी जा रही है और न ही लाइसेंस।