ईटानगर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को सेला सुरंग का उद्घाटन किया, जो अरुणाचल प्रदेश के तवांग को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करेगी, इसके अलावा 55,600 करोड़ रुपये की कई परियोजनाओं का अनावरण किया। पीएम ने ईटानगर में एक कार्यक्रम में मणिपुर, मेघालय, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश में फैली परियोजनाओं का अनावरण किया। मोदी की असम यात्रा उन खबरों के बीच हुई है कि केंद्र नागरिकता संशोधन अधिनियम के नियमों को अधिसूचित करेगा, जिसे 2019 में संसद में पारित किया गया था। उनका आज पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश का दौरा करने का भी कार्यक्रम है।
सेला टनल के शुरू होने के बाद चीन की सीमा तक पहुंचना बेहद आसान हो जाएगा। इससे बरसात के मौसम में भी कनेक्टिविटी का संकट पैदा नहीं होगा। साथ ही तवांग के लोगों के लिए भी आवाजाही आसान हो जाएगी।
सेला टनल की खास बातें
सेला टनल के निर्माण की घोषणा केंद्र सरकार ने 2018 में की थी। यह बालीपारा-चारदुआर-तवांग सड़क का एक हिस्सा है, जो चीनी सीमा के पास प्रमुख परियोजनाओं में से एक है।
सेला टनल अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग जिले में स्थित है। सेला टनल परियोजना सीमा सड़क संगठन द्वारा बनाया गया है। सेला टनल दुनिया की 13,000 फीट से ऊंची सबसे लंबी ट्विन-लेन सुरंग होगी। सेला टनल परियोजना में दो सुरंगें और एक लिंक रोड शामिल है।
सुरंग 1980 मीटर लंबी है। सुरंग 2, 1555 मीटर लंबी है। सुरंग-2 में ट्रैफिक के लिए एक बाइ-लेन ट्यूब और आपात स्थिति के लिए एक एस्केप ट्यूब है। दोनों सुरंगों के बीच लिंक रोड 1,200 मीटर होगी। टनल, एप्रोच रोड और लिंक रोड सहित परियोजना की कुल लंबाई लगभग 12 किमी होगी। दोनों टनल सेला के पश्चिम में दो चोटियों से होकर आ रही हैं।
बता दें कि एक दिन पहले, कांग्रेस पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए 39 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची जारी की, जिसमें राहुल गांधी और भूपेश बघेल भी शामिल हैं।
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल, कोषाध्यक्ष अजय माकन और मीडिया एवं प्रचार (संचार) के अध्यक्ष पवन खेड़ा ने एआईसीसी में एक प्रेस वार्ता में नामों की घोषणा की। इससे पहले गुरुवार को सीईसी ने केरल, कर्नाटक, तेलंगाना, दिल्ली और छत्तीसगढ़ समेत 10 राज्यों के 60 उम्मीदवारों के नामों को मंजूरी दी थी। सूत्रों ने बताया कि इस बीच, चुनाव आयोग ने शुक्रवार को आगामी लोकसभा चुनाव से पहले देश भर में सुरक्षा कर्मियों की तैनाती और आवाजाही पर गृह मंत्रालय और रेलवे के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक की। समझा जाता है कि आयोग ने ट्रेनों में अच्छे डिब्बों की जरूरत पर भी जोर दिया है जिनका इस्तेमाल सुरक्षा कर्मियों की आवाजाही के लिए किया जाएगा। इसने ऐसी ट्रेनों में भोजन के लिए भी दबाव डाला।