नीरज सिसौदिया, नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की कुछ अहम धाराओं पर रोक लगा दी। हालांकि अदालत ने पूरे कानून को रोकने से इंकार किया है। यह रोक तब तक जारी रहेगी जब तक सभी याचिकाओं पर अंतिम फैसला नहीं हो जाता। यह कानून संसद ने अप्रैल 2025 में पास किया था। इसके खिलाफ करीब 65 याचिकाएं दायर की गईं। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह कानून मुस्लिम समुदाय के अपने धार्मिक मामलों को चलाने के मौलिक अधिकार (संविधान के अनुच्छेद 26) में दखल देता है।
याचिकाकर्ताओं में एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा, राजद सांसद मनोज झा, वाईएसआर कांग्रेस और सीपीआई जैसे दल भी शामिल हैं। मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति ए.जी. मसीह की पीठ ने यह अंतरिम आदेश दिया।
किन प्रावधानों पर रोक लगी?
1. कलेक्टर की शक्तियां
संशोधित कानून की धारा 3C के तहत जिला कलेक्टर या अधिकृत अफसर को यह अधिकार दिया गया था कि वे जांच करें कि कोई संपत्ति वक्फ है या सरकारी। इसमें यह भी कहा गया था कि जैसे ही जांच शुरू होगी, संपत्ति तुरंत वक्फ़ की श्रेणी से बाहर हो जाएगी, भले ही अंतिम फैसला न हुआ हो। सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रावधान पर रोक लगा दी। अब जांच के दौरान भी संपत्ति वक्फ मानी जाएगी।
इसके अलावा अदालत ने उस हिस्से पर भी रोक लगाई जिसमें अफसर को सीधे रिकॉर्ड में बदलाव का अधिकार था। अदालत ने कहा कि यह राजस्व अधिकारी को बहुत ज़्यादा ताकत देना और ‘सेपरेशन ऑफ पावर्स’ (शक्तियों के विभाजन) के खिलाफ है। संतुलन बनाने के लिए कोर्ट ने कहा कि वक्फ़ संपत्तियों से किसी को बेदखल नहीं किया जाएगा, लेकिन जब तक विवाद सुलझ नहीं जाता, उन पर किसी तीसरे पक्ष का अधिकार भी नहीं बनाया जा सकेगा।
2. वक्फ बोर्ड में गैर-मुसलमानों की संख्या
संशोधित कानून में गैर-मुसलमानों को वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में बहुमत तक शामिल करने की गुंजाइश थी। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि यह समुदाय के अधिकारों का उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि 22 सदस्यीय केंद्रीय वक्फ परिषद में 4 से अधिक गैर-मुसलमान नहीं होंगे।
11 सदस्यीय राज्य वक्फ बोर्ड में 3 से अधिक गैर-मुसलमान नहीं होंगे।
3. ‘पांच साल से इस्लाम का पालन’ नियम
कानून में कहा गया था कि कोई वक्फ तभी बनाया जा सकता है जब बनाने वाला व्यक्ति कम से कम पांच साल से इस्लाम का पालन कर रहा हो।सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रावधान पर भी रोक लगाई। लेकिन शर्त यह रखी कि सरकार पहले नियम बनाए कि पांच साल के धार्मिक पालन को कैसे साबित किया जाएगा।
इन प्रावधानों पर रोक नहीं लगी?
1. ‘वक्फ बाई यूज’ का हटाना
पहले यह मान्यता थी कि अगर कोई ज़मीन लंबे समय से धार्मिक या चैरिटी कामों के लिए इस्तेमाल हो रही है तो वह वक्फ़ मानी जाएगी, भले ही रजिस्टर न हो। इसे “वक्फ बाई यूज” कहा जाता था। सरकार ने इसे खत्म कर दिया, यह कहते हुए कि इसका गलत इस्तेमाल सरकारी ज़मीन पर कब्ज़े के लिए होता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस बदलाव पर रोक नहीं लगाई।
2. लिमिटेशन एक्ट लागू होना
पुराने वक्फ कानून (1995) में लिमिटेशन एक्ट लागू नहीं होता था, यानी वक्फ़ बोर्ड कभी भी किसी कब्ज़े के खिलाफ केस कर सकता था। नए कानून ने यह छूट हटा दी और अब तय समय सीमा में ही कार्रवाई हो सकेगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर भी रोक लगाने से मना कर दिया।
अदालत की स्पष्टता
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये टिप्पणियां केवल अंतरिम आदेश के लिए हैं। कानून की संवैधानिक वैधता पर अंतिम बहस आगे की सुनवाई में होगी।