नीरज सिसौदिया, बरेली
समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता और यूपी सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री आज़म खां की रिहाई ने समाजवादी पार्टी में नए समीकरण पैदा कर दिए हैं। भोजीपुरा सीट पर शहजिल इस्लाम और सुल्तान बेग के बीच होने वाली जंग अब सबकी निगाहों में है। आजम खां की रिहाई भोजीपुरा विधायक शहजिल इस्लाम की मुश्किलें बढ़ने के संकेत दे रही हैं। एमएलसी, स्थानीय निकाय और राष्ट्रपति चुनाव में सपा से धोखाधड़ी करने के आरोपों के बीच घिरे शहजिल इस्लाम के टिकट पर संकट और गहराने लगा है। आगामी आठ अक्टूबर को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव बरेली आ रहे हैं। वह बरेली एयरपोर्ट पर आएंगे और वहां से सड़क मार्ग से रामपुर स्थिति आजम खां के घर जाकर उनसे मुलाकात करेंगे। अखिलेश यादव सुबह लगभग साढ़े दस बजे बरेली पहुंचेंगे। अखिलेश यादव और आजम खां की इस मुलाकात को काफी अहम माना जा रहा है। साफ है कि आजम खां अभी भी सियासत के बड़े खिलाड़ी हैं और उनकी एक हामी कई नेताओं की किस्मत बदल सकती है। शहजिल इस्लाम के लिए यह वक़्त बेहद चुनौतीपूर्ण है, जबकि सुल्तान बेग के लिए नई संभावनाओं का दरवाज़ा खुल सकता है। आज़म खां और अखिलेश यादव की मुलाकात को लेकर यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि सपा सुप्रीमो पश्चिमी यूपी में मुस्लिम नेतृत्व को लेकर एक बार फिर नई रणनीति बना रहे हैं।
बता दें कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में आजम खां का अच्छा-खासा प्रभाव रहा है। जेल जाने के बावजूद उनके रुतबे में कोई कमी नहीं आई है। इसका नमूना उस वक्त भी देखने को मिला जब सीतापुर जेल से रिहाई के बाद सीतापुर से लेकर रामपुर तक हर गांव, कस्बे और महानगर में उनके स्वागत में समाजवादियों की कतार लगी नजर आई थी।
बरेली जिले में महानगर अध्यक्ष शमीम खां सुल्तानी और पूर्व विधायक सुल्तान बेग ने आजम खां का गर्मजोशी से स्वागत किया। सुल्तान बेग और आजम खां के रिश्ते बहुत पुराने हैं। तीन बार के विधायक सुल्तान बेग और आजम खां के इन रिश्तों को उस वक्त और मजबूती मिली जब जेल में रहने के दौरान आजम खां को कोरोना हो गया था और उन्हें लखनऊ के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उस दौरान सुल्तान बेग के बेटे डॉक्टर शाहनूर और डॉक्टर शाह आलम ने आजम खां की दिन-रात सेवा की थी। लगभग दो माह तक आजम खां उस अस्पताल में भर्ती रहे और सुल्तान बेग के बेटों ने उनका पूरी तरह ख्याल रखा था। उस समय तो यहां तक कहा जा रहा था कि आजम खां को अस्पताल में ही खत्म करने की साजिश रची जा रही है।
सुल्तान बेग अब मीरगंज से हटकर भोजीपुरा विधानसभा सीट पर किस्मत आजमाना चाहते हैं। दिलचस्प बात यह है कि भोजीपुरा से मौजूदा विधायक शहजिल इस्लाम हैं, जिन पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि अखिलेश यादव पहले ही शहजिल से नाराज़ हैं। एमएलसी, स्थानीय निकाय और राष्ट्रपति चुनाव में पार्टी लाइन से अलग जाकर काम करने के आरोप उनके ऊपर हैं। यही नहीं, अखिलेश पहले ही मनोज पांडे, पूजा पाल समेत कुछ विधायकों को बाहर का रास्ता दिखा चुके हैं। ऐसे में शहजिल की बारी भी जल्द आ सकती है।
शहजिल इस्लाम का एक बड़ा सहारा अंसारी बिरादरी है। बरेली में इस बिरादरी का अच्छा-खासा वोटबैंक है लेकिन मीरगंज विधानसभा में शेख, सैयद और पठानों की तादाद अधिक बताई जाती है। भोजीपुरा में अंसारी बिरादरी शहजिल से नाराज है। कुछ समय पहले देवरनिया में अंसारी समाज के ही लोगों ने शहजिल इस्लाम को एक सड़क का उद्घाटन नहीं करने दिया था। शहजिल को वहां से लौटने को मजबूर होना पड़ा था। शहजिल के पिता इस्लाम साबिर लंबे समय से अंसारी बिरादरी के नेता माने जाते रहे हैं। यही वजह है कि सपा नेतृत्व के लिए उन्हें सीधे बाहर का रास्ता दिखाना आसान नहीं होगा। लेकिन अगर आजम खां खुलकर सुल्तान बेग के साथ खड़े हो जाते हैं, तो समीकरण पलट सकते हैं। शहजिल के लिए यह स्थिति बेहद कठिन साबित हो सकती है लेकिन बरेली में अंसारी बिरादरी का नेता होने के चलते सपा के लिए शहजिल इस्लाम को बाहर का रास्ता दिखाना इतना आसान नजर नहीं आता। अगर आजम खां का साथ सुल्तान बेग को मिल गया तो शहजिल इस्लाम की मुश्किलें बढ़ सकती हैं और सुल्तान बेग की राह आसान हो सकती है।
