नीरज सिसौदिया, बरेली
लगता है समाजवादी पार्टी का महानगर जीतने का सपना इस बार भी पूरा नहीं हो पाएगा। पार्टी के जिला अध्यक्ष शिवचरण कश्यप की कार्यशैली कुछ ऐसे ही संकेत दे रही है। पहले मारपीट, फिर माफीनाम और फिर महानगर के नेताओं के घर चाय पर चर्चा ने सपा की हालत पतली कर दी है। आखिरकार वही हुआ जो पिछले दिनों सपा के कुछ दिग्गज नेता भी कह रहे थे।

बता दें कि सपा की जिले की मासिक बैठक से जब पार्टी के दिग्गज नेताओं, विधायकों, पूर्व सांसद, पूर्व विधायकों और चेयरमैनों ने दूरी बना ली और वही नेता महानगर की मासिक बैठक में जुटे तो शिवचरण कश्यप ने महानगर में तोड़फोड़ करने का मन बना लिया। वह महानगर के नेताओं के घर चाय पर चर्चा करने जाने लगे। इसी कड़ी में लगभग एक सप्ताह पहले शिवचरण कश्यप, नेहा यादव और अन्य नेताओं के साथ आला हजरत अस्पताल के मालिक डॉ. फाजिल मंसूरी के घर चाय पर चर्चा करने पहुंचे। पता नहीं शिवचरण कश्यप ने डॉ. फाजिल के साथ कैसी चर्चा की कि उनकी चाय पर चर्चा के एक सप्ताह भी नहीं बीते और विगत 17 सितम्बर को डॉ. फाजिल समाजवादी पार्टी छोड़कर चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण की आजाद समाज पार्टी में शामिल हो गए। बता दें कि डॉक्टर फाजिल का घर महानगर के अंतर्गत पड़ने वाली कैंट विधानसभा सीट के तहत आता है। उनका कैंट और बिथरी दोनों विधानसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं में अच्छा दबदबा है।

पार्टी के कुछ नेताओं का कहना है कि शिवचरण कश्यप गुटबाजी को बढ़ावा देने और पार्टी को महानगर में तोड़ने के मकसद से यहां के नेताओं के घर जाकर चाय पर चर्चा कर रहे हैं। पिछले दो माह के भीतर वह जिन नेताओं के घर गए थे वो नेता अब महानगर के कार्यक्रमों में सक्रिय भी नजर नहीं आते। सूत्र बताते हैं कि इनमें से कई और नेता सपा को छोड़कर किसी अन्य पार्टी का दामन थाम सकते हैं। बहरहाल, शिवचरण कश्यप की चाय पर चर्चा सपा को भारी पड़ती जा रही है।
कुछ समय पहले तक कश्यप की कार्यशैली को लेकर पार्टी के अंदर ही कई आवाजें उठ चुकी थीं। मारपीट की घटनाओं, माफीनामे और बैठकों में लगातार हो रही गुटबाजी ने सपा के जिला संगठन की साख पर असर डाला है। अब नेताओं के घर चाय पर चर्चा का सिलसिला शुरू कर कश्यप ने मानो हालात और बिगाड़ दिए हैं।