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जनता पर बोझ कम करने के राजेश अग्रवाल ने दिए सुझाव, आय बढ़ाने के लिए हुई निगम कमेटी की बैठक, सपा पार्षद बोले- जनता पर पैनल्टी न लगाएं, पढ़ें और क्याा- क्या बोले सपा के पूर्व विधानसभा प्रत्याशी?

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नीरज सिसौदिया, बरेली

बरेली नगर निगम की आय बढ़ाने और शहर की व्यवस्था को और बेहतर बनाने के लिए गठित विशेष कमेटी की पहली बैठक शुक्रवार को नगर आयुक्त कार्यालय में हुई। इस बैठक में समाजवादी पार्टी के पूर्व विधानसभा प्रत्याशी और रामपुर बाग वार्ड के पार्षद राजेश अग्रवाल ने ऐसी स्पष्ट राय रखी, जिसने पूरा ध्यान अपनी ओर खींच लिया। उन्होंने नगर निगम से अपील की कि ऐसे किसी भी प्रावधान से बचा जाए जिससे जनता पर अनावश्यक आर्थिक बोझ पड़े। उनका कहना था कि दंड या पैनल्टी लगाने से आम लोगों के लिए मुश्किलें बढ़ेंगी, जबकि एक सुव्यवस्थित शुल्क-आधारित व्यवस्था से न केवल निगम की आय बढ़ाई जा सकती है, बल्कि समस्याओं का समाधान भी अधिक संतुलित और व्यावहारिक तरीके से किया जा सकेगा।

नगर निगम ने अपनी आय बढ़ाने के उद्देश्य से जो कमेटी बनाई है, उसमें अपर नगर आयुक्त शशिभूषण राय को अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। इनके अलावा नगर स्वास्थ्य अधिकारी भानू प्रकाश और नयन सिंह, सपा पार्षद राजेश अग्रवाल, भाजपा पार्षद सतीश चंद्र सक्सेना ‘कातिब उर्फ मम्मा’, पार्षद छंगामल मौर्य और सर्वेश रस्तोगी सदस्य के रूप में शामिल हैं। बैठक में 2017 में प्रस्तुत हुए उस प्रस्ताव को आधार बनाया गया, जिसमें नगर निगम की वित्तीय स्थिति मजबूत करने के लिए 34 प्रमुख बिंदु तैयार किए गए थे। इस पहली बैठक में इनमें से 15 बिंदुओं पर शुरुआती चर्चा हुई, जबकि बाकी बिंदुओं पर निर्णय आगामी बैठकों में लिया जाएगा।

नगर निगम का रुख इस दिशा में था कि शहर में गंदगी फैलाने, निर्माण सामग्री सड़क पर छोड़ने, पेड़-पौधों की कटिंग का मलबा इधर-उधर फेंकने और बिजली व इंटरनेट के तारों की अव्यवस्था जैसी समस्याओं से निपटने के लिए सख्त उपविधियां बनाकर दंडात्मक कार्रवाई की जाए। उनका कहना था कि यदि दंड का प्रावधान होगा तो लोग नियमों के पालन के लिए प्रेरित होंगे और इससे शहर की बेहतरी के साथ-साथ आय में भी इजाफा होगा। मगर राजेश अग्रवाल ने इस प्रस्ताव पर गंभीर आपत्ति जताई और इसे जनता के लिए बोझिल बताया।

राजेश अग्रवाल ने कहा कि शहर की सफाई व्यवस्था दुरुस्त होना जरूरी है, लेकिन इसे लागू करने का तरीका जन-हित से जुड़ा होना चाहिए। उन्होंने पेड़-पौधों की कटिंग का उदाहरण देते हुए बताया कि कई परिवार अपने घरों में नियमित रूप से पेड़-पौधे काटते हैं। कटिंग के बाद निकलने वाला मलबा उन्हें बाहर फेंकना पड़ता है। ऐसे में यदि निगम सीधे दंड लगाएगा तो यह जनता के लिए मुश्किलें खड़ी कर देगा। उन्होंने सुझाव दिया कि इसकी जगह निगम एक तय शुल्क के तहत मलबा उठाने की सुविधा उपलब्ध कराए। व्यक्ति चाहे तो निगम को सूचित कर मलबा निस्तारित करवा सकता है और इसके लिए एक निश्चित शुल्क अदा करेगा। केवल वही लोग दंड के पात्र होंगे जो शुल्क देने के बावजूद मलबा सड़क पर छोड़ देंगे। इससे न जनता को कोई परेशानी होगी, और न ही निगम को बार-बार दंड लगाने की जरूरत पड़ेगी। बल्कि इससे निगम को एक नियमित और पारदर्शी आय प्राप्त होगी।

इसके बाद राजेश अग्रवाल ने इंटरनेट कंपनियों द्वारा लगाए जा रहे उलझे हुए तारों का मुद्दा उठाया। उन्होंने बताया कि शहर की कई सड़कों पर खंभों से लटकते तार न केवल बदसूरत दिखते हैं बल्कि दुर्घटनाओं का भी कारण बनते हैं। उन्होंने कहा कि इंटरनेट या केबल ऑपरेटरों को तार लगाने से पहले निगम से अनुमति लेना अनिवार्य किया जाए। इसके साथ ही एक शपथ पत्र भी जमा कराया जाए जिसमें वे यह आश्वासन दें कि खंभों पर तारों का गुच्छा जमा नहीं होगा और केवल व्यवस्थित, सिंगल लाइन तार ही चलाए जाएंगे। यदि कोई कंपनी इस व्यवस्था का पालन नहीं करती है तो तभी उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई हो। इस तरह से निगम भी अनुमति शुल्क के रूप में आय कमा सकेगा और शहर की सूरत भी सुधरेगी।

राजेश अग्रवाल ने डेयरी घरों के निर्माण और सड़क पर फैलने वाले मलबे का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि डेयरी मालिकों या मकान बनाने वालों के लिए दंड का प्रावधान रखना उचित नहीं है। बेहतर होगा कि पहले से ही भवन निर्माण सामग्री रखने, मलबा हटाने और डेयरी निर्माण के दौरान गंदगी न फैलाने के लिए शुल्क आधारित अनुमति दी जाए। निगम यदि पहले ही स्पष्ट रूप से बता दे कि सड़क पर निर्माण सामग्री कितने दिनों तक और किस तरीके से रखी जा सकती है, और इसके बदले शुल्क ले ले, तो इससे जनता को भी परेशानी नहीं होगी और निगम को आय भी मिलेगी। लेकिन यदि कोई अनुमति लेने के बावजूद नियम तोड़ता है तभी दंड लगाया जाए। उनका कहना था कि दंड आधारित व्यवस्था जनता को परेशान करेगी और इंस्पेक्टर राज को बढ़ावा देगी, जिससे भ्रष्टाचार की संभावना बढ़ेगी।

रामपुर बाग में एक खंभे पर लगा तारों का गुच्छा।

बैठक के दौरान अधिकारियों और सदस्यों ने इस बात पर भी चर्चा की कि शहर में अव्यवस्थित तरीके से चल रहे कई छोटे-छोटे व्यवसायों के लिए किस प्रकार की व्यवस्था बनाई जाए। राजेश अग्रवाल का मानना था कि जिस भी व्यवस्था को लागू किया जाए, उसमें जनता की सुविधा को सबसे ऊपर रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि छोटे दुकानदारों और कामगारों को दंड देने की बजाय बेहतर होगा कि उनसे भी एक छोटा शुल्क लिया जाए और उन्हें निर्धारित नियमों का पालन करने के लिए जागरूक किया जाए। इस तरीके से निगम की आय बढ़ेगी और लोगों पर अचानक कोई अतिरिक्त बोझ भी नहीं पड़ेगा।
बैठक में उपस्थित सभी सदस्यों ने यह माना कि शहर की व्यवस्था सुधारने और नगर निगम की आय बढ़ाने का उद्देश्य महत्वपूर्ण है, लेकिन इसे उसी तरह लागू करना चाहिए जिससे जनता भी जुड़े और उसे किसी प्रकार की अनावश्यक पीड़ा न हो। राजेश अग्रवाल के सुझावों को कई सदस्यों ने व्यावहारिक और जनहितकारी बताते हुए गंभीरता से सुना।
बैठक का समापन इस उम्मीद के साथ हुआ कि अगली बैठक में बाकी बिंदुओं पर भी विस्तृत चर्चा की जाएगी और एक ऐसा ड्राफ्ट तैयार किया जाएगा जिसमें शहर के विकास, निगम की आय और जनता की सहूलियत – तीनों का संतुलन कायम रहे। बैठक में अपर नगर आयुक्त शशिभूषण राय, नगर स्वास्थ्य अधिकारी भानु प्रकाश सिंह, नयन सिंह, पार्षद राजेश अग्रवाल, सतीश चंद्र सक्सेना ‘कातिब’, छंगामल मौर्य और अन्य सदस्य मौजूद रहे।

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