नीरज सिसौदिया, बरेली
परिवारवाद को बढ़ावा न देने संबंधी भाजपा पदाधिकारियों के ऐलान के बाद जहां कैंट विधानसभा सीट से भाजपा के प्रबल दावेदार माने जा रहे पूर्व वित्त मंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष डा. राजेश अग्रवाल के बेटे मनीष अग्रवाल का पत्ता साफ होना तय माना जा रहा है तो वहीं भाजपा के प्रदेश सह कोषाध्यक्ष संजीव अग्रवाल का रास्ता एकदम साफ नजर आ रहा है. हालांकि इस दौड़ में पहले से शामिल मेयर डा. उमेश गौतम के साथ ही दो नए चेहरे भी इस ऐलान के बाद विधानसभा की दौड़ में शामिल हो गए हैं लेकिन उन पर संजीव अग्रवाल ही सबसे भारी नजर आ रहे हैं. संघ के नेताओं से नजदीकियां उन्हें टिकट आसानी से दिला सकती हैं.
भारतीय जनता पार्टी के ब्रज क्षेत्र अध्यक्ष रजनीकांत माहेश्वरी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारी के बीच विधानसभा चुनाव में मैदान में उतरने का सपना देख रहे भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष राजेश अग्रवाल के सुपुत्र मनीष अग्रवाल के सपनों को ग्रहण लगाए गए| रजनीकांत माहेश्वरी के बयान से अब यह स्पष्ट हो गया है कि आगामी विधानसभा चुनाव में कैंट विधानसभा सीट से मनीष अग्रवाल अपने पिता की सियासत की विरासत संभालने नहीं उतर पाएंगे| मनीष अग्रवाल को पिता के ऊंचे कद का ही खामियाजा भुगतना पड़ेगा| ऐसे में भाजपा के प्रदेश कोषाध्यक्ष संजीव अग्रवाल का रास्ता पूरी तरह से साफ नजर आ रहा है| हालांकि संजीव अग्रवाल के मुकाबले में भी मेयर डॉ उमेश गौतम सहित तीन नाम सामने आ रहे हैं| इनमें एक नाम डॉ प्रमेंद्र माहेश्वरी का है तो दूसरा नाम पूर्व उपसभापति अतुल कपूर का बताया जा रहा है| दरअसल, बुधवार को बैठक करने पहुंचे रजनीकांत माहेश्वरी ने अपने एक बयान में कहा कि भारतीय जनता पार्टी परिवारवाद को किसी भी सूरत में बढ़ावा नहीं देगी| इसलिए जो जनप्रतिनिधि हैं उनके परिवार के लोग चुनाव नहीं लड़ सकेंगे. भारतीय जनता पार्टी उन को टिकट नहीं देगी| हालांकि केंद्रीय नेतृत्व ने इस पर फैसला पहले ही ले लिया था लेकिन सार्वजनिक तौर पर कोई भी पदाधिकारी यह कहने से बच रहा था| बुधवार को पार्टी कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में जहां रजनीकांत माहेश्वरी के समक्ष महानगर अध्यक्ष डॉक्टर के एम अरोड़ा पर लगे शराब तस्करी और अवैध कब्जे के आरोपों का मामला उठा तो वहीं परिवारवाद को लेकर पार्टी की रणनीति का खुलासा भी किया गया| क्षेत्र के अध्यक्ष के इस बयान ने पूरी भाजपा में खलबली मचा दी है| बरेली में सिर्फ कैंट विधानसभा सीट ही ऐसी है जहां से पार्टी नेता अपने सुपुत्र को विधानसभा के चुनावी मैदान में उतारने का सपना देख रहे थे| यहां से वैसे तो पार्टी से राजेश अग्रवाल के पुत्र मनीष अग्रवाल, संजीव अग्रवाल एवं मेयर डॉ उमेश गौतम के बीच ही मुख्य मुकाबला माना जा रहा था लेकिन अब इसमें दो और बड़े नाम भी जुड़ गए हैं जो राजेश अग्रवाल की दावेदारी के चलते सामने नहीं आना चाह रहे थे. जब तक मनीष अग्रवाल की दावेदारी मजबूत थी तब तक ये दोनों अपनी दावेदारी को लेकर आशंकित थे और चुनाव में राजेश अग्रवाल का सपोर्ट करने के लिए मानसिक रूप से तैयार भी हो चुके थे लेकिन रजनीकांत माहेश्वरी के इस बयान के बाद पूर्व उपसभापति अतुल कपूर और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ प्रमेंद्र माहेश्वरी भी तेजी से गोटियां फिट करने में जुट गए हैं. शायद वह जानते हैं कि संजीव अग्रवाल से उनकी लड़ाई उतनी मुश्किल नहीं होने वाली जितनी कि मनीष अग्रवाल की मौजूदगी से होती. यही वजह है कि अब वह भी तैयारी में जुट गए हैं| हालांकि ये लोग अभी भी मनीष अग्रवाल की दावेदारी को मजबूत मान रहे हैं और अगर मनीष सामने आते हैं तो संभव है कि ये लोग अपनी दावेदारी वापस ले लें लेकिन संजीव अग्रवाल का ये डटकर मुकाबला करेंगे. सूत्र बताते हैं कि राजेश अग्रवाल के दौड़ में शामिल होने की वजह से यह दोनों चेहरे फिलहाल दौड़ से बाहर थे लेकिन अब जबकि यह स्पष्ट हो चुका है कि विधानसभा चुनाव में राजेश अग्रवाल के बेटे मनीष अग्रवाल को कैंट विधानसभा सीट से टिकट मिलना नामुमकिन है तो ऐसे में अब राजेश अग्रवाल की सियासत की विरासत संभालने के लिए डॉक्टर प्रमेंद्र माहेश्वरी और अतुल कपूर भी जोर आजमाइश करने की तैयारी कर रहे हैं| हालांकि संजीव अग्रवाल इन सभी पर भारी नजर आ रहे हैं क्योंकि संघ के पदाधिकारियों के साथ उनके संबंध काफी गहरे हैं| बहरहाल, राजेश अग्रवाल के बेटे मनीष अग्रवाल की अनदेखी भारतीय जनता पार्टी को महंगी भी पड़ सकती है| क्योंकि राजेश अग्रवाल का कद इतना बड़ा है कि वह अपने दम पर भारतीय जनता पार्टी को कैंट विधानसभा की सीट लगातार जिताते आ रहे हैं| चाहे भाजपा की लहर रही हो या न रही हो राजेश अग्रवाल जब भी मैदान में उतरे हैं, जीत कर ही लौटे हैं. ऐसे में अगर मनीष अग्रवाल पार्टी का दामन छोड़कर समाजवादी पार्टी से मैदान में उतरते हैं तो निश्चित तौर पर भारतीय जनता पार्टी के लिए बड़ी मुश्किलें पैदा कर सकते हैं| चर्चा तो यह भी है कि कैंट विधानसभा सीट से भाजपा के कई नेता अब समाजवादी पार्टी का दामन थामने की तैयारी कर रहे हैं लेकिन फिलहाल सीबीआई के डर से अखिलेश यादव इस दिशा में कोई भी ठोस कदम उठाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं| सियासी सूत्र बताते हैं कि अखिलेश यादव भाजपाइयों को पार्टी में शामिल जरूर करेंगे लेकिन उसमें अभी वक्त लगेगा| अखिलेश यादव चुनाव नजदीक आने इंतजार कर रहे हैं| पंचायत चुनाव के बाद यह उठापटक और तेज होने वाली है|
भाजपा के ब्रज क्षेत्र के अध्यक्ष रजनीकांत माहेश्वरी ने भले ही यह घोषणा पंचायत चुनाव को लेकर की हो लेकिन यह तय है कि विधानसभा चुनाव में भी पार्टी इसी राह पर चलने वाली है| अगर ऐसा होता है तो संजीव अग्रवाल इस बार मैदान मार ले जाएंगे|
