बी. एल .आच्छा ऐतिहासिक नाटकों का सृजन जोखिम भी है और समकालीन वैचारिकता से समंजित करने की चुनौती भी। इतिहास प्रसिद्ध कथानकों के चरित्रों और उससे सम्बद्ध संस्थाओं या जनता में मनोगत बदलाव की गुंजाइश अधिक नहीं होती। भारतीय इतिहास के मिथकीय पात्रों मे अलबत्ता यह उपजीव्य संभावनाएँ लचीली हैं। इसीलिए उनसे विधाएँ समृद्ध और […]