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मीना कुमारी की पुण्यतिथि पर नमन : सफरनामा चालीस मील लंबी मौत का

अवधेश श्रीवास्तव ‘शहतूत की शाख पर बैठी मीना बुनती है रेशम के धागे लम्हा-लम्हा खोल रही है पत्ता-पत्ता बीन रही है अपने ही धागों के कैदी रेशम की यह शायर एक दिन अपने ही धागों में घुट कर मर जाएगी।’ गुलजार ने मीना कुमारी का पोट्रेट नज्म करके दिया था। पढ़कर हंस पड़ी थीं। कहा […]