नीरज सिसौदिया, बरेली कोरोना काल में इंसानों के साथ ही मानवता भी दम तोड़ती जा रही है. जिंदा इंसानों को दवा नहीं मिल रही तो लाशें भी दो गज जमीन के लिए तरस गई हैं. बेबसी की राहों पर अंतिम सफर भी मुश्किल हो चुका है. कहीं जलाने को लकड़ियां नहीं मिल रहीं तो कहीं […]