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…ताकि अंतिम सफर पर न होना पड़े शर्मसार, अतुल कपूर ने किया ये काम, विस्तार से पढ़ें…

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नीरज सिसौदिया, बरेली
कोरोना काल में इंसानों के साथ ही मानवता भी दम तोड़ती जा रही है. जिंदा इंसानों को दवा नहीं मिल रही तो लाशें भी दो गज जमीन के लिए तरस गई हैं. बेबसी की राहों पर अंतिम सफर भी मुश्किल हो चुका है. कहीं जलाने को लकड़ियां नहीं मिल रहीं तो कहीं दफनाने को दो गज जमीन का भी संकट है. पिछले दिनों गंगा घाटों पर बिछी लाशें बेबसी की अनकही कहानी खुद ब खुद बयां करने लगी थी. हल्की सी बारिश जब रेत की चादर बहा ले गई तो अपनों की मजबूरियां बेलिबास हो गईं. उस दौरान बरेली के रामगंगा नदी घाट का नजारा वीभत्स तो नहीं था पर बेबसी की दास्तान जरूर बयां कर रहा था. पवित्र नदियों के किनारे पड़ें लाशों के ढेर अफसरशाही के खोखले दावों की पोल खोल रहे थे. ऐसे में सरकार की ओर से स्थानीय जनप्रतिनिधियों को यह जिम्मेदारी सौंपी कि कोरोना काल में जान गंवाने वाले हर शख्स का अंतिम सफर यादगार रहने वाला हो, शर्मसार करने वाला नहीं.


बरेली में इसके लिए महापौर उमेश गौतम के नेतृत्व में एक निगरानी समिति का गठन किया गया. कमेटी में पूर्व उपसभापति और भाजपा पार्षद अतुल कपूर को भी सदस्य पद की अहम जिम्मेदारी सौंपी गई. कोरोना संक्रमितों की पहले से ही भोजन देकर मदद में जुटे अतुल कपूर यहां भी पीछे नहीं हटे और आगे बढ़कर मोर्चा संभाल लिया. निगरानी समिति की जिम्मेदारी मिलते ही अतुल कपूर साथी पार्षद महेश राजदूत के साथ रामगंगा तट पहुंचे और हालात का जायजा लिया.
वहां का हाल देखकर अतुल कपूर बेहद नाराज हुए. जगह-जगह गंदगी पसरी हुई थी. अंतिम सफर पर जाने वालों को ऐसी गंदगी के बीच अंतिम विदाई न देनी पड़े इसलिए उन्होंने तत्काल वहां की व्यवस्था सुधारने की ठानी. मौके पर पहुंचे निगम कर्मचारियों को उन्होंने सफाई कराने के निर्देश दिए. खुद मौके पर खड़े होकर साफ सफाई कराई.
इस मौके पर अतुल कपूर ने कहा कि जीवन के अंतिम सफर पर जाने वालों को ससम्मान अंतिम विदाई देना हमारा कर्तव्य है. कोरोना काल में मुश्किल दौर से गुजर रहे लोगों की मदद के लिए वह हमेशा तत्पर हैं. उन्होंने कहा कि जब कोई अपना इस दुनिया से विदा होता है तो उसकी कमी की भरपाई कभी नहीं हो पाती लेकिन अगर उस अपने की विदाई में कोई कमी रह जाती है तो यह दर्द हमें ताजिंदगी सालता रहता है कि हम अपनों को अंतिम विदाई भी ठीक तरह से नहीं दे सके. योगी सरकार ने लोगों की इस पीड़ा को समझा और अंतिम यात्रा पर अपमान का घूंट न पीना पड़े, इसलिए नदी घाटों पर अंतिम संस्कार के लिए उचित व्यवस्था करने को निगरानी समिति का गठन किया है. इस समिति के सदस्य के तौर पर उन्हें जो जिम्मेदारी मिली है उसका वह पूरी तत्परता के साथ निर्वहन करेंगे. इसी कड़ी में वह रामगंगा नदी तट पर आए और यहां की साफ सफाई संबंधी सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त कराईं. आगे भी वह नियमित रूप से यहां की व्यवस्थाएं सुधारने के लिए तत्पर रहेंगे.
बता दें कि अतुल कपूर उस अरुणा फाउंडेशन के भी अध्यक्ष हैं जो कोरोना प्रभावित परिवारों को घर का खाना उनके घर तक पहुंचा रहे हैं.

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