विचार

लोकतंत्र की उड़ी धज्जियां…

किसने जहर उड़ेला बोलो, अपनी ही संतान में लोकतंत्र की उड़ी धज्जियाँ, क्यों अफगानिस्तान में। माताएँ- बहनें उत्पीड़ित, होती हैं अब खूब वहाँ सिसक रही हैं वे बेचारी, जाएँ भी तो भला कहाँ पहुँच न पाएँ आज उस जगह, अपनापन अब मिले जहाँ उनकी बदहाली की सुनकर, लोग हुए नाराज यहाँ जो संवेदनहीन हो गए, […]