देहरादून। उत्तराखंड के मंदिरों में अब राज्य में ही बनाया गया प्रसाद चढ़ाया जाएगा। राज्य सरकार ने चार धाम यात्रा के मद्देनजर राज्य के विभिन्न मंदिरों में स्थानीय उत्पादों से बनाए गए प्रसाद को चढ़ाने का निर्णय लिया है। इसका मुख्य उद्देश्य रोजगार को बढ़ावा देना और स्थानीय उत्पादों को भी प्रोत्साहित करना है।
यह प्रसाद महिला समूह की ओर से तैयार किया गया है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में इस प्रसाद को लॉन्च किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने कृषि के अलावा अन्य साधनों को उनकी आमदनी से जोड़ने व महिला सशक्तिकरण के लिए केंद्र सरकार द्वारा लिए गए संकल्प को पूरा करने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने मंदिरों के प्रसाद को जरिया बनाया है।
उन्होंने कहा कि सरकार महिला स्वयं सहायता समूहों को इसमें वरीयता देगी। एक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि बद्रीनाथ धाम में 3 महिला स्वयं सहायता समूहों ने स्थानीय उत्पादों मंडुआ कुट्टू व चौड़ाई से प्रसाद तैयार किया स्थानीय देशों जैसे बांस और रिंगाल से बनी टोकरियों में इनकी पैकेजिंग की। 10-10 महिलाओं के तीन समूहों ने बद्रीनाथ धाम में सिर्फ 2 महीने में स्थानीय उत्पादन से निर्मित 19 लाख रूपय का ऑर्गेनिक प्रसाद बेचा इससे उन्हें ₹900000 का शुद्ध मुनाफा हुआ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस प्रयोग की सफलता के बाद राज्य के 625 मंदिरों में ऐसे प्रसाद भेजा जाएगा। जानकारी के मुताबिक उत्तराखंड के मंदिरों में प्रतिवर्ष करीब 3 करोड़ श्रद्धालु आते हैं इनमें से मात्र 8000000 श्रद्धालुओं को ₹600 का प्रसाद भेजा जाए तो भी महिला समूहों को 80 करोड़ रुपए की आए हो सकती है।
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