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 नेपाल सीमा के ‘मैत्री पुल’ के जीर्णोद्धार को लेकर पीएमओ में एक और जन परिवाद दर्ज़

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पटना : राष्ट्रीय राजमार्ग पर रक्सौल स्थित भारत और नेपाल को जोड़ने वाले ‘मैत्री पुल’ के रिनोवेशन एवं मेंटेनेंस के मामले में प्रो. डा. स्वयंभू शलभ ने एक अतिरिक्त परिवाद पीएमओ में दर्ज़ कराया। बताया गया कि इस मामले में एनएचएआई द्वारा अपनी स्थिति स्पष्ट कर दिए जाने के बाद इस कार्य को किसी अन्य एजेंसी को सौप दिया जाना आवश्यक है ताकि बरसात के पूर्व इसका जीर्णोद्धार कार्य आरंभ हो सके।

विदित है कि पीएमओ के निर्देश पर सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के द्वारा गत 19 जनवरी 2018 को नेशनल हाईवे, पटना के चीफ इंजीनियर एवं एनएचएआई, पटना के रीजनल ऑफिस को पत्र देते हुए इस मामले में उपयुक्त जवाब दिए जाने का निर्देश दिया गया था।

इससे पूर्व गत 20 जुलाई 2017 को पीएमओ द्वारा एनएचएआई से सूचना मांगी गई जिसके जवाब में एनएचआई ने 14 अगस्त 2017 को बताया था कि यह पुल उसके क्षेत्राधिकार में नहीं आता. दूसरी ओर माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी इस मामले में गत 15 जनवरी 2018 को पथ निर्माण विभाग के सचिव को मेल भेजा था परन्तु संबंधित विभागों द्वारा अभी तक कोई कारगर कदम नहीं उठाया गया।

गौरतलब है कि वर्ष 1996-97 में भारत सरकार के आर्थिक सहयोग से सीमावर्ती रक्सौल और वीरगंज के बीच सरिसवा नदी पर इस मैत्री पुल का निर्माण राईट कंस्ट्रक्शन के अंतर्गत यू पी स्टेट ब्रिज कारपोरेशन लिमिटेड ने किया था लेकिन निर्माण के बाद इस पुल की मरम्मत और रखरखाव की जिम्मेदारी किसी ने नहीं ली जबकि इसी पुल पर भारतीय कस्टम उपायुक्त का कार्यालय भी स्थित है।

नेपाल का मुख्य प्रवेश द्वार पर स्थित अंतरराष्ट्रीय महत्व के इस पुल के रेलिंग का अधिकांश हिस्सा टूट चुका है। पुल के स्लैब का कंक्रीट पूरी तरह उखड़ चुका है जिसमें कई जगहों पर बड़े बड़े तालाबनुमा गड्ढे बन गए हैं।

साइकिल, मोटर साइकिल समेत टांगा, रिक्शा भी पुल की सड़क छोड़कर पुल के फुटपाथ पर चलते हैं जिसके कारण हर समय खतरा बना रहता है। बरसात में पुल की हालत और भी बदतर हो जाती है। पैदल चलना भी दुश्वार हो जाता है। देश विदेश के पर्यटक हर रोज इस पुल से गुजरते हैं। अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित इस पुल के साथ देश की प्रतिष्ठा जुड़ी हुई है.

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