हरियाणा

भारतीय संस्कृति को बचाने में नारी जाति का विशेष योगदान : आचार्य देवव्रत

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कुरुक्षेत्र, ओहरी

भारतीय संस्कृति को बचाने में नारी जाति का विशेष योगदान है क्योंकि नारी ही अपने बच्चों को अच्छे संस्कार देकर उन्हें सभ्य नागरिक बनाती है। ये शब्द गुरुकुल कुरुक्षेत्र के संरक्षक एवं हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने गुरुकुल में ‘आर्य वीरांगना योग एवं जीवन निर्माण शिविर के उद्घाटन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि आर्य वीरांगनाओं को सम्बोधित करते हुए कहे। उन्होंने कहा कि समाज सुधार के लिए बेटियों का शिक्षित, आत्मनिर्भर एवं जागरूक होना अति आवश्यक है क्योंकि एक बेटी दो कुलों का उद्धार करने में सक्षम है। यदि बेटियाँ शिक्षित और जागरूक होंगी तो वे न केवल अपने परिवार को, बल्कि विवाह के उपरान्त अपनी सन्तान को अच्छे संस्कार देगी तथा ससुराल के लोगों को भी जागरूक करेगी। उन्होंने कहा कि एक नारी माँ, दादी, नानी, बहन, धर्मपत्नी आदि विभिन्न रूपों में पुरुष समाज को नशाखोरी, पाखण्ड, अंधविश्वास, भेदभाव जैसी बुराइयों से दूर करने में अहम भूमिका निभा सकती है। वैदिक संस्कृति में माँ को बच्चे का प्रथम गुरु कहा गया है और बच्चों को अच्छे संस्कार, अच्छे गुण और अच्छी आदतें सर्वप्रथम माँ के द्वारा ही प्रदान की जाती है, ऐसे में महिलाओं की समाज के उत्थान में अति महत्त्वपूर्ण भूमिका है। इससे पूर्व महामहिम राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने ‘ओ3म् ध्वज फहराकर शिविर के शुभारम्भ की विधिवत घोषणा की। इस अवसर पर गुरुकुल के प्रधान कुलवन्त सिंह सैनी, सह-प्राचार्य शमशेर सिंह, शिविर अध्यक्ष नन्दकिशोर आर्य, मुख्य संरक्षक संजीव आर्य, आचार्या अमरकौर, बहन संतोष आर्या, सुमन आर्या सहित सभी शिक्षिकाएं उपस्थित रहीं।
शिविर अध्यक्ष नन्दकिशोर आर्य ने बताया कि शिविर में कुरुक्षेत्र, कैथल, ईस्माइलाबाद, शाहाबाद, बाबैन, नीलोखेड़ी, करनाल, पानीपत, सोनीपत, अम्बाला, यमुनानगर के लगभग 130 गाँवों से 1250 युवतियां तथा लगभग 200 महिलाएँ आयी है जिन्हें एक नियमित दिनचर्या के तहत बाहर से आयी लगभग 25 शिक्षिकाओं व आर्य विदूषियों द्वारा योग, आसन, प्राणायाम, जूडो-कराटे, लेजियम के साथ-साथ नैतिक शिक्षा और जीवन निर्माण सम्बंधी आवश्यक व्यावहारिक ज्ञान भी प्रदान किया जाएगा जिससे वे समाज में फैली बुराइयों को दूर करने में उपयोगी बनें। सभी आर्य वीरांगनाओं को व्यायाम शिक्षक संजीव आर्य एवं नन्दकिशोर आर्य के मार्गदर्शन में आर्य वीरांगना दल, गुरुकुल कुरुक्षेत्र की शिक्षिकाओं द्वारा सर्वांग सुन्दर व्यायाम और सूर्य नमस्कार आदि प्रशिक्षण दिया गया।

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