नीरज सिसौदिया, जालंधर
हाईकोर्ट के आदेशों के विरोध में हाई कोर्ट से स्टे लेने पहुंचे 11 दुकानदारों को राहत नहीं मिली है| माननीय उच्चतम न्यायालय ने उन्हें स्टे देने से इंकार कर दिया है| अब इन दुकानों पर डिच चलना तय है|
बता दें कि हाईकोर्ट ने पिछले साल नया बाज़ार की लगभग 90 से भी अधिक दुकानों के अवैध निर्माण गिराने के आदेश दिए थे| उस वक्त नगर निगम में जय इंदर सिंह जॉइंट कमिश्नर के रूप में तैनात थे और नया बाजार पर कार्रवाई की जिम्मेदारी भी उन्हें ही सौंपी गई थी| जय इंदर सिंह ने कार्रवाई करते हुए नया बाज़ार की लगभग 80 से भी अधिक दुकानों पर चला दी थी लेकिन कुछ दुकानदार कोर्ट की शरण में चले गए थे जिस कारण उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई थी| इसके बाद चुनावी दौर शुरू हो गया और जय इंदर सिंह का तबादला कर दिया गया| उनकी जगह पर जो भी अधिकारी आए उन्होंने हाईकोर्ट के आदेशों पर अमल करने में ज्यादा गंभीरता नहीं दिखाई| पिछले दिनों नगर निगम की टीम ने कार्रवाई करने नया बाजार पहुंची तो विरोध होने लगा और दुकानदारों ने कुछ दिन का समय मांगा जिस पर नगर निगम की टीम 1 सप्ताह का समय देकर वापस लौट आई| इसके बाद नया बाजार की यह 11 दुकानदार हाईकोर्ट की शरण में जा पहुंचे और स्टे देने के लिए याचिका दायर की| सूूूूत्र बताते हैं कि हाई कोर्ट ने उन्हें स्टे देने से इंकार कर दिया है| अब नगर निगम कमिश्नर दीपक वाला कड़ा को यह फैसला करना है कि वह नया बाजार पर कार्रवाई कब करेंगे|
वही सूत्र बताते हैं कि नया बाजार की जिन दुकानों से अतिक्रमण हटाया गया है उनमें भी हाईकोर्ट के आदेशों का पूरी तरह पालन नहीं किया गया| सूत्र यह भी बताते हैं कि नगर निगम के अधिकारियों ने रिश्वत की मोटी रकम लेकर दुकानों से निर्धारित अतिक्रमण नहीं हटाया बल्कि उसकी जगह थोड़ा कम अतिक्रमण ही तोड़ा है| सूत्र बताते हैं कि कुछ दुकानों को 5:00 से 6:00 फुट के अतिक्रमण का नोटिस दिया गया था लेकिन जब कार्यवाही की बात आई तो दो खुद ही छोड़कर नगर निगम के अधिकारी रिश्वत की मोटी रकम अपनी जेब में भर कर चलते बने| नगर निगम के इन भ्रष्ट अधिकारियों की जांच की जाए तो बड़ा खुलासा हो सकता है| माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों के बावजूद नगर निगम के अधिकारियों का इस तरह का रवैया सीधे अदालत की आदेशों को चुनौती दे रहा है| इस प्रकरण की जांच किसी सेवानिवृत्त जज से कराई जाए तो सारे मामले का खुलासा हो जाएगा|