नीरज सिसौदिया, जालंधर
नगर निगम की कार्यशैली का स्तर दिन-ब-दिन गिरता जा रहा है। यहां चेहरों को देखकर कानून लागू किए जा रहे हैं। जहां मन करता है वहां निगम अधिकारी कानून लागू कर देते हैं और जहां मन नहीं करता वहां खुलेआम अवैध काम करवाते हैं। इसका ताजा उदाहरण हाल ही में डिफेंस कॉलोनी में देखने को मिला। जहां नगर निगम ने तीस कोठियों को इसलिए नोटिस जारी कर दिये क्योंकि इन कोठियों में कॉमर्शियल गतिविधियां चलाई जा रही हैं।
आरटीआई एक्टिविस्ट रविंदरपाल सिंह चड्ढा ने कहा कि कानून सबके लिए बराबर होना चाहिए लेकिन नगर निगम हर मोहल्ले में अलग-अलग कानून लागू करने में लगा है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में तत्कालीन स्थानीय निकाय मंत्री अनिल जोशी ने नगर निगमों को एक आदेश जारी कर कहा था कि प्रदेश भर में रिहायशी इलाकों में चल रही दुकानों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। वहीं, एक मई 2014 माननीय पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और लीरा गिल की खंडपीठ ने एक मामले पर सुनवाई करते हुए कहा था कि अगर अवैध बिल्डिंग से अगर बिल्डिंग मालिक वॉयलेशन नहीं हटाता है तो उसकी प्रॉपर्टी सील करके कोर्ट में चाबी जमा करा दी जाए।
अब सवाल यह उठता है कि अगर पूरे शहर को रिहायशी इलाकों में दुकानें चलाने की इजाजत दी जा रही है तो फिर डिफेंस कॉलोनी वालों को नोटिस क्यों भेजा गया? उन्होंने पंजाब सरकार से मांग की है कि कानून को सबके लिए एक बराबर तरीके से लागू किया जाए। अगर रिहायशी इलाकों में चल रही दुकानों को बंद करना है तो पूरे शहर में चल रही दुकानों पर कार्रवाई की जाए।