इंटरव्यू देश

16 साल की उम्र में बन गए थे भाजपा के वार्ड अध्यक्ष, नई नवेली दुल्हन को उतार दिया था चुनाव प्रचार में, बेहद दिलचस्प रहा है उद्योग व्यापार मंडल के प्रदेश महामंत्री का सियासी सफर, व्यापारियों के लिए क्या हैं योजनाएं, इंटरव्यू में खुलकर कही दिल की बात, पढ़ें राजेंद्र गुप्ता का साक्षात्कार

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व्यापारी नेता राजेंद्र गुप्ता का सियासी सफर बेहद दिलचस्प रहा है. महज 16 साल की उम्र में भाजपा वार्ड प्रधान के पद पर काबिज होने वाले राजेंद्र गुप्ता ने व्यापारियों के हित में उल्लेखनीय कार्य करते हुए अपना अलग मुकाम हासिल किया है. व्यापारियों को अफसरशाही के शोषण से मुक्त कराने वाले राजेंद्र गुप्ता मिलावट खोरों और घटतोली करने वालों के सख्त विरोधी हैं. भारतीय जनता पार्टी में स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभा चुके राजेंद्र गुप्ता वर्तमान में उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल के प्रांतीय महामंत्री भी हैं. बरेली में राम मंदिर आंदोलन को आगे बढ़ाने में उनका उल्लेखनीय योगदान रहा. अपने अब तक के राजनीतिक सफर को वह किस नजरिये से देखते हैं? बतौर व्यापारी नेता उनकी क्या उपलब्धियां रहीं? प्रदेश में औद्योगिक विकास को लेकर उनकी ओर से क्या प्रयास किए जा रहे हैं? नए औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने के बारे में वह क्या सोचते हैं? व्यापारियों की समस्याओं और राजनीतिक सफर को लेकर नीरज सिसौदिया के साथ राजेंद्र गुप्ता ने खुलकर बात की. पेश हैं राजेंद्र गुप्ता से बातचीत के मुख्य अंश…
सवाल : राजनीति में आपका पदार्पण कब और कैसे हुआ? क्या सियासत आपको विरासत में मिली थी?
जवाब : सियासत और सेवा का जज्बा मुझे अपने दादा जी से विरासत में मिला था. मेरे दादा जी जनसंघ से जुड़े हुए थे. मेरे बचपन का वो शुरुआती दौर था. हम आंवला के एक छोटे से गांव राजूपुर में रहते थे. ये वो दौर था जब मतपेटियां बैलगाड़ी से आया करती थीं. ज्यादा तो मुझे याद नहीं है पर उस वक्त मेरे दादाजी भी चुनाव लड़े थे. उसके बाद मेरी उम्र करीब चार साल की रही होगी जब हम गांव से शहर आ गए.
सवाल : क्या आप भी दादा जी की तरह संघ से जुड़े थे?
जवाब : जी, मैं बचपन से ही संघ से जुड़ा था. प्राथमिक शिक्षा खत्म करने के बाद से ही मैं संघ की शाखाओं में जाने लगा था. फिर शाखा का मुख्य शिक्षक बना, शाखा कार्यवाह भी बना.
सवाल : संघ से भाजपा में कैसे आना हुआ? भाजपा में पहली जिम्मेदारी क्या मिली आपको?
जवाब : ये बात सन् 1985 के आसपास की रही होगी. हम शाखा में तो जाते ही थे. मेहनती भी बहुत थे और एक्टिव भी बहुत रहते थे. इसलिए 16 साल की आयु में हमें भाजपा का वार्ड अध्यक्ष बना दिया गया. उस वक्त पूरे महानगर को तीस वार्डों में बांटा गया था. वर्ष 1988 में हमारी शादी हुई और 1989 में संतोष गंगवार जी ने पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा था. हमारा गौना भी 1989 में हुआ था. ये वो दौर था जब उस मोहल्ले से भाजपा को वोट नहीं मिलते थे. उस दौर का एक यादगार किस्सा है जो मुझे आज भी याद है. हमारा नया-नया गौना हुआ था. दोस्तों ने कहा कि अगर पत्नी प्रचार करे तो बीजेपी को इस मोहल्ले से वोट मिल सकता है. विचार हुआ कि हमारी पत्नी भी प्रचार करेगी तो जनता में एक अच्छा संदेश जाएगा. तो हमारी पत्नी जो उस वक्त नई नवेली दुल्हन थीं, वह भी चुनाव प्रचार के लिए निकल पड़ीं. एक दिन वह प्रचार करके आ रही थीं तो सामने से संतोष जी पत्नी भी आ गईं. उन्होंने देखा कि हाथों में मेहंदी लगाकर एक नई नवेली दुल्हन प्रचार में लगी है. इस पर संतोष जी की पत्नी से रहा नहीं गया और उन्होंने हमारी पत्नी से पूछ ही लिया कि किसके लिए प्रचार कर रही हो. हमारी पत्नी ने जब उन्हें बताया कि संतोष गंगवार के लिए प्रचार कर रही हैं तो वह बहुत प्रभावित हुईं. इसका नतीजा यह रहा कि संतोष गंगवार हमारे वार्ड से पहली बार सर्वाधिक वोटों से जीते थे और बेगम आबिदा अहमद पराजित हुई थीं. यह पहला चुनाव था जो हमने पूरे होशो हवास में लड़वाया था. पार्टी ने हमारा भी हौसला बढ़ाया. फिर दो सभासद जिताए.

अपने राजनीतिक सफर के बारे में बताते राजेंद्र गुप्ता.

सवाल : क्या राम मंदिर आंदोलन में भी आपने कोई भूमिका निभाई?
जवाब : ये बात वर्ष 1992 की है. राम मंदिर निर्माण के लिए अपने रक्त से हस्ताक्षर करने वाले, शपथ लेने वाले हम बरेली के पहले व्यक्ति थे. राम कार सेवा में रहे, ज्योति पूजन में रहे. जेल भी गए. यहां गुलाबराय इंटर कॉलेज में बड़ी सभा हुई थी. बड़े बड़े साधु संत लोग आए थे और उसी सभा में ऐलान हुआ था कि आडवाणी जी रथयात्रा निकालेंगे.
सवाल : इसके बाद राजनीतिक सफर किस तरह आगे बढ़ा और व्यापारी नेता की छवि कैसे बनी?
जवाब : राम मंदिर आंदोलन के बाद हम मंडल महामंत्री बने, मंडल अध्यक्ष बने. फिर युवा मोर्चा में आ गए. यहां हमने पहले महानगर उपाध्यक्ष का फिर अध्यक्ष का दायित्व निभाया. फिर 1996-97 में हम व्यापार मंडल में आ गए.
सवाल : व्यापार मंडल में आपने किस स्तर पर काम किया?
जवाब : व्यापार मंडल में मैंने बहुत निचले स्तर से काम शुरू किया. मैं महानगर का प्रचार मंत्री बना. 1998 के बोर्ड में मैं भाजपा से नामित सभासद भी रहा. 1996 से 2000 तक काम करने के बाद मुझे व्यापार मंडल की महानगर ईकाई का युवा अध्यक्ष बना दिया गया. ये मेरे लिए एक सुनहरा मौका था. मैंने इस दौरान इतनी मेहनत की कि सिर्फ आठ साल में मैं महानगर अध्यक्ष से प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंच गया. फिर वर्ष 2013-14 में मैं भाजपा व्यापार प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय टीम में शामिल हो गया.

व्यापारियों की योजनाओं के बारे में जानकारी देते राजेंद्र गुप्ता.

सवाल : भारतीय जनता पार्टी में आपका कद दिन ब दिन बढ़ता जा रहा था. फिर इसे छोड़ने की क्या वजह रही?
जवाब : मेरा बढ़ता कद स्थानीय स्तर पर कुछ लोगों को रास नहीं आ रहा था. जिसके कारण स्थानीय स्तर पर कुछ मतभेद भी हुए. एक चाहत थी मन में कि विधानसभा चुनाव भी लड़ना चाहिए. दो-तीन बार प्रयास किया पर बीजेपी ने टिकट नहीं दिया. तो मैं क्षुब्ध होकर बसपा में चला गया और वर्ष 2017 में बसपा से कैंट विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा पर जीत नहीं पाए.
सवाल : उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल के प्रदेश महामंत्री का पद कैसे मिला?
जवाब : वर्ष 2014 में मैंने बरेली में व्यापार मंडल का एक बहुत बड़ा कार्यक्रम कराया था. जिसमें प्रदेश भर से करीब साढ़े चार हजार डेलीगेट इकट्ठा हुआ था तो मेरी निष्ठा को देखते हुए मुझे प्रदेश महामंत्री बनाया गया.
सवाल : बतौर व्यापारी नेता आपकी व्यापारियों के हित में क्या-क्या उपलब्धियां रहीं?
जवाब : देखिये कुछ उपलब्धियां तो कही जा सकती हैं. जब हम व्यापार मंडल में आए थे तो व्यापारियों को वो सम्मान नहीं दिया जाता था. कोई भी अधिकारी आकर व्यापारियों को चोर उचक्का, मिलावटखोर कह देता था. इंस्पेक्टर राज में व्यापारियों का शोषण बहुत होता था. तो हमने सबसे पहले इसे खत्म किया. अब कोई अधिकारी बेवजह किसी को परेशान नहीं कर सकता है. लोगों की सोच बदली. फिर हमने घटतोली और मिलावट खोरी को लेकर गोष्ठी की कि घटतोली और मिलावटखोरी सामाजिक अपराध है. इससे व्यापारियों की छवि में सुधार आया. इसके अलावा हमने टैक्स चोरी रोकने की दिशा में प्रयास तेज किए. सख्त हिदायत दी कि जो भी व्यापारी टैक्स चोरी करेगा वह हमारे संगठन का हिस्सा नहीं बन सकता.
सवाल : कितने व्यापारी जुड़े हैं आपके संगठन में अब तक?
जवाब : उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल एक वट वृक्ष की तरह है. पूरे उत्तर प्रदेश में करीब साढ़े तीन करोड़ व्यापारी हमसे जुड़ा हुआ है. प्रदेश के शहर तो छोड़िए, कोई बड़ा गांव भी ऐसा नहीं है जहां का व्यापारी हमसे न जुड़ा हो. अकेले बरेली में लगभग 126 छोटी बड़ी व्यापारियों की एसोसिएशन हमसे जुड़ी हुई हैं. कोई भी ऐसा कारोबार नहीं है बरेली में जो हमसे जुड़ा हुआ न हो.
सवाल : व्यापारियों के हित में आपने काफी काम किए. अब आगे आपको क्या लगता है कि व्यापारियों के लिए आपको क्या करना चाहिए या क्या करना चाहते हैं?
जवाब : देखिये ये जो काल चल रहा है वह व्यापारी राजनीति के लिए संक्रमण का काल है. व्यापार मंडल को इतनी प्रतिष्ठा मिल चुकी है कि हर व्यापारी इसका अध्यक्ष बनना चाहता है. ऐसे में कई संगठन खड़े हो गए हैं. लेकिन हमें उससे घबराना नहीं है, हमें आगे बढ़ते रहना है. हम सब कुछ कर रहे हैं पर शासन और सत्ता में हमारी कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं है. हम चाहते हैं कि जिस तरह से विधान परिषदों में आरक्षण है. आपने शिक्षक सीट दी है, श्रमिक सीट दी है, स्नातक सीट दी है, तो इसी तरह से व्यापारी सीट भी दी जाए. जिसमें जो पंजीकृत व्यापारी है उनका एक इलेक्टोरल बोर्ड बनाया जाए. मतदाता सूची बनाई जाए जिसमें कुछ सीटें उनके लिए आरक्षित की जाएं जिसमें सिर्फ व्यापारियों को रखा जाए. क्योंकि जब हम सीधे-सीधे सदन में पहुंचेंगे तो व्यापारियों की नीतियों को लेकर दृढ़ता पूर्वक कानून बनवा पाएंगे. इसके अलावा एक और बात यह है कि व्यापारी सबसे बड़ा दानदाता भी है. भामाशाह का उदाहरण हमारे सामने है. हम चाहते हैं कि हमें वीआईपी का दर्जा भी मिले जो अब तक हमें नहीं मिल सका है. हम किसी सांसद, मंत्री, विधायक के यहां जाते हैं तो व्यापारी होने के नाते हमें कोई प्रमुखता या प्राथमिकता नहीं दी जाती. इस संबंध में हमने अभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखा है कि जिस जिस तरह से आप बड़े कर दाताओं को सम्मान देते हैं, वैसे ही बड़ें व्यापारियों को भी सम्मान और वीआईपी का दर्जा दिया जाए.
सवाल : इंडस्ट्रियल एरिया को लेकर क्या प्रयास किए जा रहे हैं? हाल ही में केद्र सरकार ने एक कानून पास कर कुछ सर्विस सेक्टर को भी इंडस्ट्री में शामिल करने की सहूलियत दी है, क्या इसका लाभ बरेली के सर्विस सेक्टर को मिलेगा?
जवाब : बरेली में दो इंडस्ट्रियल एरिया थे जो फुल हो चुके हैं. हमने सरकार से प्रदेश के हर जिले के लिए कम से कम एक औद्योगिक क्षेत्र देने की मांग की है. बरेली में कई जगहों पर जमीन देखी गई है जो औद्योगिक क्षेत्र के लिए पूरी तरह सुरक्षित है. सरकार ने जो सर्विस सेक्टर को इंडस्ट्री में शामिल करने की पहल की है वह सराहनीय है. यह बदलाव मील का पत्थर साबित होगा. हमारे व्यापार मंडल का तो नारा भी है कि उद्योग और शहर का विकास मतलब राष्ट्र का विकास. मेगाफूड पार्क आ रहा है और टेक्सटाइल पार्क नहीं आ पाया, यह यहां के नेताओं की कुछ लचर पैरवी है लेकिन हम प्रयास कर रहे हैं.
सवाल : क्या इस बार फिर से चुनाव लेंगे?
जवाब : नहीं, वर्ष 2022 में मेरा चुवाव लड़ने का कोई मन नहीं है.
सवाल : व्यापारियों को क्या संदेश देना चाहेंगे?
जवाब : हम इंडिया टाइम 24 डॉट कॉम के माध्यम से व्यापारियों को यह संदेश देना चाहते हैं कि ईमानदारी से काम करें, जो लाइसेंस वांछित हैं उन्हें प्राप्त करें. घटतोली और मिलावटखोरी बिल्कुल भी न करें. अगर कोई उत्पीड़न करता है तो व्यापार मंडल व्यापारी के साथ खड़ा होगा.

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