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इंडिया टाइम 24 की खबर का असर, डीवीसी चंद्रपुरा के डिप्टी चीफ सहित पांच इंजीनियर चार्जशीट

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बोकारो थर्मल। रामचंद्र कुमार ‘अंजाना’
भ्रटाचार मामले में डीवीसी मुख्यालय ने एक बार फिर से बड़ी कार्रवाई करते हुए चंद्रपुरा पावर प्लांट के डिप्टी चीफ मैकनिकल पीपी साह सहित पांच इंजीनियरों को चार्ज शीट निर्गत किया है।चंद्रपुरा के पांचों इंजीनियरों पर की गयी कार्रवाई डीवीसी सीवीओ द्वारा करवाये गये जांच के बाद तथा सीवीसी से कार्रवाई के लिए मिली अनुमति के बाद किया गया है।चंद्रपुरा पावर प्लांट के जिन पांच इंजीनियरों पर कार्रवाई करते हुए चार्ज शीट निर्गत किया गया है उनमें एसडीई हेमंत कुमार,सहायक अभियंता एस पांडेय,धीरेंद्र कुमार,अभियंता सहायक बीरु पक्षा शामिल हैं।सभी इंजीनियरों को अलग-अलग चार्ज शीट निर्गत किया गया है।सभी इंजीनियरों को चार्ज शीट डीवीसी के सदस्य सचिव पीके मुखोपाध्याय के हस्ताक्षर से निर्गत किया गया है.डिप्टी चीफ पीपी साह को पत्रांक-189,एसडीई हेमंत कुमार को पत्रांक-192,सहायक अभियंता एस पांडेय को पत्रांक-190,धीरेंद्र कुमार को पत्रांक-193,तथा अभियंता सहायक बीरु पक्षा को पत्रांक-191 के तहत चार्ज शीट निर्गत किया गया है।चार्ज शीट निर्गत किये गये सभी इंजीनियरों को दस दिनों के अंदर अपना जवाब देने का निर्देश दिया गया है।

डिप्टी चीफ पर गठित किया गया चार्ज-डिप्टी चीफ को निर्गत किये गये चार्ज शीट में जो आरोप गठित किया गया है उसमें डीवीसी चंद्रपुरा के निविदा संख्या-00008/620 दिनांक-10.9.2016 के तहत विशाल ट्रांसपोर्ट के भाड़े पर चलने वाले ट्रक नंबर-जेएच 09एडी-2634 को ठीकेदार से आपसी मिलीभगत कर 3824 किलोमीटर ट्रक को चला हुआ दिखाकर डीवीसी के एक लाख पांच हजार संतानबे रुपया की निकासी कर ली गयी।आपसी मिलीभगत से की गयी निकासी को लेकर डीवीसी सर्विस कंडिका-3 के 1955 एवं सीसीएस नियम 1964 के तहत कार्रवाई की गयी है।बाकी सभी चारों इंजीनियरों पर ठीकेदार से आपसी मिलीभगत कर फर्जी तरीके से ट्रक के लॉग बुक को भरने का आरोप है जिससे राशि की निकासी की गयी थी।

क्या था मामला-डीवीसी चंद्रपुरा में निविदा संख्या-00008/620 दिनांक-10.9.2016 के तहत विशाल ट्रांसपोर्ट के ट्रक नंबर-जेएच 09एडी-2634 को झारखंड एवं बंगाल के लिए भाड़े पर प्रत्येक माह चलाने का 19 लाख रुपये का दो र्वा का निविदा दिया गया था।चंद्रपुरा प्रबंधन सहित उपरोक्त इंजीनियरों ने नौ माह तक ट्रक चलवाने के बाद शार्ट क्लोजर नोटिश के पत्रांक-716 दिनांक 9 अक्टूवर 2017 के तहत डीवीसी की आर्थिक स्थिति खराब होने का हवाला देकर उसे बंद कर डीवीसी के ही ट्रक को चलाने का निर्णय लिया था।शार्ट क्लोजर नोटिश के तहत उपरोक्त ट्रक को बंद करने के एक सप्ताह के बाद ही पुनः 16 अक्टूवर 2017 को डीवीसी के उपरोक्त इंजीनियरों ने उक्त बंद पड़े ट्रक को फिर से चलाने का निर्णय लिया था।मामले में मजेदार बात यह थी कि डीवीसी चंद्रपुरा के जिन इंजीनियरों ने एक सप्ताह पहले डीवीसी के ट्रक को चलने लायक फिट बताते हुए निविदा वाले ट्रक को बंद करने का नोटिश जारी किया था उसी डीवीसी के ट्रक को एक सप्ताह के बाद पूरी तरह से अनफिट करार दिया था।सूत्र बताते हैं कि इसी दौरान एक डील हुई जिसके आधार पर निविदा वाले ट्रक को फिर से चलाने का निर्णय लिया गया और भ्रटाचार को लेकर तय की गयी राशि के बंदरबांट को लेकर ट्रक को फर्जी तरीके से चला हुआ दिखाकर लॉग बुक भरकर निकाली गयी राशि की बंदरबांट की गयी।

Indiatime24.com में चली खबर पर डीवीसी के सीवीओ ने करवायी थी जांच

उपरोक्त पूरे मामले को लेकर ‘इंडिया टाइम 24. Com में 10 फरवरी को खबर को प्रमुखता से चली थी।खबर चलने के बाद डीवीसी चंद्रपुरा के तत्कालीन प्रोजेक्ट हेड जीके चंदा ने इसे गंभीरता से लेते हुए मामले की जांच को लेकर एक कमेटी का गठन कर दिया था।जांच कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद इंजीनियरों के विभागों में भी फेरबदल किया गया था। बाद में डीवीसी के सीवीओ डीके वर्मा ने सीवीसी के निर्देश पर चंद्रपुरा ट्रक मामले की जांच के लिए विजलेंश की एक टीम गठित की थी।विजलेंश की जांच टीम विगत् 10 अपै्रल को दो दिवसीय दौरा के क्रम में चंद्रपुरा आयी थी और पूरे मामले की जांच की थी।डीवीसी सीवीओ ने जांच रिपोर्ट सीवीसी को सौंप दी थी.

सीवीसी के एप्रूवल के बाद की गयी कार्रवाई-डीवीसी सीवीओ के द्वारा मामले की पूरी जांच रिपोर्ट सीवीसी को सौंपी गयी थी।सीवीसी द्वारा मामले में कार्रवाई के लिए एप्रूवल मिलने के बाद ही सभी इंजीनियरों को चार्ज शीट निर्गत किया गया है।

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