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महाकुंभ : पहले स्नान पर्व पर 1.65 करोड़ लोगों ने किया स्नान, श्रद्धालुओं पर पुष्पवर्षा, आज 13 अखाड़े सबसे करेंगे अमृत स्नान, पढ़ें महाकुंभ का आज और कल का पूरा अपडेट

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नीरज सिसौदिया, प्रयागराज
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में पौष पूर्णिमा के स्नान के साथ महाकुंभ मेला सोमवार से प्रारंभ हो गया। मेल प्रशासन के मुताबिक, सोमवार को शाम छह बजे तक 1.65 करोड़ श्रद्धालुओं ने गंगा और संगम में आस्था की डुबकी लगाई। इस दौरान, श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से फूल बरसाए गए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी श्रद्धालुओं, संत महात्माओं, कल्पवासियों और आगंतुकों का स्वागत करते हुए महाकुंभ के प्रथम स्नान की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने महाकुंभ को भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक गरिमा का प्रतीक बताया। मेला प्रशासन ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि महाकुंभ 2025 के पहले स्नान पर्व पौष पूर्णिमा के अवसर पर सोमवार को शाम छह बजे तक 1.65 करोड़ श्रद्धालुओं ने गंगा और संगम में डुबकी लगाई। मेला प्रशासन के मुताबिक, पहले स्नान पर्व के दौरान सभी घाटों और अखाड़ों पर श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से फूलों की बारिश की गई। उसने बताया कि उद्यान विभाग ने पुष्पवर्षा के लिए खासतौर पर गुलाब की पंखुड़ियों की व्यवस्था की थी और महाकुंभ के सभी स्नान पर्वों पर लगभग 20 क्विंटल गुलाब की पंखुड़ियां बरसाने की तैयारी है। पौष पूर्णिमा पर गंगा स्नान के महत्व पर प्रकाश डालते हुए तीर्थ पुरोहित राजेंद्र मिश्र ने बताया कि पौष माह के शुक्ल पक्ष के 15वें दिन पौष पूर्णिमा पर गंगा स्नान से सभी तरह के पाप मिट जाते हैं। उन्होंने कहा, “पौष पूर्णिमा के साथ एक महीने तक चलने वाला कल्पवास भी आज से प्रारंभ हो गया। इस दौरान लोग एक माह तक तीनों समय गंगा स्नान कर एक प्रकार का तप वाला जीवन व्यतीत करते हैं और भगवान के भजन गाते हैं।” प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘एक्स’ पर लिखा, “भारतीय मूल्यों और संस्कृति को धारण करने वाले करोड़ों लोगों के लिए एक विशेष दिवस महाकुंभ 2025 प्रयागराज में प्रारंभ हो चुका है, जहां असंख्य लोग आस्था, समर्पण और संस्कृति के एक पवित्र संगम में एकत्र हो रहे हैं। महाकुंभ भारत की सनातन विरासत का प्रतीक है।” उन्होंने लिखा, “मैं असंख्य लोगों के वहां आकर डुबकी लगाते और संतों का आशीर्वाद लेते देखकर अभिभूत हूं। सभी श्रद्धालुओं और पर्यटकों के शानदार प्रवास की कामना करता हूं।” मेला क्षेत्र में स्नान के बाद लोगों की भीड़ अखाड़ों में नागा साधुओं का आशीर्वाद लेती हुई दिख रही है। वहीं, सेक्टर-16 में स्थित किन्नर अखाड़ा में भी भारी संख्या में लोग किन्नर संतों का आशीर्वाद लेने पहुंच रहे हैं। राजस्थान के बालोत्रा जिले से 11 लोगों की टोली लेकर किन्नर अखाड़ा पहुंचे दिलीप कुमार ने बताया कि वह पहली बार इस मेले में आए हैं और किन्नर अखाड़ा का बोर्ड देखकर अपने साथियों के साथ यहां पहुंचे हैं। उन्होंने कहा, “किन्नर अखाड़ा में साधु-संतों को सनातन धर्म का प्रचार करते देख अच्छा लग रहा है। यह समाज काफी समय से उपेक्षित रहा, लेकिन कुंभ ने इन्हें संत के रूप में अपनाया, जो सराहनीय है।” मुंबई से पहली बार किन्नर अखाड़े में आए लाल जी भाई भानुशाली ने बताया कि उन्हें सोशल मीडिया के माध्यम से इस शिविर के बारे में पता चला। भानुशाली ने कहा कि मुंबई और कच्छ (गुजरात) से 1,500 लोग उनके साथ महाकुंभ में आए हैं और बारी-बारी से ये सभी लोग किन्नर अखाड़े को देखने जा रहे हैं।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, महाकुम्भ का पहला अमृत स्नान कल मकर संक्रांति की तिथि पर विधि-विधान से होगा। महाकुम्भ के पहले अमृत स्नान की पूर्व संध्या पर अखाड़ों में तैयारियां पूरे जोश और उत्साह के साथ हो रही हैं। सनातन धर्म के 13 अखाड़ों के लिए ‘अमृत स्नान’ का भी स्नान क्रम जारी किया गया है। बयान के मुताबिक, अखाड़ों को ‘अमृत स्नान’ की तिथियों और उनके स्नान क्रम की जानकारी दे दी गई। यह व्यवस्था मकर संक्रांति और बसंत पंचमी के अमृत स्नान के लिए जारी की गई है। बयान में श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के सचिव महंत आचार्य देवेंद्र सिंह शास्त्री के हवाले से बताया गया है कि अखाड़ों के ‘अमृत स्नान’ की तिथि, क्रम और समय की जानकारी आ चुकी है। इसमें कहा गया है कि 14 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी सबसे पहले अमृत स्नान करेगा, जिसके साथ श्री शंभू पंचायती अटल अखाड़ा भी होगा। बयान के अनुसार, “यह अखाड़ा तड़के 5.15 बजे शिविर से प्रस्थान करेगा और 6.15 बजे घाट पहुंचेगा। इसे स्नान के लिए 40 मिनट का समय दिया गया है। यह 6.55 बजे घाट से वापस शिविर के लिए रवाना होगा और 7.55 बजे शिविर पहुंचेगा।” बयान में कहा गया है, “दूसरे स्थान पर श्री तपोनिधि पंचायती श्री निरंजनी अखाड़ा और श्री पंचायती अखाड़ा आनंद अमृत स्नान करेगा। इसका शिविर से प्रस्थान का समय सुबह 6.05 बजे,घाट पर आगमन का समय 7.05 बजे, स्नान का समय 40 मिनट, घाट से प्रस्थान का समय 7.45 बजे और शिविर में आगमन का समय 8.45 बजे रहेगा।” इसमें बताया गया है, “तीसरे स्थान पर तीन संन्यासी अखाड़े अमृत स्नान करेंगे, जिनमें श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा, श्री पंच दशनाम आवाहन अखाड़ा और श्री पंचाग्नि अखाड़ा शामिल हैं। इनका शिविर से प्रस्थान का समय सुबह 7.00 बजे, घाट पर आगमन का समय 8.00 बजे, स्नान का समय 40 मिनट, घाट से प्रस्थान का समय 8.40 बजे और शिविर में आगमन का समय 9.40 बजे होगा।” बयान के मुताबिक, तीन बैरागी अखाड़ों में सबसे पहले अखिल भारतीय श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़ा सुबह 9.40 बजे शिविर से चलेगा, 10.40 बजे घाट पहुंचेगा और 30 मिनट के स्नान के बाद 11.10 बजे घाट से रवाना होकर दोपहर 12.10 बजे शिविर पहुंच जाएगा। इसमें कहा गया है, “अखिल भारतीय श्री पंच दिगंबर अनी अखाड़ा सुबह 10.20 बजे शिविर से निकलेगा, 11.20 बजे घाट पहुंचेगा और 50 मिनट के स्नान के बाद दोपहर 12.10 बजे घाट से रवाना होकर 13.10 बजे शिविर लौटेगा। इसी तरह, अखिल भारतीय श्री पंच निर्वाणी अनी अखाड़ा पूर्वाह्न 11.20 बजे शिविर से चलेगा और 12.20 पर घाट पहुंचेगा। 30 मिनट के स्नान के बाद यह दोपहर 12.50 बजे घाट से रवाना होगा और 1.50 बजे शिविर आ जाएगा।” बयान के अनुसार, बाकी तीन अखाड़ों में उदासीन से जुड़े अखाड़े आते हैं, जिनमें से उदासीन श्री पंचायती नया उदासीन अखाड़ा 12.15 बजे अपने शिविर से रवाना होकर 1.15 बजे घाट पहुंचेगा और 55 मिनट के स्नान के बाद 3.10 बजे घाट से निकलकर 3.10 बजे शिविर पहुंच जाएगा। बयान में कहा गया है, “श्री पंचायती अखाड़ा, नया उदासीन, निर्वाण 1.20 बजे शिविर से निकलेगा और 2.20 बजे घाट पहुंचेगा। यहां एक घंटे के स्नान के बाद यह 3.20 बजे घाट से रवाना होकर 4.20 बजे शिविर आ जाएगा।” बयान के मुताबिक, “श्री पंचायती निर्मल अखाड़ा सबसे आखिर में अमृत स्नान करेगा। यह अखाड़ा 2.40 बजे शिविर से चलेगा और 3.40 बजे घाट पहुंचेगा। 40 मिनट के स्नान के बाद इसके शाम 4.20 बजे घाट से रवाना होकर 5.20 बजे शिविर पहुंचने का कार्यक्रम है।” अखाड़ों के अध्यक्ष, मण्डलेश्वरों, महामण्डलेश्वरों,महन्त और अन्य पदाधिकारियों के रथ,हाथी, घोड़ों की साज-सज्जा की जा रही है। नागा साधु-संन्यासी धूनी रमा कर, अपने अस्त्र-शस्त्र, ध्वजा, ढोल-नगाड़े, डमरू लेकर अमृत स्नान की शोभा यात्रा की तैयारी कर रहे हैं। महाकुम्भ के अमृत स्नान का सनातन आस्था में विशेष महत्व है। अनादि काल ले साधु, संन्यासियों और श्रद्धालुओं की महाकुम्भ के अमृत काल में संगम स्नान करने की परंपरा रही है। आदि शंकराचार्य की प्रेरणा से बने अखाड़े महाकुम्भ में दिव्य शोभा यात्रा के साथ अमृत स्नान करते हैं। मान्यता के अनुसार मकर संक्रांति के पर्व पर महाकुम्भ का पहला अमृत स्नान होता है। परंपरा अनुसार सभी अखाड़े अपने-अपने क्रम से अमृत स्नान करते हैं। अमृत स्नान की पूर्व संध्या पर सभी अखाड़ों में तैयारियां की जा रही है। अखाड़ों के सभी पदाधिकारियों, महंत, अध्यक्ष, मण्डलेश्वरों, महामण्डलेश्वरों के रथ, हाथी, घोड़ों, चांदी के हौदों की साज-सज्जा फूलों और तरह-तरह के आभूषणों से की जा रही है। किसी रथ पर भगवान शिव का अलंकरण है तो किसी पर मोर और भगवान गणेश का। साथी बैण्ड-बाजे भी अपने-अपने वाद्य यंत्रों के साथ तैयारियां कर रहे हैं। महाकुम्भ के अमृत स्नान में अखाड़ों के साधु-संन्यासी परंपरा अनुसार प्रात: काल दिव्य शोभा यात्रा लेकर संगम की ओर प्रस्थान करेंगे हैं। लेकिन अमृत स्नान की शोभा यात्रा निकलने का क्रम रात्रि से ही शुरू हो जाएगा। अखाड़ों के नागा संन्यासी अपने तन पर भस्म रमा कर,अपनी जटा-जूट का श्रृंगार कर धर्म ध्वजा, तीर-तलवार, भाले, ढोल-नगाड़े लेकर इष्ट देव के जयकारे लगाते हुए संगम की ओर चलेंगे। सबसे पहले अखाड़ों में इष्ट देव का मंत्रोच्चार से पूजन किया जाएगा। इसके बाद स्नान विधि पूजन कर, अखाड़ों के पदाधिकारी अपने-अपने क्रम से रथों, हाथी, घोड़ों पर सवार होकर जयकारे लगाते हुए संगम की ओर बढ़ेंगे। मेला प्रशासन ने भी पहले अमृत स्नान के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। अखाड़ों के आने का क्रम, उनका मार्ग, स्नान का घाट और समय आदि निर्धारित कर दिया गया है। अखाड़ों के मार्ग में बैरिकेड लगा दिये गये हैं ताकि किसी तरह की भगदड़ न होने पाये। मेला क्षेत्र के सभी थानों और पुलिस कर्मियों को दिशानिर्देश जारी किये जा चुके हैं। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी वॉच टॉवर और आईसीसी कंट्रोल रूम से अमृत स्नान की शोभायात्रा की निगरानी करेंगे। मेला प्रशासन अमृत स्नान काल में साधु-संन्यासियों पर हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा करवाएगा।
वहीं, महाकुम्भ के प्रथम स्नान पर्व पर तड़के घने कोहरे के बीच भारी भीड़ में अपनों से बिछड़े 250 से अधिक लोगों का अपने परिजनों से फिर मिलना किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं रहा। पारंपरिक भूले-भटके शिविर की तर्ज पर डिजिटल पहल के माध्यम से बिछड़ों को परिजनों से मिलवाया गया। सोमवार को पौष पूर्णिमा के साथ महाकुम्भ मेला शुरू हुआ, जिसमें शाम तक डेढ़ करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान किया। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी) भानु भास्कर ने बताया कि प्रत्येक केंद्र में 55 इंच के एलईडी स्क्रीन लगे हैं, जिसमें भटके हुए और मिल चुके लोगों की अद्यतन जानकारी दी जा रही है। साथ ही ये केंद्र घाट की व्यवस्थाओं और मार्गों के बारे में भी आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराएंगे। उन्होंने बताया कि ये केंद्र खोए हुए व्यक्तियों और वस्तुओं के बारे में डिजिटल माध्यम से जानकारी दर्ज कर रहे हैं और एलईडी स्क्रीन पर उनकी फोटो और अन्य जानकारी प्रदर्शित की जा रही है। ये सभी केंद्र एक आधुनिक संचार के जरिए एक दूसरे से जुड़े हैं। भास्कर ने बताया कि सूचनाओं को ‘फेसबुक’, ‘एक्स’ आदि के माध्यम से भी साझा किया जा रहा है। इसके अलावा, पूरे मेला क्षेत्र में पूछताछ केंद्र स्थापित किए गए हैं।

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