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समय-समय सियासी ठिकाना बदलते रहे हैं विजयपाल सिंह, कभी बसपा, कभी भाजपा तो कभी सपा से लड़े चुनाव, हार की लगा चुके हैं ‘हैट्रिक’, कहीं ‘डबल हैट्रिक’ की तैयारी तो नहीं? क्या मौका देंगे अखिलेश यादव?

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नीरज सिसौदिया, बरेली
बरेली जिले की फरीदपुर विधानसभा सीट से पूर्व विधायक विजयपाल सिंह एक बार फिर फरीदपुर विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते हैं। विजयपाल वो शख्स हैं जो समय-समय पर अपना सियासी ठिकाना बदलते रहे हैं। कभी बहुजन समाज पार्टी, कभी भारतीय जनता पार्टी तो कभी समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधानसभा चुनावों में किस्मत आजमाते रहे हैं। लेकिन उन्हें सफलता सिर्फ मायावती की बहुजन समाज पार्टी से ही मिली है। समाजवादी पार्टी में विजयपाल जब से आए हैं तब से पार्टी ने उन पर भरोसा जताया लेकिन विजयपाल उस भरोसे पर खरे नहीं उतर सके। हर बार पार्टी को हार का ही सामना करना पड़ा। विजयपाल ने वर्ष 1996 में चुनाव से पहले बसपा ज्वॉइन की थी और चुनाव भी लड़े। 2002 में वह बसपा को अलविदा कहकर भाजपा से लड़े लेकिन हार गए। 2007 में वह फिर बसपा के टिकट पर मैदान में उतरे और जीत गए। 2012 और 2017 मेें बसपा से लड़े लेकिन 2012 में सपा के सियाराम सागर से और 2017 में भाजपा के श्याम बिहारी लाल से हार गए। 2022 में उन्हें सपा ने मैदान में उतारा लेकिन वह फिर हार गए। इस तरह उन्होंने हार की हैट्रिक लगाई। अब वह एक बार फिर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। उनके विरोधी उन पर तंज कस रहे हैं कि विजयपाल सिंह हार की डबल हैट्रिक बनाना चाहते हैं। इसलिए मैदान नहीं छोड़ना चाहते।
इन दिनों विजयपाल सिंह की चर्चा एक झूठ को लेकर भी हो रही है। हाल ही में विजयपाल ने फेसबुक पर अपना एक इंटरव्यू शेयर किया है। इसमें वह बता रहे हैं कि उन्होंने समाजसेवा के लिए सरकारी नौकरी छोड़ दी थी। जबकि उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी बताते हैं कि विजयपाल सिंह ने पेट्रोल पंप का कारोबार करने के लिए सरकारी नौकरी छोड़ी थी। इसी इंटरव्यू में विजयपाल सिंह दावा कर रहे हैं कि उनकी पत्नी भुता ब्लॉक और फरीदपुर ब्लॉक की ब्लॉक प्रमुख रह चुकी हैं। विजयपाल सिंह की इस बात में भी आधी ही सच्चाई है।
दरअसल, विजयपाल की पत्नी फरीदपुर से ब्लॉक प्रमुख रही हैं लेकिन वह कभी भुता ब्लॉक प्रमुख का चुनाव नहीं जीतीं। बात उन दिनों की है जब पूर्व विधायक सियाराम सागर के छोटे भाई चंद्रसेन सागर भुता के ब्लॉक प्रमुख थे। उस समय प्रदेश में सपा की सरकार थी। वर्ष 2014 में तत्कालीन भुता ब्लॉक प्रमुख चंद्रसेन सागर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया जो गिर गया। इसके सूत्रधार कथित तौर पर विजयपाल ही थे। इसके बाद विजयपाल सिंह ने कथित तौर पर तिकड़म किया और माननीय इलाहाबाद हाईकोर्ट को गलत जानकारी देकर चंद्रसेन सागर को भुता ब्लॉक प्रमुख के पद से पदच्युत करवा दिया। इस पर ब्लॉक के कामकाज के संचालन के लिए एक तीन सदस्यीय कमेटी बनाई गई। इस कमेटी में विजयपाल सिंह की पत्नी, रामेश्वर दयाल और एक अन्य नेता को शामिल किया गया था। यह कमेटी 6 माह भी नहीं रह सकी थी। इससे पहले ही माननीय इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चंद्रसेन सागर के पक्ष में फैसला सुनाया और उन्हें फिर से ब्लॉक प्रमुख के पद पर बहाल कर दिया। अब सवाल यह उठता है कि विजयपाल सिंह को यह झूठ क्यों बोलना पड़ा? इसका सही जवाब तो सिर्फ विजयपाल सिंह के ही पास है लेकिन राजनीतिक जानकारों का मानना है कि विजयपाल की सियासी जमीन अब पूरी तरह खिसक चुकी है, इसलिए वह उस खोई हुई जमीन को वापस पाने की जुगत में कोई कसर छोड़ना नहीं चाहते, इसीलिए इस तरह की बातों को हवा दे रहे हैं। बहरहाल, हार की हैट्रिक लगा चुके विजयपाल सिंह को क्या अखिलेश यादव डबल हैट्रिक लगाने का मौका देंगे या फिर उनकी जगह किसी नए चेहरे को मैदान में उतारेंगे?

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