नीरज सिसौदिया, बरेली
शहर के हिंद टॉकीज के पीछे स्थित मोटर मार्केट में मंगलवार को नगर निगम द्वारा चलाए गए अतिक्रमण अभियान के बाद हालात उस समय गरमा गए जब पीड़ित व्यापारियों ने आरोप लगाया कि निगम अधिकारियों ने उनके साथ न केवल बदसलूकी की, बल्कि उनकी दुकानों से माल भी जब्त कर लिया। इस पूरे मामले में नगर निगम पार्षद राजेश अग्रवाल सक्रिय भूमिका में नजर आए। उन्होंने पीड़ित व्यापारियों, वाल्मीकि समाज के प्रतिनिधियों और समाजवादी पार्टी के प्रमुख पदाधिकारियों के साथ नगर आयुक्त से मिलकर पूरे घटनाक्रम की शिकायत दर्ज कराई और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की। साथ ही जब बटलर प्लाजा के बाहर का वीडियो दिखाकर अतिक्रमण न हटाए जाने पर सवाल किया और नगर निगम के भ्रष्टाचार का सबूत दिया तो नगर आयुक्त की बोलती बंद हो गई और वो कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे सके।
घटनाक्रम के अनुसार, नगर निगम की टीम ने हिंद टॉकीज के पीछे मोटर मार्केट क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने का अभियान चलाया था। इस दौरान इंजीनियर अतिकाय सिंह और उनके भाई कुशराज सिंह की दुकान से अतिक्रमण प्रभारी राजवीर सिंह और उनके सहयोगी सच्चिदानंद ने सामान जब्त कर लिया। बाद में जब व्यापारी अपना माल वापस लेने पहुंचे तो उन्हें न केवल घंटों तक परेशान किया गया, बल्कि उनके साथ अभद्रता भी की गई।
व्यापारियों का कहना था कि वे नगर निगम द्वारा निर्धारित शुल्क देने के लिए तैयार थे, लेकिन अधिकारियों ने जानबूझकर देरी की और शाम तक उन्हें बिना सामान दिए वहां से भगा दिया गया। इससे व्यापारी समाज में भारी रोष फैल गया और उन्होंने पार्षद राजेश अग्रवाल को पूरे मामले की जानकारी दी।
घटना की सूचना मिलते ही पार्षद राजेश अग्रवाल ने स्वयं मोर्चा संभाला और पीड़ित व्यापारियों के साथ नगर आयुक्त से मिलने पहुंचे। उन्होंने नगर आयुक्त को बताया कि उन्होंने एक दिन पहले ही अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि व्यापारियों को उनका सामान वापस कर दिया जाए और उनसे निर्धारित शुल्क लिया जाए। इसके बावजूद संबंधित अधिकारियों ने उनके आदेश की अनदेखी की और व्यापारियों के साथ बदसलूकी की।
राजेश अग्रवाल ने कहा कि यह पूरा प्रकरण नगर निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार और अहंकारपूर्ण कार्यशैली का प्रमाण है। उन्होंने आरोप लगाया कि अतिक्रमण प्रभारी राजवीर सिंह और सच्चिदानंद दोनों लंबे समय से अपने पदों का दुरुपयोग कर रहे हैं। अग्रवाल ने नगर आयुक्त से स्पष्ट शब्दों में कहा,
“इन दोनों भ्रष्ट कर्मचारियों के खिलाफ यदि कार्रवाई नहीं की गई, तो मैं नगर निगम बोर्ड में इनकी निंदा प्रस्ताव लाऊंगा और शासन को इनके भ्रष्टाचार की पूरी जानकारी दूंगा। नगर निगम में पारदर्शिता और जनता के सम्मान से खिलवाड़ किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
व्यापारियों ने जताया आक्रोश, वाल्मीकि समाज ने दी एकजुटता
नगर निगम कार्यालय पहुंचने वाले व्यापारियों में इंजीनियर अतिकाय सिंह, कुशराज सिंह, वेद प्रकाश वाल्मीकि, श्याम सुंदर वाल्मीकि, सुरेंद्र सोनकर, मुकेश बाबू वाल्मीकि, लक्ष्मण सिंह राणा, अरविंद आनंद, जगदीश कठेरिया, डॉ. सी.पी. आर्या, राज कुमार, आर.के. राजन, अतुल भान, अकुल भान, आदित्य सिंह, सूरज यादव, दिनेश यादव और श्री गुरु प्रसाद काले जैसे कई सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ता शामिल रहे।
वाल्मीकि समाज के लोगों ने कहा कि अतिक्रमण के नाम पर केवल छोटे दुकानदारों और कमजोर वर्गों को परेशान किया जा रहा है, जबकि बड़े कारोबारी और प्रभावशाली लोग सुरक्षित हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर उत्पीड़न बंद नहीं हुआ तो समाज सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करेगा।
पार्षद राजेश अग्रवाल ने कहा कि नगर निगम के कुछ अधिकारी अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं और आम नागरिकों को परेशान करने का सिलसिला लगातार जारी है। उन्होंने कहा कि वह नगर निगम बोर्ड की अगली बैठक में इस पूरे मुद्दे को प्रमुखता से उठाएंगे।
“मैं सदन में भ्रष्टाचार की करतूतें उजागर करता हूं, इसलिए इन अधिकारियों ने मेरे नाम का दुरुपयोग करके व्यापारियों को परेशान किया है। लेकिन अब यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। शहर की जनता ने मुझे उनकी आवाज़ उठाने के लिए चुना है, और मैं किसी भी कीमत पर अन्याय सहन नहीं करूंगा।”
राजेश अग्रवाल की इस सख्त प्रतिक्रिया के बाद नगर निगम के गलियारों में हड़कंप मच गया। सूत्रों के अनुसार, नगर आयुक्त ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं और संबंधित अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा गया है।

पुलिस अधीक्षक नगर से भी की शिकायत
नगर आयुक्त से मिलने के बाद पार्षद राजेश अग्रवाल, इंजीनियर अतिकाय सिंह, कुशराज सिंह और अन्य व्यापारी पुलिस अधीक्षक नगर के कार्यालय पहुंचे। वहां उन्होंने अधिकारियों के खिलाफ लिखित शिकायत दी और कहा कि नगर निगम की कार्रवाई के दौरान सरकारी पद का दुरुपयोग हुआ है और पीड़ितों के साथ बदसलूकी की गई है।
राजेश अग्रवाल ने पुलिस अधिकारियों से कहा कि इस प्रकार की बदसलूकी केवल प्रशासनिक अनुशासन का ही नहीं, बल्कि नागरिक अधिकारों का भी उल्लंघन है। उन्होंने मांग की कि इस मामले में तुरंत जांच कर जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की जाए।
राजेश अग्रवाल की सक्रियता और सख्त तेवरों के बाद नगर निगम में अफसरों की हलचल बढ़ गई है। निगम के भीतर यह चर्चा जोरों पर है कि यह मामला सिर्फ एक व्यापारी से बदसलूकी का नहीं, बल्कि व्यापक स्तर पर हो रहे भ्रष्टाचार का आईना है।
कई पार्षदों ने भी इस मुद्दे पर राजेश अग्रवाल का समर्थन किया है और कहा है कि शहर में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई पारदर्शी और निष्पक्ष होनी चाहिए। किसी भी निर्दोष व्यापारी या छोटे दुकानदार को बिना कारण प्रताड़ित करना अनुचित है।
इस पूरे घटनाक्रम के बाद राजेश अग्रवाल की छवि एक जनसेवक और निडर जनप्रतिनिधि के रूप में और मजबूत हुई है। स्थानीय व्यापारी और वाल्मीकि समाज के लोगों ने कहा कि उन्होंने जिस तरह से तुरंत मौके पर पहुंचकर प्रशासन के खिलाफ आवाज़ उठाई, वह सराहनीय है।
राजेश अग्रवाल पहले भी कई बार नगर निगम की नीतियों पर सवाल उठा चुके हैं और सदन में आम जनता के हितों की खुलकर वकालत करते रहे हैं। यही कारण है कि नगर निगम में उनका नाम भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सशक्त आवाज़ के रूप में लिया जाता है।
जनता का समर्थन, निगम के खिलाफ बढ़ा दबाव
पीड़ित व्यापारियों ने कहा कि अगर नगर निगम ने जल्द कार्रवाई नहीं की तो वे राजेश अग्रवाल के नेतृत्व में सामूहिक धरना प्रदर्शन करेंगे। वहीं शहर के अन्य बाजारों के व्यापारी संगठनों ने भी चेतावनी दी है कि अगर इस प्रकार की मनमानी जारी रही तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाने को मजबूर होंगे।
नगर निगम के अतिक्रमण अभियान को लेकर उठे विवाद ने एक बार फिर नगर निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जहां निगम अधिकारी इसे नियमित अभियान बता रहे हैं, वहीं पार्षद राजेश अग्रवाल और व्यापारी समाज इसे भ्रष्टाचार और उत्पीड़न से जोड़ रहे हैं।
अब देखना यह होगा कि नगर आयुक्त इस मामले में क्या कार्रवाई करते हैं — क्या दोषी अधिकारियों पर सख्त कदम उठाया जाएगा, या यह मामला भी जांच की फाइलों में दबकर रह जाएगा।
लेकिन इतना तय है कि राजेश अग्रवाल ने जिस दृढ़ता के साथ पीड़ितों की आवाज़ उठाई है, उसने नगर निगम की राजनीति में हलचल मचा दी है और भ्रष्टाचार के खिलाफ एक नया जनआंदोलन आकार लेता दिख रहा है।





