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नगर विकास मंत्री की बैठक में सतीश चंद्र सक्सेना मम्मा ने उठाई पार्षदों को मानदेय और निधि देने की मांग, मंत्री ने कहा—विचार करेंगे

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नीरज सिसौदिया, बरेली

करवाचौथ के अगले दिन बरेली में नगर विकास मंत्री अरविंद कुमार शर्मा (एके शर्मा) ने मंगलवार को GIC सिटी ऑडिटोरियम में नगर निगम की बड़ी विभागीय बैठक की। बैठक में महापौर, सभी पार्षद, विधायक, सांसद और नगर निगम अधिकारी मौजूद रहे। मंत्री ने शहर में चल रही परियोजनाओं की समीक्षा की और करीब 50 करोड़ रुपये की योजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास किया।

बैठक का माहौल विकास योजनाओं पर केंद्रित था, लेकिन इस दौरान सबसे अहम मुद्दा तब सामने आया जब नगर निगम कार्यकारिणी सदस्य और पार्षद सतीश चंद्र सक्सेना कातिब उर्फ “मम्मा” ने पार्षदों के अधिकार और सम्मान से जुड़ा सवाल उठाया। मम्मा ने मंत्री के सामने कहा कि पार्षद जनता की पहली कड़ी होते हैं, लेकिन उन्हें आज भी उचित मानदेय या निधि नहीं मिलती।

उन्होंने बताया कि नगर निगम बोर्ड की बैठक में शामिल होने पर पार्षदों को सिर्फ 1500 रुपये यात्रा भत्ता दिया जाता है। साल में छह बैठक का प्रावधान है, जो प्रायः पूरी नहीं होतीं। अगर सभी बैठकें हो जाएं तो पांच साल में किसी पार्षद को केवल 45 हजार रुपये मिलते हैं। उन्होंने कहा कि यह रकम पार्षदों के सम्मान और जिम्मेदारी के अनुपात में बेहद कम है।

मम्मा ने कहा कि विधायक और सांसदों की तरह पार्षदों को भी विकास निधि और स्थायी मानदेय दिया जाना चाहिए, ताकि वे अपने वार्ड की जनता की समस्याओं को बेहतर तरीके से हल कर सकें।

“हम जनता के बीच हर समय मौजूद रहते हैं। कोई नाली टूटी हो, सड़क जर्जर हो या लाइट खराब — हर शिकायत सबसे पहले पार्षद के पास आती है। ऐसे में हमें भी अपने वार्ड के लिए संसाधन और अधिकार मिलने चाहिए,” मम्मा ने कहा।

उन्होंने सुझाव दिया कि प्रत्येक पार्षद को कम से कम 10,000 रुपये प्रतिमाह मानदेय और मेयर को 50,000 रुपये प्रतिमाह दिया जाए, ताकि जनप्रतिनिधि आर्थिक रूप से सशक्त हों और जनता तक विकास योजनाएं प्रभावी ढंग से पहुंचा सकें।

मम्मा ने भाजपा के पुराने वादे की याद दिलाते हुए 74वां संविधान संशोधन लागू करने की मांग भी उठाई। उन्होंने कहा कि जब प्रदेश में अन्य दलों की सरकारें थीं, तब भाजपा यही संशोधन लागू करने की बात करती थी, लेकिन 2017 में सरकार बनने के बाद भी इसे लागू नहीं किया गया।

“अगर 74वां संशोधन लागू हो जाए, तो बीडीए, अग्निशमन, जल निगम और यातायात जैसे विभाग नगर निगम के अधीन आ जाएंगे और पार्षदों की ताकत बढ़ेगी,” मम्मा ने कहा।

मंत्री अरविंद शर्मा ने मम्मा की मांगों को ध्यान से सुना और कहा कि पार्षद वास्तव में लोकतंत्र की नींव हैं।

“आपकी बातें तर्कसंगत हैं, इस पर शासन स्तर पर गंभीरता से विचार किया जाएगा,” मंत्री ने कहा।

उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि पार्षदों को विकास कार्यों में पूरी भागीदारी दी जाए और शहर की योजनाओं को समयबद्ध तरीके से पूरा किया जाए।

मम्मा की बातों को अन्य पार्षदों ने भी समर्थन दिया और कहा कि वे सरकार को सामूहिक प्रस्ताव भेजेंगे। मंत्री की मौजूदगी में मम्मा द्वारा उठाया गया यह मुद्दा बैठक का सबसे प्रभावशाली क्षण बन गया, जिसने बरेली नगर निगम से लेकर प्रदेश स्तर तक चर्चा छेड़ दी है।

बैठक में मेयर उमेश गौतम, पूर्व उपसभापति अतुल कपूर सहित अन्य नेता भी उपस्थित थे।

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