राजेंद्र भंडारी, टनकपुर
चुनावी बिसात पर भारतीय जनता पार्टी एक भी मोहरा कांग्रेस के पाले में नहीं डालना चाहती. यही वजह है कि गिले शिकवे भुलाकर बागियों के लिए भी पार्टी के द्वार खोल दिये गये हैं. दिलचस्प बात यह है कि खुद विधायक इस मुहिम में अहम भूमिका निभाते नजर आ रहे हैं. कुछ ऐसा ही वाकया आज टनकपुर पहुंचे प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की जनसभा में देखने को मिला. यहां भाजपा से बगावत कर नगर पालिका अध्यक्ष पद पर बतौर आजाद उम्मीदवार चुनाव लड़ने और भाजपा प्रत्याशी को हराकर अध्यक्ष बनने वाले विपिन कुमार की खुद प्रदेश के मुख्यमंत्री ने घर वापसी कराई. जिसमें विधायक कैलाश गहतोड़ी ने अहम भूमिका निभाई. देर से ही सही भाजपा नेताओं ने सही राह तो पकड़ी. विपिन कुमार ने भी आजाद प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीत कर यह साबित कर दिया है कि उनका सियासी वजूद किसी पार्टी का मोहताज नहीं. यही वजह है कि जो भाजपा कल तक विपिन कुमार को टिकट के काबिल तक नहीं समझती थी और उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था आज खुद विधायक और मुख्यमंत्री उन्हें पार्टी में शामिल कराने को मजबूर हो गए.
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि मैदानी और मुस्लिम वाेट बैंक साधने के लिए पार्टी ने यह दांव खेला है. विपिन कुमार खुद मैदान के हैं और मैदानी व मुस्लिम मतदाताओं पर अच्छी पकड़ रखते हैं. यही वजह है कि उनके साथ ही मुस्लिम समाज के सभासदों ने भी भाजपा का दामन थाम लिया.
विपिन के अलावा बनबसा की रेनू अग्रवाल का व्यापारी वर्ग पर और फागपुर की प्रधान गीता देवी की अपनी जाति के वोट बैंक पर अच्छी पकड़ है. उन्हें भी आज सीएम की मौजूदगी में भाजपा में शामिल कराया गया.
सूत्र बताते हैं कि बागियों की घर वापसी से पार्टी से वफादारी करने वाले जमीनी कार्यकर्ताओं में नाराजगी है. उनका कहना है कि अगर इसी तरह बागियों की पार्टी में वाापसी होती रही तो कोई भी कभी भी बगावत कर लेगा. इससेे कर्मठ कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरेगा.
बहरहाल विपिन कुमार सहित बागियों की वापसी से भाजपा को मजबूती मिलेगी और लोकसभा चुनाव में स्थानीय संसदीय क्षेत्र से उसकी जीत की राह आसान होगी.