नीरज सिसौदिया, जालंधर
सांसद निधि से बनाई गई गंदे नाले से शिवनगर फाटक तक की डेढ़ किलोमीटर की सड़क भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई. वर्षों के लंबे इंतजार के बाद बनाई गई यह सड़क दो महीने में ही खस्ताहाल हो गई है. स्थानीय लोगों का कहना है कि इस सड़क के निर्माण में पार्षद से लेकर पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों तक को ठेकेदारों ने रिश्वत की मोटी रकम दी है ताकि घटिया सामग्री का इस्तेमाल कर सिर्फ सड़क निर्माण की खानापूर्ति कर दी जाए और कोई विरोध भी न कर पाए.
जानकारी के अनुसार, सांसद चौधरी संतोख सिंह ने शिव नगर फाटक से गंदे नाले तक की डेढ़ किलोमीटर सड़क का निर्माण कार्य कराने के लिए 35 लाख रुपये सांसद निधि से मंजूर किये थे. लगभग दो महीना पहले सांसद चौधरी संतोख सिंह ने विधायक बावा हैनरी एवं वार्ड 78 के पार्षद जगदीश राम समराय समेत सैकड़ों लोगों की मौजूदगी में इसके निर्माण कार्य का शुभारंभ किया था. पहले इस सड़क का ठेका बब्बू कॉन्ट्रेक्टर को दिया गया था लेकिन बाद में भ्रष्टाचार के खेल में तीन और ठेकेदार शामिल कर लिए गए. इनमें शर्मा, पप्पू चोपड़ा आदि थे. अब सड़क निर्माण का कार्य पांच हिस्सों में किया गया. जब भी किसी ठेकेदार के हिस्से का काम शुरू होता था तो स्थानीय पार्षद जगदीश राम समराय उद्घाटन करने पहुंच जाते और लड्डू बांटते नजर आते थे. इस तरह इस डेढ़ किमी सड़क का करीब चार बार उद्घाटन पार्षद जगदीश समराय ने किया.
इसके अलावा एक बार समराय से पहले सांसद चौधरी संतोख सिंह ने किया था. हैरानी की बात तो यह है कि चार बार उद्घाटन कर हर बार अखबारों में तस्वीरें छपवाकर वाह वाही लूटने वाले समराय को आज तक सड़क के डिजायन का ही पता नहीं है. जब उनसे पूछा गया कि सड़क का डिजाइन क्या पास किया गया था तो उन्होंने बेहद हास्यास्पद जवाब देते हुए कहा कि सड़क दस फुट चौड़ी है. अब सवाल यह उठता है कि जब पार्षद को यह पता ही नहीं कि सड़क का डिजाइन क्या है तो उसकी देखरेख में कितनी मजबूत सड़क का निर्माण किया गया होगा इसका अंदाजा आप ही लगाया जा सकता है. स्थानीय लोगों का आरोप है कि सड़क निर्माण के कार्य में चारों ठेकेदारों से स्थानीय पार्षद ने रिश्वत के तौर पर लगभग पांच लाख रुपये लिए हैं और पीडब्ल्यूडी के जेई, एसडीओ और एक्सईएन को भी मोटा चढ़ावा चढ़ाया गया है. उनका कहना है कि चढ़ावे की रकम ठेकेदारों ने घटिया सड़क निर्माण सामग्री लगाकर पूरी की है.
उनका कहना है कि सड़क का निर्माण उसके निर्धारित डिजाइन के अनुसार बिल्कुल नहीं किया गया है. हर लेयर में निर्धारित मैटीरियल से आधा भी मैटीरियल नहीं डाला गया है. पैसे के खेल में सड़क का बेड़ा गर्क कर दिया गया है. उन्होंने मांग की है कि सड़क निर्माण के इस कार्य की विजिलेंस जांच कराई जाए. पीडब्ल्यूडी के भ्रष्ट जेई जतिंदर सिंह और एसडीओ को नौकरी से बर्खास्त किया जाए. सड़क का सैंपल लेकर उसकी जांच पंजाब से बाहर की लैब में कराई जाए ताकि यह स्पष्ट हो सके कि सड़क निर्माण कार्य में कौन सी सामग्री कितनी कम डाली गई है. साथ ही पूरी सड़क उखड़वाकर दोबारा से डिजाइन के मुताबिक बनाई जाए और सभी ठेकेदारों को ब्लैक लिस्ट किया जाए.
निश्चित तौर पर डेढ़ किमी की इस सड़क ने ठेकेदारों, पार्षद और पीडब्ल्यूडी अधिकारियों के काले खेल का पर्दाफाश कर दिया है. इस संबंध में पार्षद जगदीश समराय का कहना है कि सड़क निर्माण कार्य जिन ठेकेदारों ने किया है उनसे सड़क ठीक करने को बोल दिया है. मैंने अभी तक ठेकेदार को अपनी तरफ से कोई एनओसी नहीं दी है. अगर उसने सांसद या कहीं और से एनओसी ले ली हो तो मैं नहीं कह सकता.
वहीं, काम की देखरेख कर रहे पीडब्ल्यूडी के जेई जतिंदर का कहना है कि जो सड़क डैमेज हुई है वह ठेकेदार चोपड़ा ने बनाई है. उसकी पेमेंट रोकी गई है. पूरी सड़क उखड़वाकर दोबारा बनवाई जाएगी. रिश्वत लेने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मैंने ठेकेदार से कोई रिश्वत नहीं ली है. मेरे पास तो कोई फाइनांशियल पावर भी नहीं है. मेरे ऊपर तो एसडीओ और एक्सईएन हैं जिनके पास सारी पावर है. बहरहाल, सांसद निधि से बनाई गई यह सड़क भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है. अगर आर्थिक अपराध शाखा और विजिलेंस से मामले की जांच कराई जाए तो कई बड़े चेहरे बेनकाब हो सकते हैं. इस बारे में जब ठेकेदारों से बात करने का प्रयास किया गया तो उनसे संपर्क नहीं हो सका अगर वो चाहें तो हमें मोबाइल नंबर 7528022520 पर फोन कर अपना पक्ष दे सकते हैं. हम उनका पक्ष भी प्रमुखता से प्रकाशित करेंगे.
अगली किस्त में हम आपको बताएंगे कि इस डेढ़ किलोमीटर लंबी सड़क का क्या डिजाइन पास किया गया था और किस लेयर में कितना मैटीरियल डाला जाना चाहिए था और ठेकेदार ने कितना मैटीरियल डाला जिसके चलते सड़क दो माह भी नहीं टिक सकी. जानने के लिए पढ़ते रहें www.indiatime24.com.