नीरज सिसौदिया, बरेली
कैंट विधानसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार संजीव अग्रवाल सियासत के माहिर खिलाड़ी हैं यह उन्होंने साबित कर दिखाया है। चुनाव प्रचार के अंतिम दिन उन्होंने जो सियासी चाल चली उसने विरोधी दलों के उम्मीदवारों के होश उड़ाकर रख दिये हैं। या यूं कहें कि संजीव अग्रवाल ने मास्टर स्ट्रोक से विरोधियों को चित कर दिया है। सियासत के इस खेल में समाजसेवी निदा खान हुकुम का इक्का साबित हुई हैं। बरेली कैंट विधानसभा सीट के चुनावी इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब बड़ी तादाद में मुस्लिम महिलाओं ने भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में एकजुट होकर उसे विजयी बनाने की अपील की है। यह संजीव अग्रवाल की राजनीतिक सूझबूझ का ही नतीजा है कि उन्होंने चुनाव प्रचार के आखिरी दिन ऐसा सियासी तीर चलाया जिसने विरोधियों को छलनी कर दिया।
बता दें कि आला हजरत खानदान की बहू और समाजसेविका निदा खान को संजीव अग्रवाल ने कुछ दिन पहले ही भाजपा में शामिल कराया था। इसके बाद से ही निदा खान मुस्लिम महिलाओं के बीच जाकर तीन तलाक जैसे अभिशाप से बचाने के लिए कानून बनाने वाली भाजपा के पक्ष में प्रचार करने में जुट गई थीं। वह लगातार महिलाओं को भाजपा सरकार की नीतियों के बारे में जागरूक कर रही थीं। उसी का नतीजा है कि आज कैंट विधानसभा सीट के चुनावी इतिहास में पहली बार भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में इतनी बड़ी तादाद में मुस्लिम महिलाएं एकजुट हुईं और भाजपा को जिताने का संकल्प लिया।
निदा खान के नेतृत्व में सैलानी स्थित गुड मैरिज लॉन में भाजपा के पक्ष में आज एक बैठक का आयोजन किया गया जिसमें बड़ी तादाद में मुस्लिम महिलाएं शामिल हुईं और भाजपा उम्मीदवार संजीव अग्रवाल को भारी मतों से विजयी बनाने का संकल्प लिया। बैठक को संबोधित करते हुए निदा खान ने कहा कि भाजपा ने ही मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक के अभिशाप से आजादी दिलाई है। इसलिए सभी मुस्लिम महिलाओं को भाजपा उम्मीदवार संजीव अग्रवाल को वोट कर विजयी बनाना होगा। निदा खान के नेतृत्व में आयोजित इस बैठक में इतनी बड़ी तादाद में मुस्लिम महिलाओं का एकत्र होना स्पष्ट रूप से यह संदेश दे रहा है कि अब मुस्लिम महिलाएं भी अपने अधिकारों की लड़ाई अपने तरीके से लड़ सकती हैं। वे अब किसी के हाथों की कठपुतली नहीं रहीं। वे जागरूक हो रही हैं और अपने फैसले खुद लेने में सक्षम भी हैं। अगर इस बदलाव को चुनावी मौसम से हटकर देखें तो यह एक सकारात्मक संदेश देने के साथ ही सुखद अनुभूति भी कराता है। यह इस बात का भी सुबूत देता है कि समाज बदल रहा है और सही दिशा में आगे भी बढ़ रहा है। मुस्लिम महिलाएं भी अब सही को सही कहने की खुलकर हिम्मत जुटा पा रही हैं। वैसे तो यह चुनाव बरेली के इतिहास में कई अहम बदलावों के लिए जाना जाएगा लेकिन सबसे सकारात्मक पहलू एक मुस्लिम महिला द्वारा मुस्लिम महिलाओं को एक मंच पर लाने और अपनी आवाज सार्वजनिक रूप से बुलंद करने के लिए जाना जाएगा।
इस बैठक के बाद विरोधी सपा उम्मीदवार सुप्रिया ऐरन और कांग्रेस उम्मीदवार हाजी इस्लाम बब्बू की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं क्योंकि एक पार्टी मुस्लिमों को अपनी जागीर समझती है तो दूसरी मुस्लिमों के ठेकेदारों को साथ लेकर घूमती है। ऐसे में दोनों दलों को झटका लगा है और संजीव अग्रवाल के कदम मंजिल की ओर बढ़ते नजर आ रहे हैं। बहरहाल, जीत की मंजिल किसे मिलेगी और कौन कैंट का सरताज होगा इसका फैसला तो आने वाले दस मार्च को ही होगा।