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यूपी की राजनीति में नए युग का आगाज, एसएपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयप्रकाश भास्कर ने राजधानी से किया चुनावी शंखनाद, निर्णायक होगा धोबी समाज, प्रदेश भर के पदाधिकारियों को सौंपी बड़ी जिम्मेदारी

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नीरज सिसौदिया, लखनऊ
उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नए युग की शुरुआत हो चुकी है। प्रदेश की राजनीति में सामाजिक समीकरण लगातार बदल रहे हैं। धोबी समाज, जो अब तक अपने मत को बिखरा कर देता रहा, अब संगठित होने की दिशा में बढ़ रहा है। धाेबी समाज की आवाज बनी सर्व जन आम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयप्रकाश भास्कर ने सोमवार को राजधानी लखनऊ से अपने चुनावी अभियान का शंखनाद किया। लखनऊ के दारुल शफा में आयोजित सर्वजन आम पार्टी की प्रदेश स्तरीय समीक्षा बैठक ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब प्रदेश की राजनीति में धोबी समाज की भूमिका निर्णायक होने जा रही है। इस बैठक ने न केवल पार्टी के संगठनात्मक विस्तार की दिशा तय की, बल्कि धोबी समाज के राजनीतिक सशक्तिकरण की नींव भी रखी। लखनऊ के दारुल शफा स्थित ए ब्लॉक कॉमन हॉल में आयोजित सर्वजन आम पार्टी की बैठक ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी।
बैठक का मुख्य उद्देश्य प्रदेश में पार्टी की वर्तमान गतिविधियों की समीक्षा करना, संगठनात्मक मजबूती के लिए रणनीति तय करना और भविष्य की कार्ययोजना पर दिशा-निर्देश देना था। जिलों से आए पदाधिकारियों ने जमीनी रिपोर्ट प्रस्तुत की और पार्टी के संगठनात्मक विस्तार के संबंध में विचार साझा किए।


पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयप्रकाश भास्कर ने आगामी विधानसभा चुनावों में धोबी समाज के मतों को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि धोबी समाज के मतदाता अब किसी भी पार्टी की जीत-हार में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने सभी पदाधिकारियों से आह्वान किया कि वे बूथ स्तर तक संगठन को मजबूत करें और जनसंपर्क अभियान को तेज करें।
बैठक में विशेष रूप से यह देखा गया कि धोबी समाज के नेताओं की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुन्नालाल कनौजिया ने इस बात पर जोर दिया कि धोबी समाज के लोग अब राजनीति में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं और पार्टी की नीतियों को जन-जन तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।


बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव एडवोकेट ओमप्रकाश भास्कर, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुन्नालाल कनौजिया, राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अशोक कुमार कनौजिया, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य बॉबी कुमार चौहान और विभिन्न जिलों के जिला अध्यक्ष एवं महासचिव उपस्थित रहे। इन नेताओं ने पार्टी की नीतियों और कार्यक्रमों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की।
जयप्रकाश भास्कर ने बताया कि पार्टी की ओर से दीपावली के बाद जिला स्तरीय अभियान शुरू किए जाएंगे। इसके तहत घर-घर जाकर धोबी समाज और दलित समाज को जोड़ने का काम किया जाएगा।


पार्टी अध्यक्ष ने धोबी समाज के नेताओं को संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपकर उनकी राजनीतिक सक्रियता को बढ़ावा दिया है। आने वाले चुनावों में धोबी समाज के मतों की अहमियत को देखते हुए सभी राजनीतिक दलों को इस समाज की ओर ध्यान देना होगा। यह बैठक प्रदेश की राजनीति में एक नए युग की शुरुआत का संकेत देती है, जहां धोबी समाज की आवाज को अनदेखा करना किसी भी पार्टी के लिए संभव नहीं होगा।
इस बैठक में प्रदेश के लगभग 75 जिलों से 200 से अधिक जिला पदाधिकारी और कार्यकर्ता शामिल हुए। सभी ने अपनी-अपनी जिलों की रिपोर्ट प्रस्तुत की और बूथ स्तर तक संगठन को मजबूत करने का संकल्प दोहराया।

धोबी समाज : आंकड़ों में एक बड़ी ताकत
उत्तर प्रदेश की कुल जनसंख्या लगभग 25 करोड़ है, जिसमें धोबी समाज की हिस्सेदारी करीब 2.5 से 3 प्रतिशत मानी जाती है। यानी, राज्य में लगभग 70 से 75 लाख मतदाता सीधे तौर पर धोबी समुदाय से जुड़े हैं। यह संख्या छोटी नहीं है। यह इतनी बड़ी है कि अगर यह मतदाता वर्ग एक दिशा में लामबंद हो जाए, तो कम से कम 40 से 50 विधानसभा सीटों पर निर्णायक प्रभाव डाल सकता है।
इनमें पूर्वी उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद, प्रतापगढ़, वाराणसी, जौनपुर, गाजीपुर, मिर्जापुर, और पश्चिमी यूपी के बरेली, शाहजहांपुर, लखनऊ, कानपुर, सीतापुर, फतेहपुर, हरदोई, हाथरस जैसे जिले प्रमुख हैं, जहां धोबी समाज का प्रभाव उल्लेखनीय है।

धोबी समाज का राजनीतिक इतिहास: उपेक्षा से उभरने तक
धोबी समाज लंबे समय तक राजनीति में गैर-प्रतिनिधित्वित वर्ग रहा है। स्वतंत्र भारत में उत्तर प्रदेश की विधानसभाओं में अब तक इस समाज से आने वाले विधायक 10 की संख्या से अधिक नहीं रहे। पिछले लोकसभा चुनावों में इस समाज के वोट बसपा, समाजवादी पार्टी और भाजपा के बीच बंटे रहे। लेकिन 2024 के आम चुनावों में धोबी समाज ने पहली बार संगठित रूप में वोट देने का संकेत दिया, जिससे कई सीटों पर परिणाम अप्रत्याशित रहे। उदाहरण के तौर पर: फतेहपुर सीट पर करीब 37 हजार धोबी मतदाता निर्णायक साबित हुए। जौनपुर और मिर्जापुर के कुछ क्षेत्रों में 5 से 7 प्रतिशत वोट शेयर ने हार-जीत का अंतर तय किया। बरेली और सीतापुर में भी यह समाज स्थानीय निकाय चुनावों में 9-11 प्रतिशत वोट शेयर के साथ अहम भूमिका में रहा। यह वही पृष्ठभूमि है, जिस पर सर्वजन आम पार्टी अपनी नई रणनीति गढ़ रही है।

जयप्रकाश भास्कर का संदेश: ‘हम अब दर्शक नहीं, निर्णायक हैं’
पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयप्रकाश भास्कर ने अपने संबोधन में कहा- “धोबी समाज अब किसी का सहायक नहीं रहेगा, बल्कि सत्ता और नीति निर्माण में सहभागी बनेगा। हमें बूथ से लेकर विधान भवन तक अपनी उपस्थिति दर्ज करानी है।” उन्होंने कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि वे हर ग्राम पंचायत, हर वार्ड और हर नगर क्षेत्र में संगठन खड़ा करें। भास्कर का यह बयान इस बात का संकेत है कि सर्वजन आम पार्टी अब खुद को केवल सामाजिक संगठन नहीं बल्कि राजनीतिक ताकत के रूप में स्थापित करना चाहती है।

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