पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई का निधन, AIIMS में ली अंतिम सांस
नीरज सिसौदिया, नई दिल्ली
पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई का आज निधन हो गया| शाम लगभग 5:00 बज के 5:00 मिनट पर उन्होंने दिल्ली की अखिल भारतीय आयुर्वेदिक संस्थान में अंतिम सांस ली| पिछले काफी समय से एम्स में इलाजरत थे।
निमोनिया की और इंफेक्शन के चलते उनके दोनों फेफड़ों ने काम करना बंद कर दिया था जिस कारण उनका निधन हो गया| उन्हें गत 11 जून को भर्ती कराया गया था।
वह कुशल राजनेता के साथ ही कवि भी थे।
बाधाएं आती हैं आएं, घिरें प्रलय की घोर घटाएं
पावों के नीचे अंगारे सिर पर बरसें यदि ज्वालाएं
निज हाथों में हंसते-हंसते आग लगाकर जलना होगा
कदम मिलाकर चलना होगा
इन रचनाओं को सुनने के बाद हमारे मन में अटल जी का प्रतिबिंब घूमने लगता है।
अटल बिहारी वाजपेई जो भारत के प्रधानमंत्री थे वह हिंदी कवि पत्रकार और प्रखर वक्ता भी थे। उत्तर प्रदेश में आगरा जनपद के प्राचीन स्थान बटेश्वर के मूल निवासी पंडित कृष्ण बिहारी वाजपेई मध्यप्रदेश के ग्वालियर रियासत में अध्यापक के पद पर तैनात थे। वहीं शिंदे की छावनी में 25 दिसंबर 1924 को ब्रह्म मुहूर्त में उनकी सहधर्मिणी कृष्णा वाजपेई की कोख से अटल जी का जन्म हुआ था। अटल बिहारी के पिता ग्वालियर में अध्यापन का कार्य तो करते ही थे साथ ही वह हिंदी व ब्रज भाषा के कवि भी थे। उनके पुत्र में काव्य की वंशानुगत परिपाटी होना लाजिमी था महात्मा रामचंद्र जी द्वारा रचित अमर कृति विजय पताका पढ़कर अटल जी कि जीवन की दिशा ही बदल गई अटलजी की b.a. की पढ़ाई ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज से हुई थी । अटल जी अपने छात्र जीवन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े थे और राष्ट्रीय स्तर की वाद-विवाद प्रतियोगिता में भाग लेते रहे। इसी प्रकार उन्होंने राजनीति शास्त्र में m.a. की परीक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण की उस के बाद उन्होंने एलएलबी की पढ़ाई प्रारंभ की लेकिन उसी बीच में ही विराम देकर संघ के कार्य में जुट गए डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के निर्देशन में राजनीति का पाठ पढ़ा साथ ही पाञ्चजन्य,राष्ट्रधर्म,दैनिक स्वदेश और वीर अर्जुन जैसे पत्र-पत्रिकाओं के संपादन का कार्य भी कुशलतापूर्वक किया उन्होंने अपना जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ संघ के प्रचारक के रूप में आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेकर प्रारंभ किया था ।
अटल बिहारी वाजपेई राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ एक कवि भी थे। मेरी इक्यावन कविताएं अटल जी का प्रसिद्ध काव्य संग्रह है। उनकी सर्वप्रथम कविता ताजमहल थी। इसमें श्रृंगार रस के प्रेम प्रसून ना चढ़ाकर एक शहंशाह ने बनवा के हंसी ताजमहल हम गरीबों की मोहब्बत का उड़ाया है मजाक की तरह उनका भी ध्यान ताजमहल के कारीगरों के शोषण पर ही गया विख्यात गजल गायक जगजीत सिंह ने अटल जी की चुनिंदा कविताओं को संगीत बंद करके एक एल्बम भी निकाला था।
पुरस्कार
पदम विभूषण 1992
1994 लोकमान्य तिलक पुरस्कार
2015 भारत रत्न से सम्मानित
उन्हें हनी भी कई पुरस्कार मिले थे