विचार

प्रमोद पारवाला की कविताएं- ‘अनुभूति’

कब दिन निकला कब रात हुई, हम समझ भी नहीं पाते हैं। बच्चों का कलरव सुनने को, यह कान तरस से जाते हैं। हर ओर कराहट जीवन की, एक स्वर हमारा शामिल है। मृत्यु से जंग भी जारी है, फिर भी न हमें कुछ हासिल है। कोरोना तू तो अकेला है पर उनके तो घरवाले […]