विचार

प्रेम विवाह का ही पूर्वरूप था गान्धर्व विवाह

डॉ. कामिनी वर्मा सृष्टि के नैरंतर्य एवं मानव जीवन की चित्तवृत्तियों के शमनार्थ भारतीय समाज में गृहस्थाश्रम का विधान किया गया है।महाभारत में उल्लिखित है, *यह आश्रम बड़ा दुष्कर और श्रेष्ठतम है क्योंकि गृहस्थ से बड़ा त्यागी कोई नही है।* इसी आश्रम पर ब्रम्हचर्य और वानप्रस्थ आश्रम आश्रित होता है।तथा पितृ ऋण से उऋण होने […]