सुधीर राघव
झूठ की महिमा न्यारी है. झूठ से दुनिया चल रही है. विद्वानों ने जगत को मिथ्या कहा है. उपनिषद कहते हैं कि असत्य पांच भौतिक तत्वों से बना है, जबकि जगत का सत्य नेति नेति अर्थात न इति न इति मायने कुछ भी नहीं है। जगत झूठा और नेति नेति ही परम सत्य है. यही वेदांत का ज्ञान मार्ग है. अद्वैत दर्शन है.
अगर जगत मिथ्या और झूठा है तो उसके साथ झूठ बोलने में क्या बुराई है? इसलिए सबसे कामयाब नेता कभी सत्य नहीं बोलता. या यों कहें कि सबसे झूठा और मक्कार नेता ही इस जगत में सबसे कामयाब नेता हो जाता है. मारा वह जाता है जो सत्य बोलता है. इस झूठे जगत में सारे कष्ट सत्यवादी को ही उठाने पड़ते हैं. बायगॉड, गॉड भी हर सच्चे इंसान की ही परीक्षा लेता है कि इस झूठे जगत में यह सच कैसे बोल रहा है? क्या इसके सॉफ्टवेयर प्रोग्राम में कोई वायरस है? या इसके दिमाग में कोई कीड़ा है?
उधर, झूठा पूरी मौज मारता है. उसकी कोई परीक्षा नहीं लेता. वह खुद सबके लिए परीक्षा है. वह हर सच को हराने के लिए हजार झूठ खड़े कर देता है. एक परम झूठा यह अच्छी तरहसे जानता है कि एक सच सौ झूठ पर भारी है. सच को भगवान से इतनी ही ताकत मिली है. बेचारा सच कभी हजार झूठ से मुकाबला नहीं कर सकता. हजार झूठ के संख्याबल के आगे सच मर्दाना कमजोरी का शिकार हो जाता है. वैसे भी जब हर मर्द का बच्चा झूठ बोल रहा हो तो सच में मर्दाना ताकत बचेगी ही कितनी. यही वजह है कि झूठा नेता कामयाब है. वह सब समस्याओं का समाधान एक झूठ से चुटकी में कर देता है. जब जनता रोती है कि रसोई गैस बहुत महंगी हो गई है तो वह झट से यह कहकर चुप करा देता है कि नाले से गैस बना लो. बिल्कुल मुफ्त बनती है. जब जनता नाले से गैस नहीं बना पाती तो वह उसे ए स्केयर और बी स्केयर के ऐसे गलत फार्मूले में उलझा देता है कि बेचारे बीज गणित की किताब फट जाती है. झूठा नेता सिर्फ दो आदमियों को विकास करता है और कहेगा कि पूरे देश का विकास हो रहा है. वह सिर्फ दो लोगों की नौकरी करेगा मगर खुद को पूरे देश का सेवक कहेगा.
इस ज़माने में सच का साथ कोई नहीं देता. मगर झूठ का साथ देने निर्लज्जता पहुंच जाती है. अधर्म पहुंच जाता है. पाप पहुंच जाता है. धोखा तो उसका जुड़वां भाई है. झूठ स्मृति के जरिए रचा जाता है और विस्मृति में विलीन हो जाता है. झूठ कोई भारतीय, ब्रिटिश या अमेरिकी विद्या नहीं है, वह पूरी तरह ईरानी है. झूठ एक जादू है और जादू का जन्म मेसोपोटामिया में हुआ.
झूठ के फायदे ही फायदे हैं. मगर दुनिया में सबसे ज्यादा बुराई और निंदा झूठ की हुई है. सारे महान ग्रंथ झूठ की निंदा से भरे हैं. इसीलिए कोई पढ़ाकू इस दुनिया में कभी कामयाब नही हो पाता, जबकि एक अनपढ़ अपने इशारे पर एंटायर पोलिटिक्स चलाता है. झूठ की निंदा करने वाले को यह मिथ्या जगत कभी बर्दाश्त नहीं करता. हर झूठ में नया झूठ खोज लेना ही सबसे बड़ी रिसर्च है. झूठी दुनिया झूठ की तरफ खड़ी है. सब चिल्ला रहे हैं, झूठ का बोलबाला और सच का मुंह काला.
#सुधीर_राघव