विचार

एक, दो, तीन, महंगाई ने बजा दी बीन…

एक, दो, तीन महंगाई ने बजा दी बीन चार, पांच, छह ज्यादा पैसे देकर कम सामान ले सात, आठ, नौ महंगाई कहती है तू चैन से मत सो दस, ग्यारह, बारह पैसा बन चुका है सबका सहारा इसके बिना नहीं हो रहा गुजारा मैं कहती हूं टैक्स घटाओ आम आदमी को महंगाई में न जलाओ […]

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त्राहिमाम-त्राहिमाम मचा हुआ है…

त्राहिमाम-त्राहिमाम मचा हुआ है, केवल वही बचा हुआ है, जो घर में रहता है, लाकडाउन को सख्ती से लेता है। मास्क और साबुन का रोज इस्तेमाल करता है। इस खतरनाक वायरस से हमें घऱ में रहकर लड़ना है। कोविड-19 से बिल्कुल नहीं डरना है, क्योंकि अब हमें नहीं इसे मरना है। चिकित्सक, वैज्ञानिक और मीडिया […]

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निष्ठा शर्मा की कविताएं-2, आखिर क्यों बड़ी हो जाती हैं बेटियां?

आखिर क्यों बड़ी हो जाती हैं बेटियां ये तो होती हैं दीपक की बातियां बुझ जाएं तो वापस नहीं मिलतीं फिर अंगने में मुस्कुराहट नहीं खिलती पता नहीं उसके बिन रातें कैसे ढलतीं दिल है मेरा पता नहीं उस बिन धड़कन कैसे चलती इन्हें ले जाता है कोई पराया नहीं मिल पाती इनको मां-बाप की […]