विचार

व्यंग्य : पहन ले चड्डी, छोड़ दे हल

सुधीर राघव पंडित तोताराम मंडी की ओर जा रहे थे. शहर-कस्बों में तो रोज मंडी लगती है. गांवों में लोग साप्ताहिक और पाक्षिक मंडी जाते हैं. पंडित तोताराम जिस मंडी में जा रहे थे, वह तो पूरे पांच साल बाद लगी थी. इसलिए इस मंडी को लेकर उत्साह बहुत ज्यादा था. पंडिताइन के लाख मना […]