सुधीर राघव बीवी को प्यार से डर लगता है, झगड़े से नहीं! अगर आप चाहते हैं कि आपकी बीवी आपसे डरे तो ताबड़तोड़ प्यार करते रहो! गलती से भी झगड़े का ट्रेक पकड़ा तो आपका बैंड बजना तय है. वह पृथ्वीराज नहीं है कि इक्कीस बार जीतने के बाद बाइसवीं बार हार जाए. बाइसवीं बार […]
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व्यंग्य : अबकी बार, नदिया पार
सुधीर राघव नेता नाव में है. और नाव पानी में. नेता अकेला नहीं है. उसने पूरी पार्टी को नाव में भर लिया है. नेता लालची है. इसलिए उसने दूसरी पार्टियों के लोगों को भी अपनी नाव में लाद लिया है. ज्यादातर को तो बाकायदा गुंडे भेजकर उठवाया है और तब अपनी नाव में लादा है. […]
व्यंग्य : पहन ले चड्डी, छोड़ दे हल
सुधीर राघव पंडित तोताराम मंडी की ओर जा रहे थे. शहर-कस्बों में तो रोज मंडी लगती है. गांवों में लोग साप्ताहिक और पाक्षिक मंडी जाते हैं. पंडित तोताराम जिस मंडी में जा रहे थे, वह तो पूरे पांच साल बाद लगी थी. इसलिए इस मंडी को लेकर उत्साह बहुत ज्यादा था. पंडिताइन के लाख मना […]