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…तो ओबरॉय का सपना साकार करेंगे राजा

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नीरज सिसौदिया
शहर में आवारा आतंक का मुद्दा एक बार फिर जोर पकड़ने लगा है। नगर निगम की ओर से तैयार किया गया डॉग कंपाउंड फिलहाल उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पा रहा है। अभी तक आवारा कुत्तों की नसबंदी का आंकड़ा 100 तक भी नहीं पहुंच पाया है।

गत वर्ष विपक्ष में रहने के बावजूद जगदीश राज राजा ने आवारा कुत्तों की नसबंदी के मसले पर अकाली नेता कुलदीप सिंह ओबराय और तत्कालीन सीनियर डिप्टी मेयर अरविंदर कौर ओबरॉय का समर्थन किया था। यहां तक कि प्रेस को दिए गए बयान में ओबरॉय के एनजीओ से डॉग प्रोजेक्ट वापस लेने के तत्कालीन मेयर सुनील ज्योति के कदम को गलत करार दिया था। ऐसे में अब ओबरॉय को यह उम्मीद बंधने लगी है कि मेयर बनने के बाद राजा के दरबार में उन्हें इंसाफ जरूर मिलेगा।
बता दें कि नंगलशामां स्थित डॉग कंपाउंड की लीज नगर निगम की ओर से अकाली नेता कुलदीप सिंह ओबरॉय कि एनजीओ के नाम पर दी गई थी। इसके बाद जब ओबरॉय की पत्नी ने निगम हाउस की बैठक में हंगामा करते हुए पूर्व मेयर सुनील ज्योति को चूड़ियां भेंट की तो बदले में उन्हें डॉग प्रोजेक्ट ही गंवाना पड़ा था। यह सब तब हुआ जबकि ओबरॉय नंगलशामां स्थित डॉग प्रोजेक्ट के शुभारंभ की सभी तैयारियां पूरी कर चुके थे। यहां तक कि उसी बैठक में अरविंदर कौर ओबरॉय उद्घाटन समारोह के कार्ड भी लेकर आई थीं लेकिन सुनील ज्योति की नाराजगी उन पर भारी पड़ गई और यह प्रोजेक्ट उनके हाथ से निकल गया। ओबरॉय बताते हैं कि उनका सामान अब भी नंगलशामां स्थित डॉग कंपाउंड में पड़ा हुआ है। इंसाफ नहीं मिला तो ओबरॉय अदालत की शरण में जा पहुंचे थे। इसी दौरान नगर निगम की ओर से डॉग कंपाउंड में आवारा कुत्तों की नसबंदी का काम शुरू भी कर दिया गया।
उस वक्त जगदीश राज राजा ने ओबरॉय के सुर में सुर मिलाते हुए प्रोजेक्ट उन्हें दिए जाने की हिमायत की थी। मेयर बनने के बाद राजा के हाथ में सत्ता की चाबी आ गई है। राजा चाहें तो राजनीति से ऊपर उठकर कुलदीप सिंह ओबरॉय को उनका हक दे सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो वाकई राजा एक नई मिसाल पेश करेंगे। जालंधर के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा और इस इतिहास में राजा का नाम सुनहरे अक्षरों से दर्ज किया जाएगा। लेकिन अगर राजा ऐसा नहीं करते हैं तो वह भी उन सियासतदानों की श्रेणी में दर्ज हो जाएंगे जो सत्ता पर आते ही बोल बदल लेते हैं।
सूत्र बताते हैं कि राजा ओबरॉय को उनका हक दिलाना भी चाहते हैं लेकिन सियासी दबाव के चलते वह ऐसा नहीं कर पा रहे। इस संबंध में जब कुलदीप सिंह ओबरॉय से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मैंने इस प्रोजेक्ट के लिए जी जान से काम किया है। राजा को राजनीति से ऊपर उठकर मुझे मेरा हक दिलाना चाहिए। राजा एक सुलझे हुए इंसान हैं और मुझे पूरी उम्मीद है कि राजा के दरबार में नाइंसाफी नहीं होगी। वहीं, जब इस संबंध में जगदीश राज राजा का पक्ष जानने की कोशिश की गई तो उनसे संपर्क नहीं हो सका।

 

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