नीरज सिसौदिया, नई दिल्ली
घोटालों और जिम्मी जुमलेबाजी पर चौतरफा निंदा झेल रही मोदी सरकार एक बार फिर प्रशांत किशोर के दरबार जा पहुंची है। इलेक्शन स्ट्रैटजिसट प्रशांत किशोर एक बार फिर नरेंद्र मोदी के लिए सियासी रणनीति बनाने जा रहे हैं। इसकी भूमिका तैयार हो चुकी है लेकिन प्रशांत किशोर की इस बार क्या भूमिका रहेगी यह फिलहाल राज ही है।
दरअसल वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रशांत किशोर की रणनीति के बदौलत ही मोदी सरकार सत्ता पर काबिज हो सकी थी। इतना ही नहीं उसे भारी बहुमत भी हासिल हुआ था। मगर चुनाव जीतने के बाद भाजपा के शहंशाह अमित शाह से खटपट के चलते प्रशांत किशोर ने पाला बदल लिया था। उत्तम प्रशांत ने बिहार में नीतीश कुमार का हाथ थाम लिया और महागठबंधन के लिए विधानसभा चुनाव की रणनीति तैयार की थी। यह प्रशांत किशोर की रणनीति ही थी जिसने बिहार में भाजपा को चारों खाने चित कर दिया और नीतीश कुमार सरकार बनाने में एक बार फिर कामयाब हो गए। इसके बाद प्रशांत किशोर ने कांग्रेस के लिए मार्गदर्शक का काम किया और उन उन्होंने उत्तर प्रदेश और पंजाब चुनाव में कांग्रेस की रणनीति बनाई। यूपी में तो कांग्रेस को उन की रणनीति का कुछ खास लाभ नहीं हुआ लेकिन पंजाब में उनकी स्ट्रेटेजी काम में आई। यहां कांग्रेस ने अकाली-भाजपा गठबंधन के पिछले 10 साल के शासन को उखाड़ फेंका।
अब 2019 के चुनाव नजदीक हैं और भाजपा की नजर एक बार फिर प्रशांत किशोर पर पड़ गई है। सूत्रों की मानें तो पिछले दिनों प्रशांत किशोर ने नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुलाकात की थी। इसके बाद वह भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से भी मिले थे। इन दोनों मुलाकातों में प्रशांत किशोर ने अपने सारे गिले-शिकवे दूर कर लिए। वहीं प्रशांत किशोर को नरेंद्र मोदी और अमित शाह की ओर से आगामी लोकसभा चुनाव के लिए ब्रांड मोदी इमेज एक बार फिर स्थापित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। हालांकि इस संबंध में भाजपा और प्रशांत किशोर की ओर से कोई भी आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया लेकिन सूत्र खबरों की पुष्टि करते हैं। सूत्र यह भी बताते हैं कि नीरव मोदी और विजय माल्या के मसले समेत सारे पुराने चुनावी वादों को पूरा करने में नाकाम रही मोदी सरकार को आगामी लोकसभा चुनाव के लिए एक ऐसे शख्स की जरूरत है जो कि मोदी को जनता की और देश की जरूरत के रूप में स्थापित कर सके। यही वजह है कि एक बार फिर प्रशांत किशोर पर भरोसा जताया जा रहा है। अब देखना दिलचस्प होगा कि अब तक कांग्रेस और जदयू जैसे दलों के लिए रणनीति बनाने वाले प्रशांत किशोर की रणनीति आगामी लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा की जीत में कितना योगदान दे पाती है।
बता दें कि वर्ष 2014 और वर्तमान की परिस्थितियों में काफी बदलाव आ चुका है। वर्तमान में भाजपा की आईटी सेल भी काफी मजबूत हो चुकी है जिसका दिमाग अमित मालवीय संभाल रहे हैं। साथ ही जनता भी मोदी सरकार से संतुष्ट नहीं है, ऐसे में प्रशांत किशोर कितने कारगर साबित हो पाएंगे यह कहना फिलहाल मुश्किल होगा।
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