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बिहार में सियासी घमासान, उलझन में पासवान

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दिवाकर, पटना
बिहार की सियासत में उठापटक का दौर जारी है। एक के बाद एक सियासी सूरमा पाला बदलते नजर आ रहे हैं। पहले कांग्रेस के दिग्गज नेता अशोक चौधरी 4 विधान परिषदों के साथ जनता दल यूनाइटेड की शरण में जा पहुंचे। फिर हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने लालटेन थाम ली। अब केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के दामाद अनिल कुमार साधु ने और अपने ससुर को बड़ा झटका दिया है। साधु ने बुधवार को लोक जनशक्ति पार्टी से इस्तीफा देकर आज राष्ट्रीय जनता दल का दामन थाम लिया।
दरअसल, बिहार में होने वाले लोकसभा के उपचुनाव और वर्ष 2019 में देश में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर सियासी जोड़-तोड़ तेज होने लगी है। बिहार में लोक जनशक्ति पार्टी की अंदरूनी खींचतान तेज हो गई है। दरअसल बिहार में महागठबंधन से अलग होने के बाद जब जनता दल यूनाइटेड ने भाजपा के साथ मिलकर दोबारा सूबे में सरकार बनाई तो उसी वक्त से लोक जनशक्ति पार्टी का संकट शुरू हो गया था। अंदर ही अंदर पार्टी कमजोर पड़ने लगी। पार्टी की कमान जैसे ही रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान ने संभाली तो अंदरूनी गुटबाजी और तेज हो गई। कुछ पुराने नेता तो दूर खुद पासवान के अपने ही उनसे खफा हो बैठे। इसी का नतीजा था कि अनिल कुमार साधु ने अपने ही ससुर की पार्टी से दूरी बनाना बेहतर समझा। उन्होंने ना सिर्फ पार्टी से इस्तीफा दिया बल्कि पासवान पर जमकर बरसे भी। साधु ने कहा कि पासवान अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गोद में जाकर बैठ गए हैं। पासवान दलित विरोधी हो गए हैं, उन्हें अब दलितों की कोई चिंता नहीं रही। बताया जाता है कि साधु पार्टी में तवज्जो ना मिलने के कारण नाराज चल रहे थे। इसी कारण उन्होंने लोक जनशक्ति पार्टी को अलविदा कह दिया और लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल का दामन थाम लिया। बता दें कि लालू प्रसाद यादव के जेल में जाने के बाद राजद सुबह के रसूखदार और कद्दावर नेताओं को जोड़ने की कवायद में जुट गई है। राजद को अपनी इस मुहिम में सफलता भी मिल रही है। लालू के बेटों का यह प्रयास निश्चित तौर पर मरणासन्न स्थिति में पहुंच रही राजद के लिए संजीवनी साबित हो सकता है। लेकिन अगर लालू के बेटे भी लालू की राह पर चल पड़े तो निश्चित तौर पर पार्टी का भविष्य अंधकार में होने से कोई नहीं रोक पायेगा।

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